इस बार देवी साधनाओं की सभी संचित उर्जाओं का उपयोग होगा

सभी अपनो को राम राम
कल से देवी आराधना शुरू, इस बार मैने कोशिश की है कि सभी साधकों को जन्म से अब की गई सभी देवी साधनाओं-आराधनाओं का फल मिल जाये.
इसी लिये शक्ति सम्मोहन पोटली का सहारा लेना पड़ा.

आप में से काफी लोग एेसे हैं जिन्होंने समय समय पर देवी आराधना-साधना की हैं, जिसमें श्री विद्या, काली साधना, दुर्गा सप्तसती, लक्ष्मी साधना, दस महाविद्याओं में से कोई महा विद्या, यक्षिणी साधना, कर्णपिशाचिनी साधना, अप्सरा साधना आदि शामिल हैं. मगर उनका वांछित फल नही मिलता. ध्यान ऱखें हर पूजा, साधना की उर्जाएं तो मिलती ही हैं. वे कम हों या ज्यादा या संतुलित.
1. जो उर्जायें संतुलित होती हैं वे तुरंत फल देती हैं.

2. जो उर्जायें अधिक होती हैं उनके फल अनिश्चित होते हैं. अधिकांश साधक इस विकार के शिकार होते हैं. क्योंकि वे खुद की साधना पर भरोसा न होने या दुष्परिणामों से परिचित न होने के कारण प्रायः निर्धारित से अधिक तादाद में मंत्र जाप आदि कर डालते हैं. कुछ लोग तो तय संख्या, समय पूरा होने के बाद भी करते ही रहते हैं. उन्हें लगता है कि जितनी ज्यादा साधना कर लेंगे उतना ही अच्छा होगा.
एेसा बिल्कुल नही है.ये नियम विरुद्ध है. इसकी सलाह नौसिखिये ही दे सकते हैं. एेसा होने से साधना से प्राप्त शक्ति की आवृत्ति परिवर्तित हो जाती है. तब उस शक्ति का स्वरुप बदल जाता है. और वो लिये गये संकल्प को पूरा करने की बाध्यता से मुक्त हो जाती है.
बात यहीं नही रुकती एेसी अनयूज्ड उर्जायें घनीभूत होकर जीवन को अधर में लटका देती हैं. इनसे मुक्त होना अनिवार्य होता है. अधिकांश साधकों को इनसे मुक्त होना नही आता.

3. साधना की उर्जायें कम होने पर वे फल नही देंती. मगर नुकसान भी अधिक नही करतीं.

आप लोगों द्वारा अब तक की गई सभी देवी साधनाओं की उर्जाओं को एक जगह एकत्र करके उन्हें संतुलित करें, फिर उनसे काम ले लें. यही सबसे उत्तम रास्ता है.
इसी को करने के लिये मुझे शक्ति सम्मोहन पोटली का सहारा लेना पड़ा. पोटली को साधकों की साधनाओं की बिखरी पड़ी उर्जाओं को समेटकर उनके उद्देश्य पूरे कराने के लिये सिद्ध किया गया है.
इस तरह के कार्य मार्गदर्शकों और गुरुओं के लिये रिस्क वाले होते हैं. इसलिये ज्यादातर गुरु इस दिशा में काम ही नही करना चाहते. एक सच्चाई और है कि बहुतेरे गुरुओं/मार्गदर्शकों को इस बारें में जानकारी ही नही है. जो इसे करते हैं वे अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हैं. इसी क्रम में पोटली या देव सम्मोहन यंत्र का सहारा लिया जाता है. मैने भी यही किया है.

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