सभी अपनों को राम राम
घर में या कार्यस्थल में वास्तुदोष हो तो उन्नति, शांति सुख मुश्किल हो जाते हैं. धनाभाव, कर्ज, कलह, बीमारियां बार बार परेशान करती हैं. मेहनत, लगन, ईमानदारी, योग्यताा, क्षमता विफल होती नजर आती हैं.
वास्तुदोष की नकारात्मक उर्जाओं का प्रहार ब्लैक मैजिक के प्रहार से कई गुना अधिक घातक होता है. क्योंकि ये उर्जायें घर के सभी लोगों को एक साथ प्रभावित करती हैं. सभी के आभांडल को एक साथ बिगाड़ती हैं. सभी के मन-मस्तिष्क को एक साथ विचलित करती हैं.
खासतौर से ईशान में स्थित शौचालय, नैऋत्य में स्थित गेट या दक्षिण या पश्चिम मुखी मकान अधिक नकारात्मक उर्जाओं से भरे होते हैं. ये उर्जायें वहां रहने वालों की उर्जाओं को लगातार बीमार करती रहती हैं. संघर्ष कराती रहती हैं.
इनसे बचने के लिये घर में तोड़ फोड़ कराना उचित नही होता.
वास्तुदोष की खराब उर्जाओं का नियमित निष्कासन ही उचित उपाय है.
एेसी स्थितियों से निपटने के लिये एक घरेलु उपाय बता रहा हूं. ध्यान से अपनायें.
इसके लिये वास्तु देव के नाम से रोज भोजन निकालें और उसे घर से बाहर चिड़ियों के खाने के लिये रखें.
साथ ही शंख में रखा पानी घर में रोज छिड़कें. नदियों के संगम की रेत घर में रखें.
*उपाय की विधि…*
1. उपाय की सफलता के लिये भगवान शिव को साक्षी बनायें. कहें- *हे देवों के देव महादेव आपको साक्षी बनाकर मै एनर्जी गुरू राकेश आचार्या जी द्वारा वर्णित विधि अनुसार वास्तु उर्जाओं को सकारात्मक बनाने हेतु उपाय अनुष्ठान कर रहा हूं. इसकी सफलता हेतु मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें.*
2. शाम को किसी शंख में पानी भरकर पूजा स्थल में रखें. शंख से सकारात्मकता की स्थापना का आग्रह करें. कहें- *हे दिव्य शंख इस पवित्र जल को मेरे घर में सुख शांति उन्नति स्थापित करने वाली उर्जाओं से उर्जित करें.*
सुबह शंख के जल का घर में छिड़काव करें.
3. जहां दो या अधिक नदियां मिलती हैं. उसे संगम कहा जाता है. संगम की मिट्टी में वास्तु शोधन का प्राकृतिक गुण होता है. किसी संगम स्थल से लगभग दो किलो रेत लाकर घर के ब्रह्म स्थान पर स्थापित करें. घर के मध्य स्थान को ब्रह्म स्थान कहा जाता है. यदि ब्रह्म स्थान खाली हो तो गड्ढ़ा खोदकर रेत उसमें दबा दें. यदि ब्रह्म स्थान खाली न हो तो रेत को किसी चीज में पैक करके वहां स्थापित कर दें.
स्थापित करने के समय रेत से वास्तु शोधन का आग्रह करें. कहें- *हे दिव्य रेत आप प्रकृति से वास्तु की सर्वोत्तम उर्जाों को ग्रहण करके उन्हें मेरे घर में स्थापित करें.*
4. घर में बने खाने से वास्तु देव का भोग लगायें. उनसे उन्नति और समृद्धि का आग्रह करें. कहें- *हे वास्तु देव आप प्रसाद ग्रहण करें. मेरे घर में शांति सुख समृद्धि स्थापित करें.*
भोग लगा खाना लगभग एक घंटे तक घर में ही रखा रहने दें. उसके बाद किसी समय उस खाने को बाहर लेकर जाकर किसी पेड़ के नीचे पक्षी भोजन हेतु रख दें. ध्यान रहे ये खाना पक्षियों के लिये अपने घर की क्षत पर न रखें. न ही घर के बरामदे आदि में रखें. इस खाने के द्वारा अपने भीतर घर के बिगड़े वास्तु की दूषित उर्जाओं को खींच लिया जाता है. यदि उसे घर के कैम्पस में ही कहीं पक्षियों को खिलाया गया तो वे उर्जायें बाहर निकलने की बजाय दोबारा वहीं बिखर जाएंगी. घर से दूर खाना रखने पर पक्षी उस खाने को खाकर उसकी उर्जाओं को अपने भीतर ले लेते हैं. फिर जब वे हवा में उड़ते हैं. तो वास्तु की दूषित उर्जायें ऊपर बिखर जाती हैं. और लौटकर उस घर में नही आ पातीं.
वास्तु शांति के लिये ये प्रयोग बड़ा ही प्रभावशाली सिद्ध होता आया है.
*सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है*.
*शिव शरणं*