चैप्टर 12
संजीवनी शक्ति उपचार- सुख, समृद्धि, सुरक्षा का वरदान
संस्थापक एवं लेखक- एनर्जी गुरू राकेश आचार्या
अब जान लेते हैं कि उर्जा चक्र बिगड़ते कैसे हैं।
इससे पहले जानना जरूरी होगा कि उर्जा चक्रों का तकनीकी कार्य क्याहै। ये अपनी धुरी पर गोल घुमते हैं। जब सीधे घूमते हैं तो बाहर की उर्जाओं को अंदर लेते हैं। जब उल्टे घूमते हैं तो अंदर की यूज हो चुकी उर्जा को बाहर निकालते हैं।
सीधे घूमने के दौरान पंचतत्वों की रंगीन उर्जाएं ब्रह्मांड ग्रहण करते हैं। उन्हें जीवन संचालन के लिए ईंधन की तरह यूज करने हेतु शरीर के अंगों को देते हैं। कुछ समय उल्टे घूमकर प्रयुक्त (यूज की हुई) उर्जा को शरीर से बाहर निकालते हैं। जिस तरह भोजन के उपयोग के बाद यूज किया हुआ पदार्थ मल, मूत्र नकारात्मक हो जाता है उसी तरह यूज हो चुकी उर्जा भी नकारात्मक हो जाती है।
अगर प्रयुक्त की हुई उर्जा को समय से हटाया न जाये तो वह चक्रों पर बाहर की तरफ से जमने लगती है। एेसे में चक्र फंस जाते हैं औऱ उनकी घूमने की स्पीड कम हो जाती है। कई बार तो इससे चक्र जाम हो जाते हैं। यह चक्रों के बिगड़ने का एक स्थिर कारण हैं। जो भले-बुरे सभी तरह के लोगों पर समान रूप से लागू होता है। यही कारण है कि कई बार सिद्ध संतों की भी मृत्यु बीमारियों या दुर्घटनाओं से हो जाती है।
मल मूत्र की तरह इस उर्जा की भी नियमित सफाई बहुत जरूरी है।
चक्रों के बिगड़ने के अन्य कारणों में गुस्सा, आलोचना, बदनीयती, नफरत, हिंसा, कट्टरता, गलत संगत, कुविचार, दुर्भावनायें, वातावरण की खराब उर्जा, खराब माहौल, दूषित या गैरजरूरी भोजन, नशेबाजी,पाखंड, गलत तरीके से किया गया पूजा-पाठ, गलत तरीके से हुई साधनाएं, गलत तरीके से किया गया ध्यान-योग, बददुवायें, ब्लैक मैजिक, ग्रह-नक्षत्र-वास्तु के दुष्प्रभाव आदि।
संजीवनी शक्ति उपचार के जरिए हम उर्जा चक्रों को सरलता से ठीक कर सकते हैं। इनमें सात चक्रों के बारे में आपने सुना या जाना होगा। ये हैं मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा और सहस्रार चक्र।
किन्तु तन, मन की निरोगता और सुखी जीवन के लिए 30 चक्रों पर सदैव ध्यान रखा जाना चाहिए। उनका ठीक रहना जरूरी है। संजीवनी उपचार में हम इन 30 चक्रों को ठीक करना सीखेंगे। इनके नाम और लोकेशन नीचे लिख रहा हूं, उन्हें याद कर लें।
01. कुण्डली चक्र
1. मूलाधार चक्र
पीठ में सबसे नीचे
2. स्वाधिष्ठान चक्र
आगे कमर से नीचे जननांगो के पास
3. नाभि चक्र
नाभि के ऊपर
4. मैगमेन चक्र
नाभि से पीछे पीठ पर
5. मणिपुर चक्र (2)
नाभि से ऊपर दोनों पसलियों के बीच
इसके ठीक पीछे पीठ पर भी
6. किडनी चक्र (2)
दोनो किडनियों पर
7. पेनक्रीयाज चक्र
पेनक्रियाज ग्लैंड
8. प्लीहा चक्र (2)
बायीं पसली के नीचे
ठीक पीठे पीठ पर भी
9. अनाहत चक्र (2)
हृदय स्थल पर
ठीक पीछे पीठ पर भी
10. थाइमस ग्लैड चक्र
थाइमस ग्लैंड पर
11. विशुद्धि चक्र
गले के बीच में
12. लघु कंठ चक्र
गले के निचले हिस्से में
13. थायराइड ग्लैंड चक्र (2)
गले के दोनो तरफ
14. जबड़ा चक्र (2)
दोनो जबड़ों पर
15. कर्ण चक्र (2)
दोनो कानों पर
16. कनपटी चक्र (2)
दोनो कनपटी पर
17. आज्ञा चक्र
भौंहों के बीच
18. थर्ड आई चक्र
माथे के बीचो बीच
19. पश्च सिरः चक्र
सिर के पीछे
20. पिनियल ग्लैंड चक्र
सिर में पिनियल ग्लैंड पर
21. मस्तिष्क चक्र (2)
सिर में दोनों तरफ के मस्तिष्क पर
22. हथेली चक्र (4)
दोनो हथेलियों में
23. कुहनी चक्र
दोनो कुहनी में आगे की तरफ
24. बगल चक्र
दोनो बगलों (अंडर आर्स्म) में
25. तलवा चक्र (4)
दोनो पैरों के तलवों में
26. घुटना चक्र (2)
दोनों घुटनों के पीछे
27. हिप्स चक्र
आगे जांघों और कमर के जोड़ों पर
28. फेफड़ा चक्र (5)
दोनो फेफड़ों पर 2 बाई तरफ 3 दाई तरफ
29. लीवर चक्र (3)
लीवर पर 2 दाई तरफ 1 बाई तरफ
30. स्टमक चक्र
पेट में ऊपर बाई तरफ
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.