शिवप्रिया की शिव सिद्धि…1

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शिवप्रिया की शिव सिद्धि…1

स्वप्न के साधु बनकर शिव ने साधना सिखायी

सभी अपनों को राम राम
[शिवप्रिया जी को शिव गुरू जी ने सिद्धी साधना का आदेश दिया. अपनी विदेश यात्रा स्थगित करके उन्होंने शिव सिद्धि साधना आरम्भ कर दी है. 40 दिन की इस गहन साधना में वे शिव साक्षात्कार व ज्ञात अज्ञात जानने की सिद्धि अर्जित करेंगी. देव सिद्धि अर्जित करने का क्रम कैसा होता है. इन साधनाओं की चरणवद्ध उपलब्धियां और अनुभूतियां कैसी होती हैं. यह प्रेरणा उच्च साधकों तक पहुंचे. वे भी एेसा कर सकें. इसलिये शिवप्रिया जी की साधना का व्रतांत आपके साथ शेयर करता चलुंगा।]
पिछले साल भगवान शिव ने स्वप्न में शिवप्रिया जी को गहन साधना का निर्देश दिया था. उसी वक्त साधना मंत्र और विधान भी बतलाया. तब वे शिव जी के निर्देश को समझ न सकीं. इस बीच शिवप्रिया जी ने मुम्बई के एक अस्पताल में साइकोलोजिस्ट के पद पर सेवायें शुरू कीं. वहां वे मानसिक रूप से कमजोर बच्चों का इलाज कर रही थीं. उन्हीं दिनों आस्ट्रेलिया के एक अस्पताल ने शिवप्रिया जी को साइकोलोजिस्ट के पद पर आमंत्रित किया. आस्ट्रेलिया की यह नियुक्ति 3 साल की होनी थी. दिसम्बर 19 में उसकी प्रक्रिया आरम्भ हो गई. फरवरी में उनका आस्ट्रेलिया जाना सुनिश्चित हुआ.
इसी बीच 13 फरवरी को भगवान शिव एक बार फिर शिवप्रिया जी के स्वप्न में आये. इस बार भी वे साधुवेष में थे. उन्होंने शिवप्रिया जी को गहन साधना का निर्देश दिया. स्वप्न में उन्हें साधना मंत्र और उसका पूरा विधान समझाया. वे साधना ठीक से कर सकें इसके लिये साधु वेषधारी शिव गुरू ने स्वप्न में ही उन्हें अपने साथ बैठाकर साधना करायी.
स्वप्न में साधु वेष में होने के कारण वे भगवान शिव को पहचान न सकीं. इसलिये कई बार एक ही स्वप्न के बाद भी उन्होंने साधना की बात गम्भीरता से नहीं ली. इस बार शिवप्रिया जी ने अपने स्वप्न की चर्चा मुझसे कर ली. मैने उनकी एनर्जी चेक की तो उनके आभामंडल में भगवान शिव की उर्जायें मिलीं. इसका अर्थ था कि पिछली रात के स्वप्न में शिवप्रिया जी भगवान शिव के सम्पर्क में थीं.
दरअसल उनके स्वप्न के साधु भगवान शिव ही थे. वे अपनी शिष्या शिवप्रिया जी को किसी बड़ी दैवीय योजना के लिये तैयार करना चाहते हैं.
यह जानने पर शिवप्रिया जी ने गहन साधना का निर्णय लिया. इसके लिये उन्होंने अपनी आस्ट्रेलिया यात्रा की तैयारी स्थगित कर दी. इस बारे में उन्होंने 14 फरवरी 20 को मुझसे फोन पर विचार मंथन किया. तय हुआ कि अगले दिन अर्थात 15 फरवरी 20 से वे साधना आरम्भ करेंगी.
उसी रात मैने शिवप्रिया जी की एनर्जी पर काम आरम्भ किया. शिव साक्षात्कार की गहन साधना के लिये साधक की समस्त शक्तियों का प्रवाह निर्विघ्न होना चाहिये. ताकि साधक थर्ड डाइमेंशन को पार करके उच्च आयामों में प्रवेश कर सके. शिव संहिता के अनुसार इसके लिये सुषुम्णा, इड़ा, पिंगला, गांधारी, हस्तिजिह्वका, कुहू, सरस्वती, पूषा, शंखिनी, पयस्विनी, वारुणा, अलंबुषा, विश्वादरी और यशस्विनी आदि प्रुखथ नाड़ियों सहित सभी साढ़े तीन लाख उर्जा नाड़ियों में उर्जा का प्रवाह प्रबल होना चाहिये. साथ ही सुषुम्णा नाड़ी के छह स्थानों में स्थित डाकिनी, हाकिनी, काकिनी, राकिनी और शाकिनी आदि शक्तियों को जाग्रत होना चाहिये. वहीं छह कमल भी विद्यमान हैं अर्थात मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्धि और आज्ञा स्थापित हैं। इन छह कमलों को षडचक्र भी कहते हैं। इनका सक्रिय होना भी अनिवार्य है.
शिवप्रिया जी की इन सभी उर्जा शक्तियों को व्यवस्थित करने के साथ ही मैने उनकी चित्रा नाड़ी को सशक्त किया. चित्रा नाड़ी में अमृत शक्ति का प्रवाह होता है. जिससे साधक की शक्तियां निरंतर बढ़ती हैं. देव सिद्धियों के लिये चित्रा नाड़ी की प्रबलता बडे ही चमत्कारिक परिणाम देती है.
15 फरवरी को शिवप्रिया जी ने शिव सिद्धि साधना आरम्भ कर दी. 8 घंटे प्रतिदिन की इस साधना के नियम व विधान की चर्चा हम आगे करेंगे. साधना के दूसरे दिन ही शिवप्रिया जी ने थर्ड डाइमेंशन की सीमाओं को छू लिया. आयाम बदलने की दिव्य अनुभूतियां हम कल शेयर करेंगे.
शिव शरणं।

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