हिमालय साधना-29 जून17
*पागल जिनके पास सिद्धी की शक्तियां हैं*
प्रणाम मै शिवांशु
इस बार की गुरुदेव की हिमालय साधना आज पूरी हो गयी। साधना के अंतिम चरण में वे ऋषिकेश आ गए। 2 दिन पहले ही मुझे उनके साथ रहने की अनुमति मिली।
इससे पहले गुरुदेव ने मुझे फाटा भेज दिया था। हम वहीं रुककर गुरुवर का इंतजार कर रहे थे। वहां से गुरुदेव तुंगनाथ जाने वाले थे। मगर भारी बरसात के चलते योजना बदली गयी।
हिमालय के ऊपरी क्षेत्रों में जगह जगह पहाड़ों के टूटने की खबरें मिलती रहीं। जिससे रास्ते रुके। ऐसे में कुछ जगहों पर तो लोगों को कई कई दिनों तक फंसे रहना पड़ता है।
केदारनाथ धाम में मौजूद गुरुवर के आध्यात्मिक मित्रों ने आगे न आने की सलाह दी।
वैसे भी गुरुदेव इस बार की साधना हिमालय की पहाड़ियों से घिरी गंगा जी की धारा में बैठकर कर रहे थे।
साधना के दौरान वे गंगा जी की धारा के भीतर बैठकर 4 से 5 घण्टे मन्त्र जाप करते थे।
हिमालय पर्वत श्रृंखला से घिरी गंगा जी की पवित्र धारा हरिद्वार और ऋषिकेश दोनो ही जगह उपलब्ध हैं। सो गुरुदेव ने इस बार की अपनी साधना का अधिकांश समय यहीं बिताया।
सिर्फ 2 दिन के लिये अधिक ऊंचाइयों की तरफ गए। वो भी मुझे उद्दंड बाबा के हवाले करने के लिये। उद्दंड बाबा दिन भर अपने शिष्यों को पीटते रहते हैं। मुझे आश्रम में पहले ही दिन पीट दिया।
चूल्हे में जलाने वाली लकड़ी की पिटाई की छाप मेरी पीठ पर खतरनाक टैटू की तरह उभर आई है।
अगले एक साल तक मुझे उनके ही आश्रम में बिताने हैं। गुरुदेव ने मुझे उनके आश्रम में रहने का निर्देश क्यों दिया है, हर दिन मारपीट करने वाले उद्दंड बाबा के पास रहकर क्या मिलेगा, ये मैं आगे बताऊंगा। क्योंकि अभी कुछ दिन मोबाइल मेरे पास हैं।
उद्दंड बाबा के आश्रम में मोबाइल रखने की अनुमति नही।
आज सुबह गुरुदेव ने ऋषिकेश के मुनि की रेती क्षेत्र में स्वामी नारायण मन्दिर के पास गंगा में बैठकर अपनी साधना का अंतिम चरण पूरा किया।
हम वहीं गंगा किनारे बैठकर उनका इंतजार कर रहे थे। मेरे साथ गंगोत्री क्षेत्र के 4 और साधक थे। वे गुरुदेव से मिलने आये।
गंगा की धारा से निकलकर गुरुदेव बिना कपड़े चेंज किये ही रामझूला की तरफ चल पड़े। सुबह से बारिस हो रही थी। सो कपड़े बदलने का कोई फायदा नही था। फिर गीले हो जाते।
हम सब भी गीले थे।
रास्ते में राप्टिंग घाट के पास हम एक टीन शेड के नीचे बैठ गए। ऋषिकेश में जो लोग राप्टिंग के रोमांच का मजा लेते हैं, उनकी राप्टिंग बोट वहीं आकर रुकती हैं। बरसात में भी रोमांच प्रिय हिम्मती लोग काफी संख्या में राप्टिंग करते दिखे।
टीन शेड के नीचे एक छोटा सा यज्ञ कुंड बना था। देखने से लगा कि उसमें यज्ञ हुये अर्सा बीत गया है। उसके पास एक गेरुवाधारी बाबा लेटे थे।
यज्ञ कुंड के दूसरी तरफ गन्दे से कपड़ों में एक व्यक्ति और लेटा था। सिर गंजा, ऊपर का बदन नँगा, नीचे अचला, एक गन्दा सा थैला।
उसने अपना सिर यज्ञ कुंड की दीवार पर टिकाया हुआ था। जैसे वो तकिया हो। थैला बेपरवाही से पैरों की तरफ पड़ा था।
वो हवा में हाथ हिलाकर खुद से बातें कर रहा था। जैसे हवा में कोई उससे मुखातिब हो। बीच बीच मे वह हंसता भी जाता। जैसे उसके साथ किसी ने मजाक किया हो।
टीन शेड के नीचे कई लोग थे। उन सबकी तरह मै भी उस व्यक्ति को पागल समझ रहा था।
गुरुदेव ने कुछ पल उसे देखा फिर उसके पास जाकर बैठ गए। उससे पूछा चाय पियोगे।
उसने गुरुवर की तरफ देखा, मगर अनदेखी सी करके फिर अपनी बातों में मग्न हो गया।
कुछ देर रुक कर गुरुदेव ने फिर उससे कहा कुछ खा लो। उसने दोबारा वैसा ही बरताव किया। देखकर अनदेखी कर दी। हम गुरुवर को देख रहे थे।
कुछ देर रुककर गुरुदेव ने दोबारा उससे बात करने की कोशिश की। इस बार उन्होंने उससे कहा इनसे पूछो कुछ खाएंगे। ये बात गुरुदेव ने हवा में उस तरफ देखते हुए कही थी जिधर इशारे करके वो व्यक्ति बात कर रहा था।
अबकी उस पर असर पड़ा। बतियाना बंद करके वो गुरुदेव को देखने लगा। थोड़ी देर चुप रहा, फिर बोला तुम तो कुछ खाते नही हो फिर मुझे क्यों खिला रहे हो।
मुझे लगा आपको भूख लगी होगी, गुरुदेव ने उसे जवाब दिया। साथ ही टोकरी लटकाकर चाय बेच रहे एक लड़के को पास बुलाया। उससे उस व्यक्ति को चाय और बिस्किट देने को कहा।
वह चाय में डुबोकर बिस्किट खाने लगा।
चाय वाले को पैसे देने के लिये गुरुदेव ने मुझे इशारा किया। साथ ही अपने आप से कहा पता नही इस लड़के की जेब में पैसे हैं भी या नहीं।
गुरुदेव की बात पर पागल बाबा ने मुझ पर एक सरसरी नजर डाली और बोला चार हजार छह सौ सत्रह रुपये बीस पैसे।
गुरुदेव ने मुझसे अपनी जेब के पैसे गिनने का इशारा किया। मैने पसे गिने और हैरान रह गया। मेरी जेब मे 4617 रुपये और 20 पैसे ही निकले। कमल का फूल छपा हुआ 20 पैसे का पीतल वाला सिक्का मैने संग्रह करने के लिये दो दिन पहले रुद्रप्रयाग की एक दुकान से खरीदा था।
हम बाबा की बात से अचंभित रह गए।
अभी हम अचम्भे से बाहर निकले भी नही थे कि फिर चमत्कृत हुए।
गुरुदेव ने मेरे साथ आये रुद्रप्रयाग के साधक जतिन को संबोधित करने का उपक्रम करते हुए ऐसे जाहिर किया जैसे उसका नाम भूल गए हों और याद करने की कोशिश कर रहे हों।
उसी बीच पागल बाबा ने हम पांचों पर नजर डाली और हमारे नाम बता दिए। जतिन, शिवांशु, नारायण, गौरीदास, राहुल।
हम सन्न रह गए।
गुरुदेव ने बाबा से पूछा कुछ और खाओगे। बदले में बाबा ने पूरे अधिकार के साथ चाय वाले की टोकरी से 2 पैकेट जीरा बिस्किट उठा लिया। उसे पता था हम भुगतान कर देंगे।
मैंने चाय वाले को पैसे दिए, उतनी देर में गुरुदेव उठकर राम झूला की तरफ चल दिये।
अचम्भे से भरे हम पांचों भी उनके पीछे चल पड़े।
जतिन ने गुरुदेव से कहा ये तो सिद्ध पुरुष हैं उन्हें छोड़कर आप ऐसे ही चले आये।
तो क्या तुम लोग उनसे रिश्तेदारी बनाना चाह रहे हो। गुरुदेव ने कहा और आगे चलते गए।
हम उनसे कुछ और जानकारियां ले सकते थे। नारायण जी ने कहा। दरअसल हम सब बाबा के कुछ और चमत्कार देखना चाहते थे।
मगर गुरुवर नही रुके।
उन्हें कौन सी सिद्धी है, मैने पूछा।
सिद्धि नही विकार है। गुरुदेव ने रहस्य खोला। निगेटिव एलिमेंट ने उसके कानों और आंखों के चक्रों की सुरक्षा जाली काट दी है। जिसके कारण वो फोर्थ डाइमेंशन के लोगों के सम्पर्क में है। उन्हीं से बातें करते हैं। उन्ही से जानकारी लेकर तुम्हारी जेब के पैसे और तुम्हारे नाम बताए।
चूंकि मैने उन्हें खाने को पूछा इसलिये वो मेरी मदद करने के लिये जानकारी दे रहे थे। उन्हें लगा कि मै तुम लोगों के नाम भूल गया हूँ , इसलिये नाम बताकर मेरी मदद की। उन्हें लगा कि मै तुम्हारी जेब मे कितने पैसे हैं ये नही जान पाऊंगा इसलिये पैसे गिनकर मुझे बता दिए।
लेकिन कैसे। हम पांचों ने एक साथ पूंछा।
बाबा जिनसे बातें कर रहे थे चौथे आयाम के उन लोगों ने उन्हें बताया।
ये तो सिद्धि ही हुई। मैने कहा।
नही ये सिद्धि नही है। गुरुदेव ने बताया जो ऐसी सिद्धी करते हैं वे अपनी मर्जी से चक्रों की सुरक्षा जाली खोलकर फोर्थ डाइमेंशन के अदृश्य लोगों से जुड़ते हैं। उनसे जानकारी लेकर पुनः अपने चक्रों के सुरक्षा द्वार बंद कर लेते हैं।
मगर ये और इनके जैसे दूसरे लोग अपनी मर्जी से चक्रों की सुरक्षा जाली बन्द नही कर सकते। मजबूरी में हर वक्त उनके सम्पर्क में रहना पड़ता है। फोर्थ डाइमेंशन वाले ही उन पर हावी रहते हैं।
उनके प्रभाव में की गई गतिविधियां सामान्य जगत में बेतुकी लगती हैं।
हर समय बेतुकी गतिविधियों के कारण लोग उन्हें मानसिक रोगी या पागल कहते हैं।
इस तरह ऐसे लोग सिद्ध नही बल्कि बीमार होते हैं।
मगर ऐसे लोगों से अज्ञात दुनिया की जानकारी लेकर लाभ तो उठाया जा सकता है। मैंने पूछा।
बदले में गुरुवर ने कहा अपनी पीठ दिखाओ जरा।
मैंने पीछे से टी शर्ट उठा दी, जहां उद्दंड बाबा की मार का निशान छपा था।
उस पर उंगली फेरते हुए बोले तुम्हे इसे याद रखना चाहिये।
मै समझ गया अब गुरुदेव पागल बाबा वाले मुद्दे पर कोई बात नही करना चाहते।
हम चुप हो गए।
सत्यम शिवम सुंदरम
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन