Cosmic bath

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ब्रह्मांडीय उर्जा स्नान …


ब्रह्मांडीय उर्जा स्नान से ग्रहों के दुष्प्रभाव, वास्तुदोष के दुष्प्रभाव, जादू-टोना के दुष्प्रभाव, भूत-प्रेत की आशंका सहित कर्ज-मर्ज-कलह पैदा करने वाली सभी तरह की नकारात्मक उर्जाएं आभामंडल व उर्जा चक्रों से निकल जाती हैं। इसे आप अपनी सुविधानुसार किसी भी समय, कहीं भी कर सकते हैं। चलते फिरते न करें।

अभयस्त हो जाने पर एक्यरसाइज के अतिरक्ति ब्रह्मांडीय उर्जा स्नान की पूरी प्रक्रिया में 7 से 10 मनिट का समय लगेगा। ब्रह्मांडीय उर्जा स्नान के समय आस पास 5 फीट के दायरे में कोई और व्यक्ति न हो। टी.टी., फ्रिज, कम्प्युटर, लेपटाप, मोबाइल, टैब, ए.सी. आदि इलेक्टि्रानिक यंत्र 5 फीट के दायरे में हों तो उन्हें स्विच आफ कर दें। पंखा, कूलर, बल्ब आदि इलेक्टि्रकल उपकरण आँन रख सकते हैं। उर्जा स्नान से आधे घंटे पहले और आधें घंटे बाद कुछ न खायें-पियें।
ब्रह्मांडीय उर्जा स्नान के लिये शक्तिपात, पाताली सुरंग, संजीवनी को जान लें.
शक्तिपात क्या है…..
किसी व्यक्ति पर ब्रह्मांडीय उर्जाओं की बरसात को शक्तिपात कहा जाता है। वैसे तो बहुत बड़ी अध्यात्मिक क्षमता वाला इंशान ही शक्तिपात कर सकता है। मगर कुंडली जागरण रुद्राक्ष को गले में धारण करके कोई भी खुद पर आसानी शक्तिपात कर सकता है। क्योंकि ये रुद्राक्ष ब्रह्मांडीय उर्जा के स्रोत से जोड़कर शक्तिपात के लिये तैयार किया गया है।
संजीवनी शक्ति क्या है……
ये जीवन दायी उर्जा है। इसमें उपचार की जबरदस्त क्षमता होती है। इसे ब्रह्मांडीय उर्जा, मृत्युंजय शक्ति, दैवीय उर्जा, ईश्वरीय शक्ति, गाड की पावर, अल्ला की ताकत, प्राण उर्जा, जीवन शक्ति, कास्मिक एनर्जी के नाम से जाना जाता है। लोगों ने अपनी अपनी भाषा और जानकारी के मुताबिक इसे नाम दे रखे हैं।
पाताली सुरंग क्या है……
एनर्जी के उपाय में इसका उपयोग बार बार होगा। ये धरती की ऊपरी सतह से पाताल तक बनी काली उर्जा की एक सुरंग होती है। जो हथेलयिों से निकलने वाली दूषित और अतिरिक्त उर्जाओं को ब्लैक होल की तरह खींचकर पाताल अग्नि में ले जाकर भस्म कर देती है। इसको बनाने के लिये धरती मां से निवेदन करें।
ब्रह्मांडीय उर्जा स्नान की विधि…..
क्रिया की शुरुआत और अंत में कम से कम 5 मिनट की कोई एक्सरसाइज जरूर करें। अगर इसके बाद में चक्रों को उपचारित करना हो तो बाद वाली एक्सरसाइज सभी चक्रों को उपचारति करने के बाद करें।
प्रक्रिया में कहीं भी कल्पना न करें। उसकी जगह उर्जा विज्ञान के सिद्धांत का पालन करते हुए कामना के रूप में उर्जा शक्ति, आभामंडल व चक्रों को कमांड दें। सिद्धांत यूं है कि ये सभी कामनाओं के रूप में हमारी कमांड को स्वीकार और साकार करते हैं। जबकि कल्पना में विचारों की मिलावट हो जाने के कारण उसके पूरी होने में संसय रहता है।
इस बात का ध्यान चक्रों को उपचारित करने के समय भी रखें।
1. साफ सुथरी जगह आसन या कुर्सी या सोफे पर आराम से बैठ जायें। सोने वाले बिस्तर का प्रयोग न करें। एनर्जी रिपोर्ट के साथ मिला सिद्ध कुंडली जागरण रुद्राक्ष गले में धारण कर लें। आखें बंद कर लें। लम्बी गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। ऐसा 16 बार करें।
2. संजीवनी शक्ति से इलेक्टि्क वायलेट उर्जा की मांग करें। मन ही मन कहें- दिव्य संजीवनी शक्ति मेरे द्वारा धारण कुंडली जागरण रुद्राक्ष को माध्यम बनाकर मुझ पर बिजली की तरह से चमकती इलेक्टि्रक वायलेट उर्जा का शक्तिपात तेज धार के रूप में करें। यह उर्जा मेरे सिर के बीच में ब्रह्म चक्र से होकर पूरे शरीर में फैल जाये। आभामंडल की सभी पर्तो में जायें। सभी उर्जा चक्रों की सभी पंखुडि़यों में जायें। मेरे रोम रोम में जाये। वहां मौजूद गुस्से, तनाव, बीमारियों, ग्रह-नक्षत्र,वास्तु, तंत्र, देवदोष, पितृ दोष, ऊपरी बाधा सहित सभी तरह की नकारात्मक व बीमार उर्जा को विखंडित करे। फिर उन्हें मेरी दोनों हथेलियों से बाहर निकाल कर पाताल अग्नि में भेज दें।
3. इलेक्टि्रक वायलेट एनर्जी आसमान में चमकती बिजली की तरह होती है। कामना करें ऊपर से ऐसी ही उर्जा आप पर आकर पूरे शरीर में फैल रही है। जिसके प्रभाव से सभी दूषित उर्जाएं छिन्न-भिन्न होकर बुलबुलों के रूप में उर्जा चक्रों और आभामंडल से बाहर आ रही हैं।
4. धरती मां से निवेदन करें कि मेरे सामने जमीन पर एक फीट के दायरे में पाताली सुरंग का निर्माण करें। मेरी हथेलियों से निकलने वाली दूषित व अतिरिक्त उर्जा को पाताली सुरंग में खींचकर पाताल अग्नि में ले जाकर भस्म कर दें।
5. फिर दोनों हथेलियों को सामने आमंत्रित पाताली सुरंग की तरफ कर लें। ऐसे जैसे सामने आग जल रही हो। और आप आग ताप रहे हैं। कामना करें कि दूषित उर्जाएं आपकी हथेलियों से तेजी से निकलकर पाताली सुरंग के भीतर जा रही हैं।
6. पूर्ण सफाई के लिये अपने शरीर के 21 बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें। ध्यान केंद्रित करने का मतलब है उन अंगों के बारे में सोचते हुए उनके चक्रों की सफाई की कामना करना। उदाहरण के लिये जब हथेलियों के बारे में सोचें तो कामना करें कि दोनों हथेलियों के उर्जा चक्र कुछ देर के लिये उल्टे घूम कर साफ हो रहे हैं। (जब चक्र उल्टे घूमते हैं तो वे अपने भीतर फंसी दूषित उर्जा को निकाल बाहर फेंक देते हैं। फिर नुकसान दायक उर्जायें हथेलियों से निकलकर पाताली सुरंग में चली जाएंगी।)
ध्यान केंद्रित करने के बिंदु…..

1. सिर के ऊपर ब्रह्म चक्र, 2. माथे पर तीसरा नेत्र चक्र, 3. भौंहों के बीच में आज्ञा चक्र, 4. दोनों आंखें और उनके उर्जा चक्र, 5. दोनों कान और उनके उर्जा चक्र, 6. दोनों जबड़े और उनके उर्जा चक्र, 7. गले पर विशुद्धी चक्र, 8. दोनों कंधे और उनके उर्जा चक्र, 9. दोनों बाजू और उनके उर्जा चक्र, 10. दोनों कुहनी और उनके उर्जा चक्र, 11. दोनों हथेली और उनके उर्जा चक्र, 12. दोनों फेफड़े और उनके उर्जा चक्र, 13. छाती पर आगे पीछे से अनाहत चक्र, 14. लीवर और उनके उर्जा चक्र, 15. मणिपुर चक्र, 16. प्लीहा और उनके उर्जा चक्र, 17. नाभी और उसके उर्जा चक्र, 18. कमर, हिप्स और उनके उर्जा चक्र, 19. जांघें और उनके उर्जा चक्र, 20. दोनों घुटने और उनके उर्जा चक्र, 21. दोनों पैरों के तलवे और उनके उर्जा चक्र।


फिर इसके उल्टे क्रम में पैरों के तलवों से सिर तक ध्यान केिंद्रत करें। सिर पर पहुंचने के बाद रिलैक्स होकर बैठ जायें। खुद को दृढ़ शब्दों में मानसिक कमांड दें, कहें- मेरे सभी आभामंडल, उर्जा चक्र और रोम रोम साफ हो चुके हैं। अब वे दिव्य साकारात्मक उर्जा से भरते जा रहे हैं।
इसके लिये भगवान शिव को धन्यवाद, संजीवनी शक्ति को धन्यवाद, कुंडली जागरण रुद्राक्ष को धन्यवाद, धरती मां को धन्यवाद, एनर्जी गुरु राकेश आचार्या को धन्यवाद।
अंत में धरती मां से कहें कि सामने बनाई पाताली सुरंग को समाप्त कर दें। अगर चक्रों का उपचार भी करने वाले हैं तो उन्हें उपचारित करने के बाद ही पाताली सुरंग को समाप्त करने अनुरोध करें।
ब्रह्मांडीय उर्जा स्नान शुरू करने के कुछ ही दिनों के भीतर राहत मिलने लगेगी. चेहरे पर चमक बढ़ने लगेगी. रुकावटें हटने लगेंगी. पूर्ण परिणामों के लिये इसे करतके हुए 20 दिन हो जायें तो उर्जा चक्रों का उपचार शुरू कर दें. उसकी तकनीक आपकी एनर्जी रिपोर्ट में दी गई है. उसे ठीक से पढ़ें और अपनायें.
आपका जीवन सुखी हो बस यही हमारी कामना है.