
यक्षिणी साधना का 5 माला वाला सरल ऋषि विधान: शुक्रवार से साधना आरम्भ करें
ये साधना क्या दे सकती है!
● राज सुख के लिये विशेष प्रभावी
● ज्ञात अज्ञात बताने वाली यक्षिणी सिद्धि
● धन, यौवन, आरोग्य, समृद्धि, सुख प्राप्ति
● देव संपर्क की क्षमताओं की स्थापना
[सुंदरी नाम की यक्षिणी अति शक्तिशाली यक्षिणियों में से हैं। उन्हें ब्रह्मांड के सभी सुख देने में सक्षम माना जाता है। खुश होने पर देवी साधक को राजाओं जैसा बना देती हैं। यह साधना उन्हीं की है। इस विधान से नये साधक भी सरलता पूर्वक साधना सम्पन्न कर लेते हैं।]
यक्षिणी यज्ञ का संकल्प लिंक…
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साधना में इसका विशेष ध्यान रखें…
● साधना के दौरान देवी कभी भी आ सकती हैं
● आते ही उन्हें गुलाब माला पहनाकर उनसे जीवन भर साथ रहने का वचन लें
● इसलिये साधना में गुलाब की 2 माला पास रखें
● जप के दौरान घुघुरुओं की या संगीत की आवाज सुनाई दे तो विचलित न हों
● जप के समय किसी के आसपास होने या छूने का अहसास हो तो भी जप न रोकें
● किसी के पास आकर बैठने का अहसास हो तो भी जप न रोकें
किसी भी बुधवार से यक्षिणी सिद्धि साधना शुरू करें।
साधना में 9000 मन्त्र जप का विधान है। 9 दिन में जप पूरा करना होता है। हर दिन 11 माला जप करें।
ऋषि काल में साधक इसी विधान से यक्षिणी को सशरीर प्रकट कर लेते थे।
इसके लिये हर दिन 11 माला जप करके उसका दशांश हवन, तर्पन, मार्जन किया जाता है।
साधना 9 दिन की है।
जो साधक खुद हवन, तर्पन, मार्जन नही कर सकते। वे किसी विद्वान से करा लेते हैं।
आप भी ऐसा कर सकते हैं।
कोई सक्षम विद्वान उपलब्ध न हो तो संस्थान में संकल्प भेजकर यक्षिणी यज्ञ सम्पन्न करा सकते हैं।
यक्षिणी सिद्धि का सरल ऋषि विधान….
सुर सुंदरी नाम की यक्षिणी अति शक्तिशाली यक्षिणियों में से हैं। उन्हें ब्रह्मांड के सभी सुख देने में सक्षम माना जाता है। खुश होने पर देवी साधक को राजाओं जैसा बना देती हैं। देवों सी शक्तियां देती हैं।
1 – मन्त्र….
ॐ ह्रीं सुर सुंदरी आगच्छ आगच्छ स्वाहा
2- जप माला… स्फटिक या शंख माला
3- आसान… पीला या लाल
4- वस्त्र… साफ, सफेद या पीले
5- दीपक… भैस के घी का
6- भोग… दूध से बनी मिठाई
7- बलि… रोज नीबू बलि दें।
इसके लिये बेदाग नीबू को बीच से चीर दें। उसमें थोड़ा कपूर रखकर जला दें। बलि से साधना में रुकावट बनने वाली आंतरिक और बाहरी नकारात्मक उर्जायें खत्म हो जाती हैं।
इसलिये बलि मन्त्र जप शुरू करने से पहले दें।
8- योग… साधना से पहले कम से कम 5 मिनट का योग या एक्सरसाइज करें।
कुछ न आता हो तो 5 मिनट ताली बजाएं। इससे स्थूल शरीर ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं को ग्रहण करने लायक बन जाता है।
9- प्राणायाम… साधना के शुरू में 5 मिनट का प्राणायाम करें।
प्राणायाम में लंबी और गहरी सांस ली जाती है। थोड़ी देर रोकी जाती है। फिर धीरे धीरे छोड़ी जाती है। फिर थोड़ा रिलैक्स होकर इसे दोहराया जाता है।
इससे सूक्ष्म शरीर ब्रह्मांड से मन्त्र की ऊर्जाओं को ग्रहण करने में सक्षम बनता है।
10- जप की दिशा और समय…
उत्तर मुख।
इसके लिये रात 10 बजे के बाद कोई समय अधिक उपयुक्त माना जाता है। जिनके पास रात का समय नही वे सुविधानुसार कोई भी टाइम फिक्स कर लें।
11- जप संख्या… 11 माला प्रतिदिन
12- भगवान शिव को साक्षी बनाएं…
कहें हे देवाधि देव महादेव आपको प्रणाम। आपको साक्षी बनाकर मै यक्षिणी सिद्धि साधना सम्पन्न कर रहा हूँ। इसकी सफलता हेतु मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें। आपको धन्यवाद!
13- देवी का आवाहन…
शक्तिशाली और देव सुंदरी देवी रातिप्रिये आपको नमन। आप मेरे मन मंदिर में विराजमान हों। मेरे द्वारा किये जा रहे मन्त्र जप को स्वीकार करें। साकार करें। मेरे लिये सिद्ध होकर सशरीर मुझे अपने सानिध्य का सुख प्रदान करें। धन, यौवन, आरोग्य, समृद्धि, सुख प्रदान करें। राज सुख प्रदान करें।
आपको धन्यवाद!
14- मन्त्र से आग्रह…
हे यक्षिणी सिद्धि दिव्य मन्त्र
ॐ ह्रीं सुर सुंदरी आगच्छ आगच्छ स्वाहा
आपको मेरा नमन। मेरी भावनाओं से जुड़कर मेरे लिये सिद्ध हो जाएं। मुझे यक्षिणी सिद्धि प्रदान करें।
आपको धन्यवाद!
मन्त्र जप….
उत्तर मुख होकर उपरोक्त विधान पूरा करें। 11 माला मन्त्र जप पूरा करें।
मन्त्र जप आराम से करें। मन्त्र जल्दी जल्दी न जपें।
15- मन्त्र ध्यान…
जप पूरा होने के बाद माला रख दें। आंखें बंद कर लें। मन्त्र को मन में जपते हुए देवी का 10 मिनट ध्यान करें। ध्यान में सोचें कि शक्तिशाली और सुंदर देवी बादलों को चीरती हुई आ रही हैं। उनके आने से बादल गरज रहे हैं। देव संगीत बज रहा है। सुगन्ध फैल रही है। घुघरू बज रहे हैं। देवी हंसी गूंज रही है। तेज प्रकाश के साथ वे साधना कक्ष में प्रवेश कर रही हैं।
ध्यान के दौरान बहुत बार लगेगा कि देवी आ गयी हैं। आसपास टहल रही हैं। मगर आंखे न खोलें।
जब स्पष्ट लगे कि देवी ने पास में बैठकर हाथ अपने हाथ में ले लिया है। तभी आंखें खोलें।
पास रखा गुलाब का हार उनके गले में पहना दें। दूसरा हार वे साधक को पहना देती हैं। फिर पूछती हैं क्या चाहिए?
तब कहें – मुझे मां स्वरूप में आप चाहिये। वचन दें मै जब इच्छा करूँ तब आप मेरे पास आये। मेरी कामनाएं पूरी करें।
देवी वचन देकर चली जाती हैं।
वहीं से साधना पूर्ण हो जाती है।
फिर साधक जब कभी इस मन्त्र का 1 माला जप करता है तब देवी उसके समक्ष आती हैं। इच्छा पूरी करती हैं।
यदि 9 दिन पूरे होने के बाद भी देवी सामने न आएं। तो भी निराशा की बात नही।
देवी के सामने न आने पर भी
पहले चरण के पूरा होते ही साधक के जीवन में धन, समृद्धि, प्रतिष्ठा, मान, सम्मान, आरोग्य बढ़ने लगता है। देव शक्तियों की सहायता मिलने लगती है।
पहली बार में देवी के सामने आने पर इसी विधान से दूसरे चरण को दोहराएं।
ऋषि विधान में अधिकतम 4 चरण पूरे होंते होते देवी को आना ही होता है।
साधना के समय की विशेष सावधानी…
● ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य रूप से करें।
● साधना के टाइम मोबाइल ऑफ रखें
● साधना के दिनों में बहस न करें
● साधना के दिनों में आलोचना न करें
● उन दिनों हर समय सिर्फ देवी के बारे में ही सोचें। सोंचे कि आने पर उनसे क्या क्या बातें करनी हैं। क्या क्या काम लेने हैं। अपने और दूसरों के भूत, भविष्य, वर्तमान के बारे में क्या क्या जानना है। उनकी सहायता से देश और समाज के लिये क्या क्या करना है। उनसे दूसरी दुनियाओं के बारे में क्या पता करना है। उनके साथ किस किस लोक में जाना है।
विद्वान बताते हैं कि देवी साधक को अपने साथ ले जाकर विभिन्न लोकों की सैर कराती हैं।
शिव शरणं।
साधना हेल्पलाइन- 9999945010