कुंडली जागरण शक्तिपात विधान और नियम

kundali

सभी अपनों को राम राम
शक्तिपात को साधक घर बैठे ही अपना सकते हैं। इसके लिये रात 10 बजे। का समय तय किया है।
उस समय साधकों को कुंडली जागरण रुद्राक्ष पहनकर बैठना है। कुंडली जागरण रुद्राक्ष गुरूजी और साधकों के मध्य इथरिक लिंक स्थापित करेगा। इसी लिंक के द्वारा शक्तिपात साधकों तक पहुंचने का दैवीय आग्रह सम्पन्न होगा।
शक्तिपात की ऊर्जाओं का लक्ष्य साधकों का कुण्डलिनी चक्र होगा। जो मूलाधार चक्र के नीचे स्थित होता है। यह कुण्डलिनी को सक्रिय करता है। सक्रिय कुण्डलिनी मूलाधार, स्वाधिष्ठान, नाभि, मणिपुर आदि चक्रों का भेदन करती हुई सहस्रार चक्र की तरफ आरोहित होती है।
सभी जानते हैं कि आरोहित कुण्डलिनी साधक की अनंत शक्तियों का उयोग करके उन्हें देव समान उपलब्धियों की तरफ ले जाती है। चक्रों के द्वारा पंचतत्वों की शक्तियों का उपयोग करके सिद्धि-प्रसिद्धि, सुख, समृद्धि, प्रतिष्ठा का मार्ग प्रशस्त कर देती है।
हमें विश्वास है कि भगवान शिव आस्थावान साधकों तक कुण्डलिनी शक्तिपात का लाभ अवश्य पहुंचाएंगे।

शक्तिपात के नियम….

1.अपने पहने हुए कपड़े घर में इधर-उधर ना फेंके
2.जिस बिस्तर पर सोते हैं उठने के बाद उसे व्यवस्थित कर दें ।
3.जिस बर्तन में खाना खाएं खाने के बाद उन्हें धोने वाले स्थान पर रख दें ।
4.नहाने के समय शरीर पर कोई भी दो कपड़े अवश्य रखें ।
5.जिस कंघी से बाल संवारे उसे इधर उधर ना फेंके
6.टूटे हुए बाल और कांटे हुए नाखून इधर उधर ना फेंके।
7.जितना संभव हो सके फोन और इंटरनेट के उपयोग को सीमित करें जितनी जरूरत हो इतनी देर ही फोन पर रहें।
8.अकारण गुस्से से बचें ।
9.जो लोग आपको बेवजह गुस्सा दिलाते हैं उन्हें शक्तिपात से मिली शक्तियों द्वारा अपने अनुकूल होने का आग्रह करें ।
10.जिन लोगों से मिलने जाए उन्हें अपने अनुकूल होने का अपनी कुंडलिनी से आग्रह करें ।
11.जिस काम से बाहर जाए उस काम के पूरा होने के लिए अपनी कुंडलिनी से आग्रह करें ।
12.जिन लोगों से मिले वह आपके प्रति सम्मोहित हो इसके लिए अपनी कुंडलिनी से आग्रह करें ।
13.हर रोज आपका व्यक्तित्व आकर्षक बने और सभी लोग आपकी तरफ आकर्षित हो इसके लिए अपनी कुंडलिनी से आग्रह करें ।
14.माता लक्ष्मी और कुबेर का धन आपकी तरफ आकर्षित हो इसके लिए अपनी कुंडलिनी से आग्रह करें ।
15.कर्म क्षेत्र में आपको सफलताएं मिले इसके लिए अपनी कुंडलिनी से आग्रह करें।
16.आप अपने लिए और दूसरों के लिए हितकारी बने तन से मनसे धन से अपनी और दूसरों की सेवा करने हेतु सक्षम बने इसके लिए हर रोज सुबह अपनी कुंडलिनी से आग्रह करें।
17.आपके जीवन में सिद्धि प्रसिद्धि समृद्धि स्थापित करने के लिए हर दिन अपनी कुंडलिनी को धन्यवाद दें भगवान शिव को धन्यवाद दें और विधान से परिचित कराने के लिए मुझे धन्यवाद दें।
18.हर रोज मेरी दक्षिणा के रूप में किसी एक जरूरतमंद को मेरी तरफ से भोजन करें।

शक्तिपात ग्रहण करने का विधान…

शक्तिपात का आरम्भ- 10 दिसंबर 2019 से
शक्तिपात की अवधि- प्रतिदिन 15 मिनट।
दिशा- उत्तर की तरफ मुंह करके बैठें।
वस्त्र- मौसम के हिसाब से धारण करें।
स्थान- कहीं भी एकांत व शांत जगह।
आसान- कोई भी सुविधाजनक आसान।

शक्तिपात ग्रहण करने के लिए अपने गले में कुंडलिनी जागरण रुद्राक्ष धारण करें।
ध्यान रखें किसी अन्य रुद्राक्ष से कुंडलिनी जागरण शक्तिपात को ग्रहण नहीं करना है इसके लिए सिर्फ और सिर्फ कुंडलिनी जागरण रुद्राक्ष को ही उपयोग में लाएं क्योंकि इसी रुद्राक्ष को शक्तिपात की ओर जाएं ग्रहण करने के लिए सिद्ध करके उसकी कुंडलिनी जागरण हेतु प्रोग्रामिंग की गई है।

शक्तिपात साधना के लिये रात 10:00 बजे का समय निर्धारित है, आप 5 मिनट पहले बैठे ध्यान रखें कम से कम आधा घंटे पहले और आधा घंटे बाद में कुछ भी खाना पीना नहीं है। इसलिए शक्तिपात ग्रहण करने से पहले आधे घंटे पहले भोजन कर ले या उसके आधे घंटे बाद भोजन करें

उत्तर मुख होकर कहीं भी आराम से बैठ जाए। अपनी सुविधानुसार कोई भी आसन उपयोग में ला सकते हैं जिन लोगों को जमीन पर बैठने में असुविधा होती है वह चेयर पर या सोफे पर बैठ सकते हैं मगर जिस बिस्तर पर आप सोते हैं वहां ना बैठे।
बैठने के बाद अपने हाथों से मृत संजीवनी मुद्रा बना ले मुद्रा का चित्र हम साथ में दे रहे हैं इसे ठीक से समझें और अपनाएं।
उसके बाद शक्तिपात के लिये नीचे दिए आग्रह सम्पन्न करें।

1- शक्तिपात ग्रहण करने के लिए भगवान शिव से सफलता का आग्रह करें
कहें हे देवाधिदेव महादेव हे मेरे गुरुदेव आप को मेरा प्रणाम है आप मेरे मन को सुख में शिव आश्रम बनाकर इसमें विराजमान हो आप को साक्षी बनाकर मैं एनर्जी गुरु राकेश आचार्य द्वारा मेरी कुंडलिनी के जागरण हेतु किए जाने वाले शक्तिपात को ग्रहण कर रहा हूं इससे मेरी कुंडलिनी का जागरण हो और मेरे जीवन में सुख समृद्धि सुरक्षा स्थापित हो इस हेतु आप मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें आपका धन्यवाद
हे शिव आप मेरे गुरु हैं मैं आपका शिष्य हूं मुझ शिष्य पर दया करें मेरे द्वारा ग्रहण किए जा रहे हैं शक्तिपात को मेरे लिए कल्याणकारी बनाएं मुझ पर दया करने के लिए आपका धन्यवाद है

2- कुंडली जागरण रुद्राक्ष से आग्रह करें
कहें मेरे गले में धारण किए हुए दिव्य रुद्राक्ष आप एनर्जी गुरु जी द्वारा किए जा रहे हैं शक्तिपात को स्वीकार करें उनके द्वारा प्रक्षेपित दिव्य ऊर्जा ओं को अपने अंदर धारण करें उससे मेरी कुंडलिनी मेरे अनाहत चक्र और मेरे सौभाग्य चक्र का जागरण करें लगातार ब्रह्मांड से दैवीय ऊर्जा ग्रहण करके उनसे मेरी कुंडलिनी का जागरण करें आपका धन्यवाद है

3- अपनी कुंडलिनी से जागरण हेतु आग्रह करें
कहें मेरी दिव्य कुंडलिनी एनर्जी गुरु राकेश आचार्य जी द्वारा किए जा रहे है शक्तिपात की देवीय ऊर्जा को निरंतर ब्रह्मांड से ग्रहण करके अपने अंदर धारण करें और उससे जागृत हो जाए। मेरे मूलाधार चक्र स्वाधिष्ठान चक्र नाभि चक्र मणिपुर चक्र अनाहत चक्र सहित सभी चक्रों का भेदन करते हुए आप ऊपर की तरफ आरोहित हों और मुझे तन से मन से धन से स्वस्थ सुखी सुरक्षित बनाएं सिद्ध और प्रसिद्ध बनाएं आपका धन्यवाद है।

आग्रह के बाद मृत्युंजय प्राणायाम करते हुए शक्तिपात ग्रहण करें।
इसके लिए ॐ ह्रौं जूं सः मंत्र का जप 2 भागों में करना है।
ॐ ह्रौं जपते हुये लंबी सांस अंदर खींचनी है और
जूं सः जपते हुए सांस को बाहर निकालना है। इसे मृत्युंजय प्राणायाम कहते हैं। लगातार 15 मिनट तक मृत्युंजय प्राणायाम करके शक्तिपात को ग्रहण करना है। शक्तिपात ग्रहण करने के दौरान अपना ध्यान दोनों पैरों के बीच स्थित कुंडलिनी चक्र पर लगाने की कोशिश करें। यदि ध्यान इधर-उधर भटकता है तो भी चिंता ना करें मृत्युंजय प्राणायाम लगातार जारी रखें।
यदि इस दौरान नींद आने का एहसास होता है तो अपने आप को सोने से रोके ध्यान रखें शक्तिपात के दौरान सोना नहीं है
यदि बार-बार नींद आए तो ध्यान को कुंडलिनी से हटाकर गले में धारण किए हुए रुद्राक्ष पर लगा ले इसके बाद भी नींद आए तो रुद्राक्ष को हाथ में पकड़ कर उस पर ध्यान लगाएं।

10:15 पर अपने आप उठ जाएं इससे अधिक समय तक शक्तिपात के लिए नहीं बैठना है।शक्तिपात ग्रहण करने के तत्काल बाद सोने के लिए बिस्तर पर ना जाएं।
शक्तिपात ग्रहण करके कम से कम सौ कदम टहल लें रात्रि का समय होगा इसलिए टहलने के लिए बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है, घर के भीतर ही टहल सकते हैं।

कुंडली से आग्रह कैसे और कब करें

उदाहरण के लिए कार्य में सफलता हेतु आग्रह करना है तो निम्न प्रकार से करें।
हे मेरी दिव्य कुंडलिनी आपको मैंने एनर्जी गुरुजी राकेश आचार्य जी द्वारा किए गए शक्तिपात की ऊर्जा से सिंचित किया है । आप इस ऊर्जा को ग्रहण करके सक्रिय और आ रोहित हो जाए । आज मैं अमुक (अमुक के स्थान पर कार्य बोलें) हेतु जा रहा हूं । मेरा यह कार्य पूर्ण रूप से सफल हो इस हेतु आप इस कार्य से जुड़े हुए समस्त लोगों को मेरे प्रति आकर्षित करें, उन्हें मेरे अनुकूल करें। कार्य की सफलता के लिए समस्त आवश्यक ऊर्जा ओं को ब्रह्मांड से ग्रहण करके उन्हें कार्य में फलीभूत करें और मुझे सफल बनाएं आपका धन्यवाद

गुरूजी के साथ कुंडली जागरण शक्तिपात ग्रहण करें

हर महीने के पहले रविवार को हरिद्वार में
हर महीने के तीसरे रविवार को मुंबई में

जो साधक शक्तिपात साधना में शामिल हों वे अपना लेटेस्ट फोटो 9250500800 नम्बर पर वट्सअप करें।
आपका जीवन सिद्धियों से परिपूर्ण हो यही हमारी कामना।

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