ब्रह्मांड विलय साधना
प्रणाम मै शिवांशु
इस बार मै अपनी साधनाओं के बीच आने वाले मनोभावों की भी चर्चा करूँगा. ताकि उच्च साधनाओं की राह पर बढ़ रहे साथी जब उन मनोभावों से गुजरें तो उन्हें सम्भलने में मदद मिल सके।
मेरी पहली सामान्य साधना में गुरुदेव ने मुझे शिव गुरु से अपने सवालों के जवाब लेना सिखा दिया। शुरू शुरू में मैने अपनी इस सिद्धी से खूब खिलवाड़ किया। ऐसे समझिये जैसे एक नादान बच्चे के हाथ बेसकीमती चीज आ गयी। और बच्चा उसे खिलौना समझकर खेले चला जा रहा हो।
जवाब हर सवाल का मिल रहा था।
जिससे मेरे हौसले बढ़ते गए। मै अपनी तमाम गैर जरूरी जिज्ञासाओं को भी शिव गुरु के समक्ष रखने लगा। मनाही के बावजूद दिन में कई कई बार उनके समक्ष सवाल रख देता।
जवाब आते रहे। बहुत मजा आ रहा था। मै खुद को सब कुछ जान लेने वाला ज्ञाता समझने लगा।
गुरुवर ने सिर्फ अपने बारे में ही सवाल पूछने की अनुमति दी थी। उतावलेपन में कुछ समय बाद मै अपने अलावा दूसरों के बारे में भी शिव गुरु के समक्ष सवाल रखने लगा।
जवाब मिलते रहे।
मगर शायद मैंने अति कर दी।
एक दिन शिव गुरु से जवाब मिलने बन्द हो गए।
मै बेचैन हो गया।
घबड़ाकर गुरुवर को बताया।
वे समझ गए कि मैंने गड़बड़ कर दी है।
इस बारे मेँ कुछ न बोले। बस मुझे उच्च साधना की तैयारी करने का आदेश दिया।
जिसके तहत अगले एक माह तक मौन रहना था।
साथ ही 27 दिन भोजन नही करना था। सिर्फ दूध व् बादाम का ही सेवन करना था।
दूध पीना मुझे बचपन से ही पसंद न था। मेरी दादी दिन भर दूध का गिलास लेकर मेरे पीछे दौड़ती रहती थीं। बचने के लिये मै तमाम तरह के ड्रामे किया करता था। अब लगा जैसे दूध अपनी उपेक्षा का बदला लेने को तैयार है।
इससे पहले मै सोने के आलावा कभी 2 घण्टा भी मौन न रहा था। चुप रहना मुझे सबसे बड़ी सजा लगती थी।
भूख तो मुझे बिलकुल भी बर्दास्त न थी।
दोनों ही बातें मुझे डरा रही थीं।
मन में एक विश्वास था कि गुरुदेव मुझे बहुत स्नेह करते हैं। इसलिये भूख से मेरी मृत्यु न होने देंगे। बस यही एक बात थी जिसके बूते मै खुद को तसल्ली दे रहा था।
अपनी स्थिति को लेकर मै सशंकित था। सो इस बारे में शिव गुरु से कई बार सवाल किये। सोचा था भोले बाबा है। मेरी गलतियां भूल चुके होंगे। अब भारी समय में तो काम आ ही जायेंगे। मगर वे कुछ न भूले थे। उनका कोई जवाब न आया।
मै भय युक्त आशंकाओं से घिरा था।
पर गुरुवर का आदेश न बदला।
मैंने उच्च साधना की तैयारी शुरू कर दी। अगले दिन से मेरा मौन शुरू होने वाला था।
…. क्रमशः !