शिवप्रिया की शिवसिद्धि…7
सौंदर्य की देवी ने चिर यौवन का फार्मूला दिया
[शिव मूर्तियों की गोद में ऋषि मुनि साधना करते दिखे. एक मूर्ति की गोद में शिवप्रिया भी बैठ गईं. मंत्र जप जारी रहा. यह फोर्थ डाइमेंशन अर्थात् चतुर्थ आयाम की दुनिया थी. इसे सिद्धों की दुनिया भी कहा जाता है. विद्वानों द्वारा प्रायः इसकी उपस्थिति हिमालय में बताई जाती रही है. भगवान शिव को यहां का सर्वे सर्वा माना जाता है. यह इंशानी आयाम थर्ड डाइमेंशन से एक आयाम ऊपर की अदृश्य दुनिया है. यहां का साइंस बहुत आगे है. अदृश्य ऋषियों द्वारा दुनिया की भलाई के लिये समय समय पर इंशानी दुनिया की सक्षम प्रतिभाओं को चयनित करके वहां ले जाया जाता है. उन्हें साधनायें कराई जाती हैं. देव कार्यों के लिये प्रशिक्षित किया जाता है. वे उन्हें वहां सूक्ष्म रूप से ले जाते हैं.]
सभी अपनों को राम राम
शिवप्रिया की गहन साधना काफी साधकों के लिये प्रेरक सिद्ध हो रही है. इस बीच उनकी साधना में 10 अन्य सक्षम साधकों को शामिल किये जाने का आदेश हुआ है. जो अंतिम 7 दिन अर्थात् 20 मार्च से 26 मार्च तक साधना में शिवप्रिया के साथ साधना करेंगे. यह आदेश 10 वें दिन की साधना में दिया गया. उस दिन उन्हें साधना के समापन का विधान बताया गया. समापन के दिन 7 होंगे. सभी 10 साधक अपने साथ 20 अन्य साधकों के सूक्ष्म शरीर अपने सूक्ष्म शरीर में आमंत्रित करके साधना में शामिल होंगे. अर्थात् सूक्ष्म रूप से उन 7 दिनों रोज 221 साधक साधना कर रहे होंगे.
जो बड़ी साधनायें या तपस्यायें करते हैं वे शिवप्रिया को कल मिले उक्त आदेश का मतलब भलीभांति जानते हैं. किसी की साधना में इस तरह से अन्य सक्षम साधकों को शामिल करने का अर्थ होता है साधना को व्यक्तिगत से ब्रह्मांडीय स्वरूप में परिवर्तित करना. ब्रह्मांडीय स्वरूप वाली साधनायें ईश्वर की किसी बड़ी योजना का अंग होती हैं. ईश्वर द्वारा इसके लिये प्रायः उच्च स्तरीय तपस्वी चयनित किये जाते रहे हैं.
आप में से जो सक्षम साधक शिवप्रिया की साधना का अंग बनना चाहते हैं वे वट्सअप पर तत्काल अपनी सहमति भेजें. मै उनकी साढ़े तीन लाख उर्जा नाड़ियों शोधित करूंगा. सूक्ष्म शरीर को उपचारित करके साधना शक्तियों का जागरण करुंगा. उन्हें इस साधना हेतु सक्षम बनाउंगा. साथ ही अपने सूक्ष्म शरीर में दूसरे साधकों के सूक्ष्म शरीर को आमंत्रित करना सिखाउंगा. वे साधक अपने घरों से ही शिवप्रिया के साथ साधना सम्पन्न कर सकेंगे. उन्हें प्रतिदिन 1 घंटे साधना करनी होगी.
गतांक में आपने जाना…
पांचवे दिन की साधना में शिवप्रिया की सूक्ष्म चेतना बिना किसी की मदद के उच्च आयाम में प्रवेश कर गई. वहां उनके द्वारा जपे जा रहे मंत्र हवा में दिखने लगे. चारो तरफ मंत्र हवा में लिखे हुए दिखने लगे. कुछ देर बाद उनके अृश्य मार्गदर्शक ने उनसे सम्पर्क किया. उन्होंने शिवप्रिया को भगवान शिव के साथ माता पार्वती के दर्शन कराये. माता पार्वती उस समय ब्रह्मांड सुंदरी के स्वरूप में थीं. उनकी सुंदरता ने शिवप्रिया को इस कदर सम्मोहित किया कि वे पास मौजूद भगवान शिव को देखना ही भूल गईं.
अब आगे…
शिव पार्वती के दर्शन करके वे एक राह पर चल दिये. शिवप्रिया दिमाग में माता पार्वती की सुंदरता छायी थी. वे उसके अलावा कुछ सोच ही नही पा रही थीं. मंत्र जप तब भी चल रहा था. किन्तु विचारों में ब्रह्मांड सुंदरी मां पार्वती ही थीं. अभी तक उनकी सुंदरता का सम्मोहन टूट न पाया था. एक सवाल लगातार घूम रहा था इतनी सुंदरता! कैसे?
वे मार्गदर्शक शिवदूत के पीछे चलती रहीं.
कुछ दूर चलने पर उनका प्रवेश एक गुफा में हुआ. वहां बेमिसाल सुंदरता का जवाब मिला.
गुफा में सौंदर्य की देवी मिलीं. वे सामान्य वस्त्रों में थीं. अधिक आभूषण भी नही पहने थे. फिर भी उनका आकर्षण अद्वितीय था. चेहरे का तेज दैवीय था. सौंदर्य सम्मोहनकारी था. वे कुछ बना रही थीं. गुफा में आई शिवप्रिया को अपने पास बुलाया. पास आते ही उनसे अपनापन स्थापित हो गया.
शिवप्रिया ने पूछा कि वे क्या बना रही हैं. देवी ने बताया यह सौंदर्य रसायन है. इससे दैवीय सुंदरता और चिर यौवन मिलता है. इसका उपयोग सभी देेवियां करती हैं. देवी ने शिवप्रिया को सौंदर्य रसायन में पड़ने वाली सारी वस्तुवें एक एक करके दिखाईं. वे जड़ी बूटियां थीं. सबके नाम बताये. फिर उनके उपयोग का औसत बताया. उसके बाद उनके सामने रसायन बनाकर उन्हें भी उसे बनाना सिखाया.
वहां से आगे बढ़ने पर एक अन्य गुफा मिली. जहां बड़ी बड़ी शिव मूर्तियां थीं. शिव मूर्तियों की गोद में ऋषि मुनि साधना करते दिखे. एक मूर्ति की गोद में शिवप्रिया भी बैठ गईं. मंत्र जप जारी रहा. यह फोर्थ डाइमेंशन अर्थात् चतुर्थ आयाम की दुनिया थी. इसे सिद्धों की दुनिया भी कहा जाता है. विद्वानों द्वारा प्रायः इसकी उपस्थिति हिमालय में बताई जाती रही है. भगवान शिव को यहां का सर्वे सर्वा बताया जाता है. यह इंशानी आयाम थर्ड डाइमेंशन से एक आयाम ऊपर की दुनिया है. यहां का साइंस बहुत आगे है. अदृश्य ऋषियों द्वारा दुनिया की भलाई के लिये समय समय पर इंशानी दुनिया की सक्षम प्रतिभाओं को चयनित करके वहां ले जाया जाता है. उन्हें साधनायें कराई जाती हैं. देव कार्यों के लिये प्रशिक्षित किया जाता है. वे उन्हें वहां सूक्ष्म रूप से ले जाते हैं. इस पर हम कभी विस्तार से चर्चा करेंगे.
उस दिन बाकी की साधना वहीं सम्पन्न हुई.
शिव शरणं