सभी अपनों को राम राम।

कुछ समय पहले किसी ने एक सवाल पूछा. दादा, पिता, खुद और उनके बच्चे यानी तीन पीढ़ियां. सबकी एक समानता. सब पर आर्थिक संकट की भारी मार.
उनका सवाल था *इसका कारण क्या है.
मैने फोटो से सबकी एनर्जी डिकोड की. सबमें डी.एन.ए. की एनर्जी खराब मिली. अर्थात् पीढ़ियों से चला आ रहा पितृदोष मिला. पितृदोष की एनर्जी को क्लासीफाइड करने पर पता चला परिवार पर दरिद्रता श्राप है. जो पूर्वजों में किसी की गलती से उत्पन्न हुआ. मगर उसे उपचारित नही किया गया.
दरिद्रता श्राप बहुत गम्भीर समस्या होती है. अक्सर लोगों को इससे निकलने का तरीका नही मालुम होता. इस दोष के कारण परिवार के लोगों के आभामंडल की 49 में से 18, 19, 20 और 21 वीं पर्तें बेडौल होती हैं. जिसके दुष्प्रभाव से मूलाधार, नाभि, मणिपुर, अनाहत और आज्ञा चक्र प्रायः असंतुलित रहते हैं. उर्जा उपचार करके इन्हें ठीक किया जाये तो भी कुछ समय में पुनः खराब हो जाते हैं.
एेसेी स्थिति में पहले तो लोगों के पास धन आने के रास्ते ही नही बन पाते. अगर धन आने भी लगे तो पूरा नही पड़ता. खर्चों के लिये बार बार दूसरों से आस लगानी पड़ती है. कर्ज का तनाव पीछा नही छोड़ता.
हिमालय साधना के दौरान पहाड़ों में मिले एक सिद्ध संत ने इस श्राप से निपटने का उपाय बताया था. जिसे कई लोगों पर अपनाया. बहुत प्रभावशाली नतीजे मिले.
इसके तहत लक्ष्मी गुटिका सिद्ध करनी होती है.
आज मै आपको लक्ष्मी गुटिया सिद्ध करने का तरीका बता रहा हूं.
1. कहीं से लक्ष्मी गुटिका प्राप्त कर लें. ये एक तरह का पत्थर होता है. जिसमें मंत्रों की उर्जाओं को अपने भीतर संरक्षित करने की विशेषता होती है. इसे कुछ विद्वान लक्ष्मी बूटी के नाम से भी जानते हैं.
2. लक्ष्मी गुटिका को दीपावली से पहले आने वाली नवरात में सिद्ध करें. नवरात के पहले दिन से समापन तक श्री सूक्त की ऋचाओं से यज्ञ करें. कुल 5100 आहुतियां दें. यज्ञ के दौरान भस्म को बदलें नहीं. पिछले दिन की भस्म पर ही अगले दिन की यज्ञ अगिन प्रज्वलित करें.
3. अंतिम दिन का यज्ञ दिन में 12 बजे से पहले पूरा कर लें. शाम तक जब यज्ञ की अग्नि शांत हो जाये तो लगभग आधा 50 ग्राम यज्ञ भस्म निकालकर किसी धातु की डिब्बी में सुरक्षित कर लें.
4. दसमी के दिन संरक्षित यज्ञ भस्म की डिब्बी में लक्ष्मी गुटिका को दबाकर रख दें. उसके समक्ष बैटकर श्री सूक्त जी के 21 पाठ करें. एेसा धनतेरस तक लगातार करते रहें.
इससे पहले हर दिन सुनिश्चित कर लें कि आपके आभामंडल और उर्जा चक्रों की स्थिति स्वच्छ व सुडौल हो. इस हेतु जो भी विधि आपको ज्ञात हो उसका उपयोग करें. गुटिका सिद्धी के लिये ये बहुत अनिवार्य है. क्योंकि दूषित आभामंडल के साथ की जाने वाली साधनायें फलित नही होतीं.
5. दीपावली की रात की पूजा के समय लक्ष्मी गुटिका को पूजा स्थल पर स्थापित करें. फिर वहीं बैठकर श्री सूक्त जी के 21 पाठ करें.
अगले दिन लक्ष्मी गुटिका अपने घर के लाँकर में रख दें. और जन्मों से रूठी लक्ष्मी मइया के अपने कुल में वापस लौटने का इंतजार करें. यकीनन ये इंतजार बहुत छोटा और सुखद साबित होगा.
जो लोग लक्ष्मी महासाधना में शामिल हो रहे हैं उनकी लक्ष्मी गुटिका मै सिद्ध करा रहा हूं. उसी के साथ वे लक्ष्मी महासाधना करेंगे.
समृद्धिशाली होना सबका अधिकार है. मुझे विश्वास है आप सभी लोग इस दीपावली पर घर में लक्ष्मी मां को बुला ही लेंगे.
सबका जीवन सुखी हो,यही हमारी कामना है.
हर हर महादेय
हेल्पलाइन- 9250300800