विश्वमाता के सिद्ध होते ही फैसला हक में आया

विश्वमाता सिद्धी….7
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राम राम, मै अरुण
विश्वमाता सिद्धी करने वाले मृत्युंजय योग के उच्च साधकों के अनुभव रोमांचित करने वाले आ रहे हैं. 
आज मै पेशे से सरकारी इंजीनियर और समर्पित साधक अशोक मीना जी का अनुभव शेयर कर रहा हूं. निश्श्चित रूप से दैवीय कृपा के इच्छुक लोग इससे प्रेरणा ले सकेंगे.
अशोक जी की अनुभितयां उनके शब्दों में…
शिव गुरु को सादर दण्डवत  प्रणाम
परम् आदरणीय गुरुवर के चरणों मे सादर प्रणाम
विश्वमाता  के चरणों मे
दण्डवत करबद्ध प्रणाम करते हुये
आप सभी का कोटि कोटि धन्यवाद
मै अपना अनुभव इस ग्रुप के माध्यम से आप सभी को बताते हुये बहुत ही आनंदित व सुखद अनुभव कर रहा हूं
जब ज्यादातर साधक हरिद्वार पहुँच चुके थे ,मैं आयुक्तमहोदय कि अतिमहत्वपूर्ण मीटिंग मे दिल्ली कार्यालय में व्यस्त था
मेरे जाना मुझे असम्भव सा प्रतीत हो रहा था
लेकिन गुरुवर के साथ मेरे पिछले अनुभवों से मुझे अन्तरात्मा से दृढ़ विश्वास के साथ आवाज आ रही थी ,शिवगुरु व गुरुवर पर भरोसा है तो अपने आप रास्ता बना देगे
मन ही मन प्रार्थना कि गुरुवर मेरे लिए यदि विश्वमाता कि साधना के प्रति सच्ची आस्था  नजर आये व मेरे जीवन मेये महत्वपूर्ण हो तो
 मुझे जरूर जरूर सुअवसर प्रदान करेंगे अन्यथा जब गुरुवर
इस योग्य बना देंगे तब साधना करुंगा
लेकिन गुरु जी के साथ साथ कभी ना कभी विश्वमाता साधना करुंगा जरूर
आप शायद यकीन नही करोगे
आयुक्त महोदय को L.G साहब
के यहाँ जाना पड गया और
कुछ समय बाद ही मीटिंग स्थगित हो गई और
अरुण जी को भी फोन आ गया कहां पर हो , मैं दिल्ली मे ही हूँ अभी अभी फ्री हुआ हूँ ,   5-6 घण्टे लगेंगे ,
अरुण जी ने बताया कि आराम से आ जाओ 9 बजे तक पहुँचना जरूरी है
मैने मन ही मन शिव गुरु व गुरुवर को प्रणाम करते हुये धन्यवाद दिया ,
विश्वमाता को नमन किया
मन मे पूरी उमंगता व प्रसन्नता
फिर घर से जरूरत का सामान लेकर निकला तो गाड़ी में बैठते ही बारिश शुरू हो गई और पूरे रास्ते बरसती रही
रिमझिम बरसात मे ही
शिव कि पावन नगरी हरिद्वार पहुंचे
बेहद ही सुहावना व रोमांचित मौसम मे आश्रम मे पहुंचे
यह सिद्ध-महात्माओं का तपो-स्थल पर निर्मित अद्भुत व पवित्र स्थल बहुत ही लुभावना व शांतिपूर्ण वातावरणसे लबरेज था सभी सुखद शांति व आनंद महसूस कर रहे थे
सबसे मजेदार बात जो हम सबने अनुभव कि जब भी हम अलकन्दा के पावन तट पहुँचते ही एकदम से बरसात कि बौछारें मानो  सबका स्वागत करती हों
हर बार ऐसा ही हुआ
अब जाकर पता चला कि इससे हमारी साधना का समय लगभग छठा भाग ही रह गया
जिससे हम सबको six times
छ: गुना ज्यादा समय की साधना का फल प्राप्त हो सका
साधना के दौरान बहुत ही सुखद अनुभूति हुई जिनका शब्दों मे विवरण बहुत कठिन प्रतीत हो रहा है
पत्थरों कि सीढीयों पर बैठ कर कलकल करती तेज बहाव मे बहती पावन अलकन्दा ( गंगा मया  के तट) मे बैठकर मनसा माता कि ओर मुख करके जब बैठते तो
ना तो बारिश का पता चलता था
ना ही समयावधि का पता चला
आनंद व शांत क्षणों मे ना जाने
कौनसी दुनिया मे विलीन हो जाते पता ही नहीं चलता
बहुत ही सुखद अहसास का
जब तक गुरुवर हम  साधकों के हाथों में सुगंधित पुष्प का स्पर्श
ना करवा देते
ऐसा लगता इस आनन्द के क्षणों का कभी अन्त ही ना हो
सभी के चेहरों पर खुशी व सफलता कि चमक देखते ही बनती थी
कई बार पता ही नहीं चलता कि मन्त्र जप रहे थे कि आसमान मे विचरण कर रहे थे
बहुत सी बातें धीरे धीरे रह रह कर याद आ रही है
साधना के दुसरे दिन ऐसा लगा जैसे  दुर्गा मां प्रसन्न मुद्रा में आशीर्वाद दे रही हो
गुरुवर से मिलकर अनुभव बताये ,आशीर्वाद लिया तो गुरुजी ने बताया कि आज से खुद कि समस्याओं को भूल जाओ ,अपने आप हल हो जायेंगी ,केवल औरों के भले के बारे में सोचो  जो आपके पास उम्मीद लेकर आते हों
मै काफी उत्साह व आत्मविश्वास से लबरेज होकर नवरात्र के पावन व्रत को किया
ये सब हरिद्वार का अनुभव का छोटा सा भाग है
मेरे लिए तो बेहद ही सुखद साधना रही
मैने पिछले वर्ष   promotion(प्रोन्नति)  व  seniority (वरिष्ठता ) के लिए एक कोर्ट केस ढाल रखा था
और Deptt बार बार  टालम टोल का रवैया अपनाये हुआ था
इस बार दुर्गाष्ठमी के दिन तारीख थी और कोर्ट ने मेरे पक्ष मे ना सिर्फ अन्तरिम (Interim order)आदेश पास किया बल्कि विभाग पर जुर्माना भी लगाया
इसके लिये शिवगुरु,विश्वमाता व गुरुवर का कोटि कोटि धन्यवाद
सब कुछ ठीक ठीक सा होता प्रतीत हो रहा है
व हृदय से शुक्रिया
सभी साधकों को राम राम
जय माता दी.
….क्रमशः
शिवगुरू को प्रणाम
गुरू जी को प्रणाम
सभी उच्च साधकों को नमन।

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