Life with Corona-1: सेहत भी समृद्धि भी

life with corona
सेहत भी समृद्धि भी-1
[कोरोना मनुष्यों से मनुष्यों में बहुत तेजी से फैलता है यह सच है। किंतु यह हर रोगी की जान ले लेगा यह सच नही है। कई बीमारियां हैं जिनके रोगियों की मृत्यु दर कोरोना से कई गुना ज्यादा है। इस सच्चाई को जान और मान लेने के बाद ही कोरोना का सही समाधान मिल पाएगा]

सभी अपनों को राम राम
दुनिया कह रही है अब हमें कोरोना के साथ जीना होगा। हमने इसे शुरूआत में ही कहा था। कोरोना हर सीजन में वायरल फीवर फ्लू की तरह आता जाता रहेगा। अब में और तब में फर्क सिर्फ इतना होगा कि अभी मरीजों को वेंटीलेटर की तरफ ले जाया जा रहा है, तब लोग घरेंलू काढ़ा पीकर या गली मोहल्ले के डाक्टरों की दवा लेकर ठीक हो जाया करेंगे। अभी मरीजों की गिनती की जा रही है तब गिनने की जरूरत नही महसूस होगी। अभी कोरंटाइन किया जा रहा है तब घर रहकर लोग खुद को ठीक करेंगे। पहले यह कोल्ड-कफ, फ्लू, निमोनिया था, अभी यह कोविड 19 है, आगे यह कोरोना फ्लू होगा। अभी इसके इलाज पर 5 हजार से 25 हजार रुपये तक रोज का खर्च आ रहा है, तब 100 रुपये से भी कम खर्च आएगा। अभी लोगों में इससे मरने का भय है, तब लोग इसे मामूली बीमारी मानेंगे।
सवाल है कि एेसा होगा कब?
इसके लिये किसी तारीख की जरूरत नही। जरूरत है अपने आप को तैयार करने की। तैयार होना है सेहत के लिये भी और समृद्धि के लिये भी।
बड़े धैर्य के साथ कोरोना का आकलन करें, स्थितियों को समझें और खुद को तैयार करें।
एक भयानक सवाल है कि आने वाले दिनों में कोरोना इतना आसान होगा तो अभी इससे इतनी अधिक मौतें क्यों हो रही हैं?
जवाब है हड़बड़ी और अज्ञानता।
दुनिया कोरोना और उसके इलाज को लेकर हड़बड़ी में है। चीन ने जिस शातिराना तरीके से कोविड 19 के नाम से दुनिया के सामने कोरोना को परोसा उससे चिकित्सा जगत की हड़बड़ी जायज है। सभी इस बीमारी की प्रवृत्ति और इलाज के प्रति अज्ञानता दर्शा रहे हैं। इसी हड़बड़ी और अज्ञानता में वे कोल्ड-कफ के इलाज का मुख्य पहलू भूल बैठे हैं।
सर्दी खांसी फ्लू से बचने के लिये जितनी जरूरी दवायें होती हैं उससे भी ज्यादा जरूरी परहेज होता है। इसका पहला परहेज है ठंडी चीजों का सेवन और ठंडे वातावरण से बचना। ठंडा वातावरण इन बीमारियों के लिये अत्यधिक घातक होता है।
हड़बड़ी इतनी है कि कोई इस पर विचार भी नही कर रहा। यदि इस पर रिसर्च की जाये तो पता चल जाएगा कि कोरोना को डील करने में सबसे बड़ी गलती कहां हुई। कुछ मरीजों को बिना एयरकंडीशन के उपचारित करके उन पर रिसर्च करें। चौंकाने वाले नतीजे मिलेंगे।
आज अस्पतालों में एयरकंडीशन के बिना काम की कल्पना भी नही की जा सकती। इसलिये इस तरफ गम्भीरता से ध्यान नही दिया जा रहा। जब दिया जाएगा लोग खुद परिणाम देखेंगे। अभी जब भी कोई इसकी चर्चा करता है तो उसे यह कह कर चुप करा दिया जाता है कि कोविड 19 सर्दी खांसी की बीमारी नही है, यह तो बहुत बड़ी चीज है। कोरोना को बहुत बड़ी चीज मानने वालों का बहुमत है इसलिये अभी सिर्फ उन्हीं की सुनी जा रही है। चिकित्सा के कुछ विद्वान कहते हैं फीवर का टेंपरेचर कंट्रोल करने के लिये ए.सी. का उपयोग गलत नही। यहां याद रखना होगा कि बुखार बीमारी नही बल्कि इस बीमारी का लक्षण है। लक्षण को कंट्रोल करने की बजाय फोकस उसका कारण बनी बीमारी की प्रकृति पर होना चाहिये।
जिन लोगों को घरों में कोरेंटाइन किया जा रहा है वे ए.सी., कूलर के बिना खुद को उपचारित करें। नतीजे सुखद ही मिलेंगे।
सेहत के लिये अपनी रोग प्रतिरक्षा क्षमता को मजबूत करें। समृद्धि के लिये अपनी कर्म क्षमता को मजबूत करें। इन्हें आसानी से कैसे करें, इस पर आगे विस्तार से चर्चा करेंगे। फिलहाल नमक के पानी से नहाकर रोज अपने आभामंडल से नकारात्मक उर्जाओं का निष्कासन करते रहें। हल्दी और तुलसी, अदरक को किसी भी रूप में खा पीकर शरीर से रोगाणुओं को रोज खत्म करते रहें।
असहाय कर देने वाली इस महामारी के काल में सेहत और समृद्धि को कैसे बचायें रखें, इसके असरदार भौतिक और अध्यात्मिक साधनों की जानकारी हम आगे शेयर करेंगे।
क्रमशः।
।। शिव शरणं ।।