आज के युग में अधिसंख्य गुरु ऐसे हो गए हैं जिनसे उनके शिष्य व्यक्तिगत रूप से कभी मिल ही नही सकते। यह बहुत अनर्थकारी है। क्योंकि ऐसे शिष्य जीवन भर गुरु से मिलने के लिये छटपटाते रहते हैं। अपनी जिज्ञासाओं को लेकर इधर उधर भटकते रहते हैं। गुरु भटकाव खत्म करने के लिये धारण किया जाता है न कि भटकाव बढ़ाने के लिये। जीवन के भटकाव को खत्म करने के लिये शिव से श्रेष्ठ गुरु कोई नही। सुखी जीवन के लिये शिव को गुरू बनायें। उनसे अपने सवालों के जवाब मांगने, समस्या समाधान, कामनापूर्ति और देवदूतों की सहायता के आग्रह की तकनीक आप भी अपनायें।
सभी अपनों को राम राम।
तमाम साधकों ने भगवान शिव को गुरु बनाने की विधि पूछी है। जानना चाहा है कि इसके लिये कहां जाएं, किससे मिलें, किसे फॉलो करें ? कुछ लोगों ने पूछा है भगवान शिव को गुरु बनाने से क्या फायदा होगा?
भगवान शिव सबके हैं। सब उनके हैं। उन्हें पाने के लिये कहीं जाने की जरूरत नही। किसी से मिलने की जरूरत नही। किसी को फॉलो करने की जरूरत नही। मुझे भी नही। शिव शिष्य होने के नाते हम मात्र आपके गुरु भाई/ गुरू बहन हैं। जो शिव ज्ञान अब तक प्राप्त हुआ है उसके अनुरूप आपको विधि बता रहे हैं। जिससे आप घर बैठे ही भगवान शिव को गुरु बना लेंगे। उन्हें पा लेंगे। उनसे अपने सवालों के जवाब, समस्या समाधान, कामनापूर्ति और देवदूतों की सहायता का आग्रह कर लेंगे।
एक सवाल- भगवान शिव को गुरु बनाने की जरूरत क्यों है, इसके लाभ क्या हैं?
पहली बात तो यह कि किसी को भी लाभ के लिये गुरु नही बनाया जाता। बल्कि गुरु की सकारात्मकता प्राप्त करके लोक परलोक सुधारने के लिये गुरु धारण करने की आवश्यकता होती है। भगवान शिव से अधिक सकारात्मकता कहीं और नही। गुरु रूप में उन्हें धारण करके इस लोक के सुखों को भोगते हुए मोक्ष तक पहुंचना आसान है।
घर बैठे शिव को गुरु बनाने का विधान
किसी साफ सुथरे स्थान पर आराम से बैठ जायें. सुविधा के लिये कुर्सी, सोफे पर भी बैठ सकते हैं।
भगवान शिव से कहें, हे देवों के देव महादेव और गुरुओं के गुरू भगवान शिव आपको मेरा प्रणाम है। ब्रह्मांड के प्रति मुझसे जाने अनजाने हुए अपराधों को क्षमा करके मुझ पर प्रशन्न हों। मुझे दोष हीन करें।
मेरे अनाहत चक्र को सुखमय शिवाश्रम बनाकर उसमें विराजमान हों और सदैव यहां वास करें। (सुख और प्रशन्नता के केंद्र अनाहत चक्र में भगवान शिव की शक्तियों का वास होता है। यह मन की गति से सभी सवालों के जवाब प्राप्त करने में सक्षम होता है।)
शिष्यता का आग्रह
भगवान शिव से कहें ‘मै आपको अपना गुरू धारण कर रहा हूं, आप मुझे शिष्य के रूप में स्वीकार करें। मेरे जीवन में स्थापित हो जायें, मुझे शिव ज्ञान दें।’ (इस वाक्य को 3 बार दोहरायें )।
फिर भगवान शिव से कहें “मुझे शिष्य रूप में स्वीकार करने के लिये आपका धन्यवाद। आपको साक्षी बनाकर मै इसकी घोषणा अंतरीक्ष में कर रहा हूं, ताकि अंतरीक्ष की शक्तियां मुझे शिव शिष्य के रूप में पहचान सकें।”
फिर दोनों हाथ ऊपर उठाकर घोषणा करें, कहें ‘अखिल अंतरीक्ष सम्राज्य में मेरी घोषणा उद्घोषित है, इसे दर्ज किया जाये। शिव मेरे गुरू हैं मै उनका शिष्य हूं। शिव मेरे गुरू हैं मै उनका शिष्य हूं। शिव मेरे गुरू हैं मै उनका शिष्य हूं। तथास्तु! हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव।
उपरोक्त प्रक्रिया सिर्फ एक ही बार अपनानी है। जिस तरह कोई शरीरधारी गुरु एक ही बार कान में मन्त्र फूंककर गुरु बन जाता है। उसे बार बार दोहराने की जरूरत नही होती।
उसके बाद शिवगुरु जी से शिवज्ञान प्राप्त करने का आग्रह रोज करें, कहें “हे शिव आप मेरे गुरू हैं, मै आपका शिष्य हूं, मेरा नमन स्वीकारें। मुझे अपनी शरण में लें। मुझे शिव ज्ञान दें।”
इसे हर दिन कम से कम 5 मिनट दोहरायें।
राम नाम की गुरु दक्षिणा
भगवान शिव को राम नाम बहुत प्रिय है. वे सदैव राम नाम का चिंतन करते रहते हैं. इसलिये गुरु दक्षिणा के रूप में उन्हें रोज 10 मिनट राम नाम जरूर सुनायें. उनसे कहें, हे मेरे गुरू देव आपको प्रणाम है. आपको साक्षी बनाकर मै गुरू दक्षिणा के रूप में आपको राम नाम सुना रहा हूं. मेरे मन मंदिर में विराजमान होकर राम नाम सुने, प्रशन्न हों और मुझे निरंतर शिव ज्ञान प्रदान करें।
उसके बाद 10 मिनट मन ही मन में राम राम का जप करें।
शिव शिष्यता के नियम
भगवान शिव भोले भंडारी हैं। वे किसी पर कोई नियम नही थोपते। गलती होने पर भी अपने शिष्यों को सीख देकर सुधरने का अवसर देते हैं, सजा नही देते। वे चाहते हैं कि उनके शिष्य किसी के लिये दुख का कारण न बनें। इसलिये गिने चुने प्रतिबंध निभाने होते हैं।
1. किसी की आलोचना न करें।
2. गैर जरूरी तर्क से बचें।
शिवगुरु से अपने सवालों के जवाब का आग्रह
कोई भी शिष्य अपनी जिज्ञासाओं के लिये अपने गुरु की ओर निहारता है। उनसे अपने सवालों के जवाब पाने की उम्मीद रखता है। आप भी शिवगुरु से अपने सवालों के जवाब प्राप्त करें। उनसे पूछा गया कोई सवाल अनुत्तरित नही रहता। उचित समय पर परोक्ष या अपरोक्ष रूप से हर सवाल का जवाब मिल ही जाता है। अनाहत चक्र मन की गति से काम करता है। वहां आमंत्रित शिव शक्तियां ब्रह्मांड से सवालों के जवाब मन की गति से ले आती हैं। उन्हें डिकोड करने में जितना समय लगता है, वही समय जवाब समझ पाने में लगता है। आगे मै जो तकनीक बता रहा हूँ, उसका जितना अधिक अभ्यास करेंगे, उतनी ही सटीकता से अपने सवालों के जवाब समझ सकेंगे। यह तकनीक विश्वास और अवचेतन शक्ति कार्य विज्ञान पर आधारित है।
शिवगुरु से सवालों के जवाब पाने की विधि
सुविधाजनक स्थिति में शांत मन से बैठ जाएं। 16 बार लम्बी और गहरी सांसें लें।
फिर शिवगुरु से अपने जवाब का आग्रह करें। कहें- “हे शिव आप मेरे गुरु हैं, मै आपका शिष्य हूँ। मेरा नमन स्वीकारें। मुझे अपनी शरण में लें। मुझे शिव ज्ञान दें। आपको साक्षी बनाकर आपके समक्ष अपना सवाल रख रहा हूँ, इसे स्वीकार करें और मुझे इसके जवाब से अवगत करायें। आपका धन्यवाद।”
इसे 3 बार दोहरायें। फिर अपना सवाल कहें। ध्यान रहे सवाल स्पष्ट होना चाहिये। एक सवाल में कई सवाल शामिल न हों।
पूछने के बाद इत्मीनान से इंतजार करें। डायरेक्ट या किसी न किसी रूप में जवाब मिल जाएगा। जवाब पाने के लिये अपना टाइमटेबल निर्धारित न करें। जवाब के लिये मन में ब्याकुलता न रखें। अन्यथा अवचेतन शक्ति भ्रमित होगी, जिससे आप जवाब डिकोड नही कर पाएंगे। लगेगा कि सवाल अनुत्तरित रहा।
शिवगुरु से अपनी कामनाएं पूरी करने का आग्रह
युगों से शिवगुरु अपने शिष्यों की कामनाएं पूरी करते आये हैं।। इसके लिये सुविधाजनक स्थिति में शांत मन से बैठ जाएं। 16 बार लम्बी और गहरी सांसें लें।
फिर शिवगुरु से अपनी कामना पूरी करने का आग्रह करें। कहें- “हे शिव आप मेरे गुरु हैं, मै आपका शिष्य हूँ। मेरा नमन स्वीकारें। मुझे अपनी शरण में लें। मुझे शिव ज्ञान दें। आपको साक्षी बनाकर आपके समक्ष अपनी कामना प्रस्तुत कर रहा हूँ, इसे स्वीकार करें, साकार करें। आपका धन्यवाद।”
इसे 3 बार दोहरायें। फिर अपनी कामना कहें। ध्यान रहे कामना स्पष्ट हो। एक कामना में कई कामना न जुड़ी हों। शिव गुरु से कहने के बाद कामना पूरी होने का इंतजार करें।
शिवगुरु से अपनी समस्या समाधान का आग्रह
देवी देवता भी अपनी समस्या लेकर भगवान शिव के पास जाते हैं। आप भी उनसे अपने समाधान का आग्रह करें। इसके लिये सुविधाजनक स्थिति में शांत मन से बैठ जाएं। 16 बार लम्बी और गहरी सांसें लें।
फिर शिवगुरु से समस्या समाधान का आग्रह करें। कहें- “हे शिव आप मेरे गुरु हैं, मै आपका शिष्य हूँ। मेरा नमन स्वीकारें। मुझे अपनी शरण में लें। मुझे शिव ज्ञान दें। मै विपत्तियों, व्याधियों, समस्याओं से आहत हूँ। मुझे समस्या मुक्ति की राह देकर सफल व सुखी कर्मयोगी बनायें। आपका धन्यवाद!”
इसे 3 बार दोहरायें। फिर पूरे विश्वास के साथ शिवगुरु की तरफ से समाधान का इंतजार करें।
शिवगुरू में विश्वास का स्तर उपरोक्त विधियों के परिणामों का प्रतिशत तय करता है। बेहतर परिणामों के लिये इन्हें संसय रहित मन से अपनायें- शिव शिष्या शिवप्रिया।
आपका जीवन सुखी हो।
यही हमारी कामना है।।
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