Life with Corona-2: लोग मानसिक मौत मर रहे हैं

life with corona 2

[Ram Ram Guruji. Kedarnath Sadhana mein darshan to nhi hua lekin Guruji corona k darr ne mujhe jinda laash bana diya tha. Sadhana k parinam ne mujhe pura badal diya Guruji. Aab mai darti nhi hu. Mann mein umang h aur bohot accha feel kr rhi hu Guruji. Shiv Guruji ki aur Gurudev ki kripa Yu hi bani Rahe sabhi par. यह बात महाराष्ट्र की एक साधिका रमा राठी ने हमें लिखकर भेजी है। जो इस बात का प्रमाण है कि कोरोना की दहशत ने लोगों को जीते जी मार दिया है। डाक्टरों ने लोगों में फैली इस दहशत को कोरोना डिप्रेशन का नाम दिया है। कोरोना से ज्यादा खतरनाक कोरोना की दहशत है। इससे बचेंगे तो ही कोरोना से जीत पाएंगे]

सभी अपनों को राम राम
मृत्युंजय योग के साधक इन दिनों घरों से केदारनाथ भगवान की साधना कर रहे हैं। दिये गए विधान को अपनाकर उनका सूक्ष्म शरीर केदारनाथ धाम पहुंचकर शिवार्चन सम्पन्न करता है। यह मानस साधना का विज्ञान है। साधिका रमा राठी ने लिखा है कि इस साधना से वे दूसरे साधकों की तरह भगवान के दर्शन तो नही कर सकीं किंतु कोरोना के भय से मुक्त हो गई हैं। कोरोना के डर ने उन्हें जिंदा लाश बना दिया था। अब वे इससे नही डरतीं। क्योंकि उनके मन में उमंग का संचार हो गया है।
आज हर व्यक्ति को एेसी उमंग की जरूरत है जो आशंकाओं से बाहर ले आये। डर से बाहर ले आये। इसके लिये तरीका कोई भी अपनाया जाये। किंतु इस पर काम किये जाने की अनिवार्यता आन पड़ी है। corona k darr ne mujhe jinda laash bana diya tha- पढ़ी लिखी और समझदार महिला रमा राठी का यह वाक्य दुनिया के अनगिनत लोगों की आपबीती है। लोग मानसिक मौत मर रहे हैं। यह बड़ी चिंता की बात है।
घरों में बंद जिज्ञासु लोगों के लिये मनोरंजन का केंद्र खबरें बन गई हैं। लम्बे समय से न्यूज चैनल, सोसल मीडिया, अखबार कोरोना गाथा में डूबे हैं। हर दिन त्राहि त्राहि की खबरों को प्राथमिकता मिल रही है। चिकित्सा जगत की नाकामी की खबरें हर दिन देखनी सुननी पड़ रही हैं। चारो तरफ मौत और निराशा को हाईलाइट किया जा रहा है।
यह स्थिति किसी का भी हौसला तोड़ देने के लिये काफी है। लाखों लोग रमा राठी जैसी मनोदशा में पहुंच गए हैं। जिंदा लाश की तरह।
डाक्टर और मनोविज्ञानी इस बात को लेकर बहुत चिंतित हैं। उन्होंने इसे कोरोना डिप्रेशन का नाम दिया है। उनका मत है कि कोरोना डिप्रेशन से उबरने के उपाय न किये गए तो करोड़ों लोग मानसिक मृत्यु के शिकार होंगे। यह गिनती कोरोना से मरने वालों की तुलना में कई गुना ज्यादा होगी। एेसे लोग जिंदा रहते हुए भी खुद के लिये, परिवार के लिये, समाज के लिये, देश के लिये मरे जैसे होंगे। उनमें नकारात्मकता इस कदर व्याप्त हो जाएगी कि उनके साथ रहने वाले दूसरे लोगों के भी मानसिक बीमारियों से ग्रसित होने का खतरा होगा। यह संक्रमण कोरोना से कई गुना ज्यादा घातक शाबित होगा। कोरोना चला जाएगा, किंतु एेसे लोग फिर भी बीमार ही रहेंगे।
इस तरफ तुरंत योजना बनाकर काम करना होगा। देर हुई तो दहशत में डूबी आधी पीढ़ी मानसिक मृत्यु की शिकार होगी।
जब कोरोना के साथ जीना है तो सबसे पहले उसके डराने वाले पहलू को बढ़ा चढ़ाकर बताना रोका जाये। सभी तरह की जरूरी सावधानी बरती जाए किंतु कोरोना के रोगियों और मौतों की गिनती को सार्वजनिक करना बंद किया जाए। इससे लोगों के दिल दिमाग में डर बढ़ता जा रहा है।
कोरोना के दूसरे पहलू पर चर्चा शुरू की जाये। लोगों के बीच हाईलाइट किया जाये कि रोज कितने लोग ठीक हुए। बताया जाए कि हर खांसी कोरोना नही होती। हर जुकाम कोरोना नही होता। सबसे बड़ी बात कि हर कोरोना जान नही लेता।*
भले ही आधुनिक मेडिकल विज्ञान अभी तक कोरोना का तोड़ नही निकाल पाया है। मगर सम्भावनायें खत्म नही हुई हैं। आधुनिक मेडिकल साइंस के अलावा भी चिकित्सा जगत में कई महत्वपूर्ण विज्ञान हैं, जो सदियों से रोगों को ठीक करते आये हैं। असंख्य लोगों ने अब तक उनका लाभ उठाया है। कोरोना में भी उनका लाभ उठाने की दिशा में बढ़ना चाहिये।
हमारा देश जड़ी बूूटियों और अध्यात्म का देश है। यहां के आयुर्वेद और योग के विद्वानों को अपनी क्षमताओं को दिखाने का अवसर दिया जाये। जब मै कहता हूं कि आने वाले समय में लोग घरेलू काढ़ा पीकर कोरोना से ठीक हो जाया करेंगे। तो इसके पीछे इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक) सिस्टम का सक्षम विज्ञान शामिल होता है। आने वाली पीढ़ियां इसे अक्षरशः सही पाएंगी।
एक बड़ी सच्चाई यह है कि हमारे देश में कोरोना मरीजों की जितनी गिनती अब तक की गई है उससे कई गुना ज्यादा लोग घरों में ठीक हो चुके हैं। क्योंकि हमें दादी, नानी के नुस्खे विरासत में मिलें हैं। जो कैसी भी सर्दी-खांसी, गले-छाती, फेफड़ों के इंफेक्शन पर सैकड़ों साल से कारगर साबित होते आये हैं। लोग उनका उपयोग कर रहे हैं। भारत सरकार के आयुष विभाग द्वारा जारी नुस्खों का उपयोग कर रहे हैं। वे भी प्रभावी हैं। आश्चर्य की बात है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी जी द्वारा बढावा दिये जाने के बाद भी आयूष विभाग के नुस्खे लोगों पर लागू कराने में अकारण झिझक दिखाई जा रही है। जगहँसाई की गैरजरूरी डर के मारे एक सक्षम विज्ञान की अनदेखी की जा रही है।
कोरोना छुआछूत का रोग है। इससे बचने के लिये भारतीय संस्कृति पर लौट आने भर से काम चल जाएगा। अभिवादन में नमस्ते कर लें। प्रेम में लिपटना-चिपकना बंद कर दें। शारीरिक सम्बंधों में ईमानदारी बरतें। दूसरों का जूठा खाने पीने से बचे। किसी के मुंह के सामने बोलने, खांसने, छींकने की अशिष्टता न करें। किसी भी चीज को छूने के बाद हाथ धो लें। जूते घरों से बाहर उतार दें। घर लौटने पर हाथ पैर जरूर धोयें। यकीन मानिये अगर इतना कर ले गए तो छूत का यह रोग आपको छू न पाएंगा।
कोरोना और कोरोना डिप्रेशन खत्म करके सेहत और समृद्धि बनाये रखने के लिये अध्यात्म विज्ञान के सक्षम पहलुओं पर हम आगे विस्तार से चर्चा करेंगे। कोरोना बचाव के लिये फिलहाल नमक के पानी से नहाकर रोज अपने आभामंडल से नकारात्मक उर्जाओं का निष्कासन करते रहें। हल्दी और तुलसी, अदरक को किसी भी रूप में खा पीकर शरीर से रोगाणुओं को रोज खत्म करते रहें। भारीपन और चिड़चिड़ाहट खत्म करने के लिये किसी बर्तन में पानी भरकर उसमें थोड़ा कपूर डालकर घर में रखें।
अगर किसी को कोरोना हो भी गया है तो भी घबरायें बिल्कुल नहीं। सबसे पहले रोग दूसरों में न फैले, इसकी सामाजिक जिम्मेदारी सुनिश्चित करें। इसके लिये सरकारी गाइडलाइन का पालन करें। रोगी को एस.सी., कूलर के सीधे समपर्क से अलग रखें। हर दो घंटे में आधा कप चाय जैसा गर्म पानी पिलाते रहें। दिन में दो बार गरम पानी या गरम दूध में घोलकर एक चम्मच हल्दी पिलायें। 3 बार तुलसी, अदरक, मुलैठी, काली मिर्च वाला काढ़ा पिलायें। तेज असर के लिये मिल जाये तो सतावर का काढ़ा भी पिलायें। दिन में 3 बार गर्म पानी के गरारे करायें। हर 3 घंटे पर केतली जैसे किसी बरतन से मुंह के द्वारा मुलैठी वाले पानी की स्ट्रीम दें। यह स्ट्रीम गले से फेफड़ों तक जमें बलगम की सफाई करने में सक्षम है। इसका तापमान कोरोना वायरस को मार देने में सक्षम है। बुखार तेज लगे तो गिलोय या नीम के पत्तों का सेवन करायें। कमजोरी ज्यादा लगे तो दूध के साथ अश्वगंधा दें। कोरोना प्रभावित को प्राणायाम और अनुलोम विलोम करायें। मौसमी वायरल सामान्य रूप से ठीक होने में 5 दिन का समय लेता है। कोरोना कट्रोल की मियाद इससे भी कम होगी।
इसके साथ ही डाक्टर रोगी का जो भी इलाज करना चाहें उन्हें करने दें।
कोरोना का खतरा नानवेज खाने वालों और ए.सी. में रहने वलों को अधिक है इसके वैज्ञानिक पक्ष पर हम आगे चर्चा करेंगे।
क्रमशः
।। शिव शरणं ।।