महाशिवरात्रि: शिवार्चन

Shivarchan Mahashivratri
भगवान विष्णु भी कामनापूर्ति के लिए यही करते हैं

सभी अपनों को राम राम
जिनके जीवन के उद्देश्य पूरे नही हो पा रहे वे सावन में शिवार्चन जरूर करें। कम समय में बड़ी उपलब्धियों के लिये इससे प्रभावकारी और कुछ भी नही। विशेष रूप से संकटों से मुक्ति के लिये यह अत्यंत चमत्कारिक विधान है।
कठिन परिस्थितियों में भगवान विष्णु भी अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिये शिवार्चन करते आये हैं।
एक बार संसार में आतंकी राक्षसों ने हाहाकार मचा दिया। हर तरफ उनकी मारकाट थी। सब कुछ नष्ट करते जा रहे थे। सत्कर्म की धारा बहाने वाले संतों को खत्म कर रहे थे। देवी देवताओं को भी अपना शिकार बना रहे थे।
कई लोकों ग्रहों पर उनका कब्जा हो चुका था। शेष पर काबिज होते जा रहे थे।
मानवता खतरे में थी।
धर्म खतरे में था।
ऋषि, मुनि, देवी, देवता सब बेबस थे।
सबने भगवान विष्णु के पास जाकर रक्षा की गुहार लगाई।
भगवान विष्णु ने राक्षसों से युद्ध का एलान किया।
परंतु विजय मिलती नही दिखी।
उद्देश्य बहुत बड़ा था।
समय कम था।
तप, साधना के लिये पर्याप्त समय नही था। साधना, तप पूरा होने तक तो राक्षस सब कुछ नष्ट कर चुके होते।
ऐसे में भगवान विष्णु ने शिवार्चन का सहारा लिया।
वे शिव सहस्त्र नाम का जप करते हुए शिवार्चन करने बैठ गए। भगवान शिव के हर नाम पर कमल का एक पुष्प शिवलिंग पर अर्पित करने लगे। इस तरह एक हजार कमल पुष्प से शिवार्चन का संकल्प पूरा करना था।
अल्प समय में बड़ी उपलब्धि पाने के लिये उन्हें कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ा। शिवार्चन पूरा होने तक भगवान शिव ने उनकी भक्ति की परीक्षा लेने के लिये कमल का एक पुष्प चुरा लिया। अपनी लीला से उसी समय धरती से सभी कमल पुष्प गायब कर दिए।
बहुत खोज हुई पर एक कमल पुष्प न मिल सका।
भगवान विष्णु के आंखे बहुत सुंदर हैं, सम्मोहक हैं। इसलिये उनकी तुलना कमल के फूल से की जाती है। इसी कारण भगवान विष्णु का एक नाम कमल नयन भी है। जब कहीं कमल का पुष्प नही मिला तो कमल नयन भगवान ने अंतिम पुष्प की जगह चाकू से निकालकर अपनी एक आंख शिवलिंग पर चढ़ा दी।
इस तरह उन्होंने एक हजार कमल पुष्पों से शिवार्चन का अपना संकल्प पूरा किया।
उनकी कठिन भक्ति देखकर भगवान शिव प्रशन्न हुए। प्रगट हुए। भगवान विष्णु की आंख को वापस उनकी जगह पर लगाकर जीवंत किया। जिस तरह गणेश जी का सिर जोड़ा था।
भगवान विष्णु ने उन्हें राक्षसों के आतंक की जानकारी दी। अच्छाई की बुराई से लड़ाई में उनसे सहायता मांगी।
भगवान शिव ने प्रशन्न होकर उन्हें सुदर्शन चक्र दिया। जिसके उपयोग से भगवान विष्णु ने राक्षसों को परास्त किया।
इस तरह शिवार्चन से संसार को बड़े संकट से मुक्ति मिली।
दुनिया एक बार फिर बच गयी।
इसी तरह भगवान ने जब राम रूप में अवतार लिया तो रावण को मारने के लिये शिवार्चन का सहारा लिया।
रावण अत्यंत शक्तिशाली, प्रभावशाली और विद्वान था। वह भगवान शिव की उस सभा का सभासद भी था। जिसमें गणेश जी, माता पार्वती, स्वयं भगवान विष्णु और ब्रह्मांड को चलाने वाली अन्य प्रभावशाली शक्तियां शामिल थीं।
ऐसे में रावण को मारा नही जा सकता था।
उनके लिये रामजी ने समुद्र तट पर शिव सहस्त्र नाम से शिवार्चन किया। उस समय भी उन्हें कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ा। भगवान शिव की लीला से उस समय भी अंतिम कमल पुष्प गायब हो गया। तब रामजी ने अपनी एक आंख निकालकर अर्पित करनी चाही। क्योंकि विष्णु अवतारी रामजी को भी कमल नयन कहा जाता है।
उनकी कठिन भक्ति देखकर भगवान शिव प्रशन्न हुए।
प्रगट हुए।
रावण के वध का आशीष दिया, शक्ति दी।
जिस शिवलिंग पर रामजी ने शिवार्चन किया था, उसे अब रामेश्वरम के नाम से जाना जाता है।
कृष्ण अवतार में भगवान ने अलग शिवसहस्त्र नाम की रचा। उससे शिवार्चन के संकल्प पूरे किए।
ऋषियों मुनियों ने अनादि काल से शिवार्चन का लाभ उठाया है।

आप भी शिवार्चन का लाभ जरूर उठाएं।
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर देवभूमि हरिद्वार में एनर्जी गुरूजी द्वारा शिवार्चन का आयोजन किया जा रहा है. आप इसमें शामिल हो सकते है. इसके लिए अपना रजिस्ट्रेशन करा ले। हेल्पलाइन 9250500800

उद्देश्य और शिवार्चन के पदार्थ…
धन प्राप्ति- पिस्ता, बादाम, मिश्री दाना
यश प्राप्ति- इलायची
स्वस्थ हेतु- लौंग, बादाम
प्रतिष्ठा हेतु- काजू, इलायची, किसमिस
विद्या प्राप्ति- इलायची

Leave a comment