चिकन गुनिया से बचने के लिये संजीवनी उपचार करें

चिकन गुनिया से बचने के लिये संजीवनी उपचार करें
जो चपेट में हैं वे तुलसी का काढ़ा नियमित लें.
24 सितम्बर 2016

सभी को राम राम
मै शिव प्रिया,
आज गुरु जी ने महासाधना के वाट्सएप ग्रुप में इन दिनों चल रही भयावह बीमारियों को लेकर एक मैसेज पोस्ट किया उसे मूल रूप में यहां दे रही हूं.
इन दिनों संक्रामक बीमारियां जैसे वायरल, चिकन गुनिया आदि बहुत बढ़ी हैं.
हलांकि मैने इस बारे में काफी पहले बता दिया था. ब्रह्मांड में लाल उर्जा में नीली उर्जा की मिलावट और उसका बहाव पश्चिम से उत्तर की तरफ मुड जाने के कारण एेसा हो रहा है.
जब कभी एेसा होता है तो खून व मांसपेसियों में विकार उत्पन्न होता. खून के जरिये संक्रमण तेजी से फैलता है. मासपेसियां उन्हें अपने भीतर लेकर हड्डियों तक पहुंचाती हैं. इसी कारण बीमारी का आसानी से पता नही चलता. साथ ही इस में शरीर में टूटन व दर्द बहुत होता है. इसका शिकार निढ़ाल हो जाता है.
स्वास्थ के लिहाज से ये बहुत खराब समय है.
इसके साथ ही ये मिलावट मूलाधार चक्र को बिगाड़कर लोगों का आत्मबल तोड़ देती है. जिससे लोग न सिर्फ भय व बेचैनी में रहते है, बल्कि आर्थिक रूप से भी परेशान हो जाते हैं.
इसकी चपेट में कुछ लोगों को महीनों बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है.
इस बीमारी का डा. को ठीक ठीक पता नही चलेगा. वे टेस्ट पर टेस्ट कराते रहेंगे. हर बार कुछ अलग सिम्टम्स मिलेंगे. क्योंकि बीमारी धरती की नही, बल्कि अतंरीक्ष से आ रही है. अधिक समय तक दवायें चलाने वालों को कई तरह की लम्बी बीमीरियां होने का खतरा है.
इसी से बचाव के लिये मैने दोबारा महासाधना शुरू कराई थी. जो लोग नियमित महासाधना कर रहे हैं. वे दूसरों की अपेक्षा सुरक्षित हैं.
जो लोग बार बार बीमार पड़ रहे हैं. वे ध्यान रखें कि केवल दवाओं से काम नही चलने वाला. पूरी तरह ठीक होने के लिये तुलसी का काढ़ा जरूर पियें.
तुलसी में इस बीमारी से निपटने की उर्जा उपलब्ध है. तुलसी का काढ़ा नियमित लिया जाये तो इन दिनों चल रही बीमारी प्रभावी नही हो सकती. ध्यान ऱखें हम यहां तुलसी के काढ़े की बात कर रहे हैं, उसके अर्क की नहीं.
जो अधिक परेशान हैं वे संजीवनी उपचार का तुरंत सहारा लें. संजीवनी उपचार से प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत कर दिया जाये. तो ये बीमारियां निष्प्रभावी हो जाती हैं.

आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.

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