मोक्ष महासाधना अनुष्ठान आरम्भ। 
एक सवाल के जवाब में एनर्जी गुरू जी ने आज कहा कि पितृों की पूजा, श्राद्ध, तर्पण आदि घर में बिल्कुल न करें. न ही घर में पितृों के फोटो आदि रखें. इससे उनकी एनर्जी घर में रिकाल हो जाती है. जिससे वे मोक्ष तक जाते जाते भी वापस खिंचे चले आते हैं.
एेसा करना पितृों के मोक्ष में रूकावट पैदा करता है. इसी कारण शास्त्रों में कहा गया है कि घर के भीतर काले तिल युक्त तर्पण नही किया जाना चाहिये. ये कलह, आर्थिक संकट और अनचाहे दुखों का कारण बनता है.
*तर्पण, श्राद्ध आदि श्रद्धा का विषय है न कि सुविधा का. इसलिये इसे सम्पन्न करने में अपनी सुविधा न ढ़ूंढें. उन कर्मकांडियों से बचें जो अपनी या आपकी सुविधा के मद्देनजर घर में पितृ पूजा की सलाह देते हैं*.
श्राद्ध, तर्पण सहित सभी तरह की पितृ पूजा तीर्थों या जलासयों या पुराने पेड़ों या एकांत स्थानों पर ही किया जाना चाहिये.
एनर्जी गुरू जी के मार्गदर्शन में आज मोक्ष का औरिक अनुष्ठान आरम्भ हो गया. मोक्ष अनुष्ठान 20 सितम्बर तक चलेगा. जिसमें पितृों की शांति और मोक्ष के लिये उर्जाओं का उत्सर्जन होगा. इसके लिये हर दिन मोक्षक रूद्राभिषेक, मोक्षप्रदायी जप और सदगति यज्ञ होगा. इसके साथ ही गुरू जी मोक्ष हेतु ब्रह्मांडीय उर्जाओं का प्रक्षेपण करेंगे. जो पितृों तक जाकर उन्हें संतुष्टि और मोक्ष प्रदान करती हैं.
पितृ मोक्ष अनुष्ठान के द्वारा मृत्युंजय योग परिवार से जुड़े सभी साधक अपने पितृों के निमित्त मोक्ष संकल्प ले सकते हैं.
इसके लिये उन्हें 20 सितम्बर तक महासाधना के दौरान हर रोज एक लोटे में पानी लेकर बैठना है. पानी में थोड़े काले तिल डाल लें.( ध्यान रखें तिल असली ही हों). काले तिल जल के साथ मिलकर भटक रहे आभामंडलों को एेसी अतिरिक्त उर्जायें देने में सक्षम होते हैं. जो अंतरीक्ष यात्रा में आभामंडल के लिये ईंधन की तरह काम करती हैं. उर्जा नायक श्री राकेशन आचार्या जी के मुताबिक मृत्यु के बाद भटक रहे आभामंडल को ही पितृ की संज्ञा दी गई है. श्राद्ध आदि कर्म के द्वारा उन्हें अतिरिक्त उर्जायें दी जाती हैं. जिनसे वे अपने गंतव्य तक पहुंच जाते हैं.
महासाधक पितृ पक्ष भर अपने साथ काले तिल मिला पानी लेकर बैठें. महासाधना शुरू होने से पहले शिव गुरू के साक्षी बनाकर कहें -हे गुरुदेव प्रणाम. आपको साक्षी बनाकर मै पितृ मोक्ष का औरिक अनुष्ठान कर रहा हूं. इसकी सफलता हेतु दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें. फिर रूद्राक्ष (जिसे पहनकर महासाधना कर रहे हैं) से कहें- आप एनर्जी गुरू राकेश आचार्या जी द्वारा कराये जा रहे पितृ मोक्ष अनुष्ठान की दिव्य उर्जाओं को ग्रहण करें. उन्हें इस तिल युक्त जल में स्थापित कर दें. फिर तिल युक्त जल से कहें- हे पवित्र जल मेरे द्वारा की जा रही महासाधना की दैवीय उर्जाओं को अपने भीतर धारण करें. उनसे मेरे पितृों को संतुष्ट करके मोक्ष प्रदान करें. फिर पितृों से कहें- मेरे समस्त ज्ञात अज्ञात पितृों आपको मेरा प्रणाम है. आप जहां कहीं भी हैं वहीं से मेरे द्वारा तैयार किये जा रहे मोक्षकारी जल की दिव्य उर्जाओं को अक्षय रूप से ग्रहण करें. संतुष्ट हों. मोक्ष को प्राप्त करें. मुझे दिव्य आशीर्वाद प्रदान करें.
महासाधना के बाद उस जल को किसी पुराने पेड़ की जड़ में डाल दें. रात की महासाधना कर रहे हैं तो जल अगले दिन पेड़ में डालें. आप द्वारा किया ये अनुष्ठान निश्चित रूप से पितृों को मोक्ष तक पहुंचाएगा.
जिनके घरों में या कुंडली में पितृ दोष, ऋण दोष, मंगली दोष, कालसर्प दोष, कुंडली दोष, तलाक दोष, बंधन दोष, बीमारी दोष, असफलता दोष, धनाभाव दोष हो वे पितृ मोक्ष का विशेष अनुष्ठान जरूर करें. इसे दिखावे, पांखंड की बजाय अध्यात्म विज्ञान के मुताबिक किया जाये तो पितृ मोक्ष की मंजिल मिल ही जाती है.
जिन्हें मोक्ष के विशेष अनुष्ठान की विधि नही मालुम वे मृत्युंजय योग संस्थान का सहयोग ले सकते हैं.
.. टीम मृत्युंजय योग
हेल्पलाइन न.-9999945010