हर कोरोना जान नही लेता

corona jan nhi leta

हर कोरोना जान नही लेता
डरे नही, घर बैठे मुकाबला करें

सभी अपनों को राम राम
धरती और यहां के बाशिन्दे कोरोना खौफ में हैं। मीडिया और सोसल मीडिया पर फैली कुछ अप्रमाणित खबरें खौफ बढ़ा रही हैं। लोगों का कांफिडेंस टूट रहा है। घबराहट बेबसी और बेबसी बेचैनी में बदल रही है। लोगों की बेचैनी अब बेकाबू आचरण की तरफ बढ़ रही है।
दरअसल कोरोना का खौफ उतना नही है जितना कोरोना की खबरों की दहशत है। खबरों ने लोगों के मन में  कोरोना को मौत का पर्याय बना दिया है।
आज हम आपके साथ राहतकारी खबर शेयर कर रहे हैं। हर कोरोना जान नही लेता। 100 में से 80 कोरोना प्रभावितों को कोई खतरा नही होता। 100 में से 14 रोगी ऐसे होते हैं जिन्हें कोरोना से सर्दी जुकाम, वायरल जितनी तकलीफ हो सकती है। 100 में से 4 रोगियों को अच्छी मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है। 100 में से 2 मरीजों को जान का खतरा हो सकता है।
ये 2 प्रतिशत वे लोग हैं जिनकी इम्युनिटी बहुत कमजोर होती है। अर्थात उनमें रोगों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ये वे लोग हैं जो मौसम बदलने पर सबसे पहले बीमार पड़ते हैं। समय पर इलाज न मिले तो मौसमी वायरल भी इनकी जान ले सकता है। सीजनल वायरल से उत्पन्न निमोनिया हर साल इनमें से तमाम लोगों की मौत का कारण बनती है।
कोरोना का परजीवी वायरस कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के फेफड़ों तक पहुंच जाता है। वहां उनके सेल्स को खाना शुरू कर देता है। सेल्स खाने से उत्पन्न प्रोटीन का अवशेष बलगम के रूप में सामने आता है। जो फेफड़ों सहित अन्य स्वसन तंत्र में सूखकर जम जाता है। यह स्थिति ही घातक होती है। यह एक तरह के निमोनिया का ही स्वरूप है।
फेफड़ों में जमे बलगम को पिघलाकर निकाल दिया जाए तो रोगी की जान बच जाती है।
जमे बलगम को पिघलाने के लिये गर्म पानी, आयुर्वेदिक काढ़ा, सब्जियों के सूप आदि सरल और सटीक साबित होते हैं। नमक वाले पानी से गरारा करना और कपूर मिलाकर पानी की स्ट्रीम देना इसके लिये बड़े लाभ का उपचार है।
सारी दुनिया में कोरोना पर बड़े बड़े शोध की अफरा तफरी मची है। इस कारण आस पास उपलब्ध सरल उपचार पर किसी का ध्यान नही जा रहा। शायद घरेलू और सरल होने के कारण मेडिकल विशेषज्ञ उपरोक्त चीजों को महत्व नही दे रहे।
डॉक्टरी इलाज के साथ इनका भी प्रयोग किया जाए तो कोई साइड इफेक्ट नहीं। मगर जग हंसाई की खोखली अवधारणा के चलते डॉ इसे अपनाने से कतराते हैं।
हम आपको बताते चलें कि एक समय ऐसा आएगा जब कोरोना का इलाज सर्दी जुकाम की तरह किया जाएगा। यह अक्सर फैल जाया करेगा। अधिकांश लोग घरों में ही काढ़ा पीकर ठीक हो जाया करेंगे।
भारत पहला देश है जहां कोरोना के लिये आयुर्वेदिक शोध की अनुमति देकर वैकल्पिक उपचार की राह खोली गई है। यह निश्चित रूप से अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होगा।
पिछले दिनों शिवप्रिया जी को गहन साधना के दौरान अतीन्द्रिय रूप से कोरोना के उपचार की सूक्ष्म जानकारी प्राप्त हुई। जिसके मुताबिक नीम, सफेद सेज (एक तरह की तुलसी), अश्वगंधा, कपूर को मिलाकर औषधि तैयार की जाए तो कोरोना का रामबाण मिल जाएगा।
आयुर्वेद के शोध कर्ताओं को इस पर काम करना चाहिये। शिवप्रिया जी ने वीडियो जारी करके उपरोक्त आधार पर ही साधकों को कोरोना सुरक्षा कवच बनाने की विधि सिखाई थी।
कोरोना खतरे से बचने के लिये सोसल डिस्टेंसिंग के साथ आगे दी बातों को परिवार सहित अपनाएं। फिर कोरोना से डरने की कोई बात नही।
★ 4 घुट गर्म पानी दिन भर में कई बार पियें। इससे नाक, मुंह से भीतर गए कोरोना वायरस गले में ही खत्म हो जाएंगे। कोरोना वायरस गर्म पानी के तापमान पर मर जाता है। अगर बच भी जाये तो पानी उसे गले से बहाकर पेट में ले जाता है। वहां मौजूद एसिड उसे मार देते हैं।
★ तुलसी, अदरक, मुलैठी आदि का काढ़ा रोज पियें।
यह तीनों ही चीजें सूखे, जमें बलगम को खत्म करने में सक्षम हैं। संक्रमण को खत्म करने में सक्षम हैं।
★ कपूर लौंग की पोटली बनाकर उसे कुछ कुछ समय में सूंघते रहें। यह वायरस का संक्रमण खत्म करता है।
★ कोरोना की आशंका लगे तो दिन में कम से कम 4 बार  गरारे करें और स्ट्रीम लें। इससे नाक, मुंह, गले में पहुंचा कोरोना वायरस खत्म होगा। साथ ही फेफड़ों में बलगम का जमाव कंट्रोल होगा। सांस लेने की समस्या पर नियंत्रण होगा।
अगर प्रयोग किया जाए तो 100 में से 90 कोरोना प्रभावितों को उपरोक्त विधि से राहत दी जा सकती है। डॉ ऐसा करें या न करें किंतु जो प्रभावित हैं वे इसे जरूर अपनाएं। सामान्य लोग भी इसे अपनाएं ताकि कोरोना उन पर हमला ही न कर सके।
!! शिव शरणं !!
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