कोरोना: कलयुग का कुचक्र

Kalyug ka rakshash 3

कोरोना: कलयुग का कुचक्र
पूजाघरों में तालाबंदी, शराब की दुकानें खुलीं

सभी अपनों को राम राम
कोरोना ने कलयुग के प्रंचड स्वरूप को सामने ला दिया है । सभी पूजा घर बंद है और शराब की दुकानें खुली हैं। दुनिया ने ऐसी मजबूरी कभी नहीं देखी जब मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे चर्च सहित सभी पूजा घरों में श्रद्धालुओं पर पाबंदी हो और शराब की दुकानों पर लंबी लाइनें हैं। मानो इस काल में सबसे पुण्य का कार्य शराब पीना ही रह गया हो।
मानवता ने हजारों बार महामारियां और दूसरी भयानक विपदाओं को झेला है। करोड़ों जानें गंवाई हैं। मगर कभी ऐसा सुनने में नही आया जब पूजाघरों में तालाबंदी के साथ शराब की दुकानें खोल दी गयी हों। यह मजबूरी भयानक खतरे का संकेत है। खतरा नैतिकता व अनैतिकता के बीच असंतुलन का। खतरा युगों से अध्यात्म के गुरु रहे हमारे देश की अमूल्य छवि के बिगड़ने का है।
यह कलियुग का कुचक्र है। जिसके प्रभाव से उत्पन्न परिस्थितियां असरदार पदों पर बैठे लोगों को कुछ ऐसे निर्णय लेने के लिये मजबूर कर रही हैं, जिनसे वे खुद भी खुश नही।
मजबूरी जो भी हो लेकिन दुनिया की निगाह में हमारे देश की छवि निश्चित रूप से प्रभावित होने जा रही है। दुनिया ऋषियों के देश भारत की तरफ अध्यात्म की अगुवाई के लिए निगाहें गड़ाए बैठी रहती है। दुनिया भर से हर साल लाखों लोग भारत में नैतिकता और अध्यात्म सीखने की उम्मीद से आते हैं। वही दुनिया टीवी समाचारों में, सोशल मीडिया में आई तस्वीरों से ऐसा सोच बैठे कि अब यह शराबियों का देश हो गया है। यहां की सरकारें शराब से चलती है। तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं।
पुराने समय में कभी जब राक्षस इस धरती पर कब्जा कर लिया करते थे तब पूजा स्थल, धर्म के स्थल अपने कब्जे में लेकर वह बंद करा दिया करते थे। चारों तरफ अधर्म की गतिविधियां चलती रहती थी। बढ़ती रहती थीं। आज धरती पर पूजाघरों में तालाबंदी और शराब की दुकानों में लोगों की भीड़ कुछ इसी तरह का अहसास करा रही है।
कोरोना के बीच शराब की दुकानें खुलने के दूसरे दिन कानपुर के श्यामनगर में एक मजदूर ने अपनी पत्नी को मार मारकर अधमरा कर दिया। क्योंकि वह घर में बचे आखिरी 200 रुपये उसे शराब खरीदने के लिये नही दे रही थी। वह उन रुपयों से बच्चों के लिये राशन खरीदना चाहती थी। ताकि लॉक डॉउन में उसके बच्चे भूखे न रह जाएं।
अनैतिकता हावी हो रही है। उस पर सवार अधर्म पैर पसार रहा है। यह इस बात का संकेत है मनुष्य प्रजाति पर मुसीबतें और विकराल होने वाली हैं।
सभी को कठिन परिस्थितियों में धैर्य को अपना पहला हथियार बनाना चाहिये। बहुत सोच विचार की जरूरत नजर आ रही है । एक बार हमारे देश की छवि दुनिया की निगाहों में, आने वाली पीढ़ियों की निगाहों में बिगड़ गई बदल गई तो सदियां भी उसे संवार ना पाएंगी।
!! शिव शरणं!!

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