शंगरी ला घाटीः धरती पर छिपा ग्रह!-1

धरती पर छिपा ग्रह

जहां लोग हजारों साल जीते हैं

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सिद्ध शिव साधक सिद्धों के उर्जा नायक विश्व विख्यात एनर्जी गुरू  राकेश आचार्या जी की हिमालय साधना

Shangri la

 

राम राम, मै शिवप्रिया
गुरू जी इस साल की अपनी हिमालय साधना का पहला चरण पूरा करके वापस आ गये हैं. दूसरे चरण की उनकी हिमालय साधना अक्टूबर में सम्भावित है.
हम बात कर रहे हैं सिद्ध शिव साधक, सिद्धों के उर्जा नायक और विश्व विख्यात एनर्जी गुरू राकेश आचार्या जी की दिव्य हिमालय साधना की.
साधना से वापस आने पर मैने उनसे साधना वृतांत बताने का आग्रह किया. कई दिनों की व्यस्तता के बाद उन्होंने मुझे वृतांत सुनाना शुरू किया. यहां मै उनका वृतांत उन्हीं के शब्दों में शेयर करुंगी. ताकि उच्च साधकों का मंथन बढ़ें. नये साधकों को प्रेरणा मिले. अध्यात्म के अछूते वैज्ञानिक पहलुओं का रहस्योद्घाटन हो.
वृतांत शुरू करने से पहले मै कहना चाहुंगी कि जो साधक हैं, जो अध्यात्म के जानकार हैं और उसकी गहराईयों से परिचित हैं. उन्हें सच समझते देर न लगेगी.
मगर सब कुछ समझ पाना सबके वश की बात नही.इसलिये जिन्हें लगे कि वृतांत उन्हें कल्पना की दुनिया में ले जा रहा है, वे इसे कहानी के रूप में ही देखें. क्योंकि साधना और सिद्धियों के बीच की सच्चाई वे नही समझ सकते जो उस दुनिया के नजदीक से नही गुजरे.
वृतांत में मै आगे आपको हिमालय में छिपे ऐसे क्षेत्र की जानकारी दूंगी जो दुनिया के लिये अदृश्य है. वहां सिद्ध संतों का वास है. जहां समय की चाल रुक जाती है. जिसके कारण वहां रहने वाले हजारों साल जिंदा रहते हैं.
वहां धरती के नियम लागू नही होते.
वहां जिंदगी के नियम लागू नही होते.
गुरुत्वाकर्षण के नियम बदल जाते हैं.
वहां रहने वाले लाखों किलोमीटर दूर ग्रहों पर हो रही गतिविधियों को आंखों से देख लेते हैं.
वहां के लोग धरती ही नही अन्य ग्रहों पर भी आते जाते रहते हैं.
वहां का विज्ञान सूर्य की उर्जा को सामान्य वस्तुओं में बदलने में सक्षम है. यानी वहां के लोग सूर्य की किरणों से कुछ भी बना लेते हैं. फूल, पत्ती, खाने पीने की चीजें भी.
वहां के लोगों को शून्य में चलना आता है. बिना किसी वाहन वे कहीं भी आते जाते रहते हैं. वहां भी जहां हवा नही पहुंच सकती. वे तमाम लोकों में आते जाते रहते हैं.
जब हम वहां का विस्तार से वर्णन करेंगे, तो लगेगा कि किसी दूसरे ग्रह की बात कर रहे हैं. जो धरती पर छिपा है.
कैलाश पर्वत में छिपे शिवलोक की तरह ये क्षेत्र भी अदृश्य है.
अध्यात्म और साधनाओं की गहरी समझ रखने वाले विद्वान इसे हिमालय की शंगरी ला घाटी से तिब्बत तक फैला मनाते हैं.
विज्ञान की भाषा बोलने वाले इसे फोर्थ डाइमेंशन की दुनिया कहते हैं. जो सामान्य आंखों से नही दिखती.
ये सिद्धों की दुनिया है.
यहां सिर्फ वही पहुंच सकते हैं जो सिद्ध हैं.
दूसरे शब्दों में कहें तो यहां पहुंचना सिद्ध होने का प्रमाण है.
आप हैरान होंगे जब हम भविष्य में वहां पहुंचने वालों की बात करेंगें। उनमें कुछ राजनीतिज्ञों के नाम भी होंगे. हैरानी इस बात पर हो सकती है कि नेताओं का सिद्धी से क्या लेना देना.
गुरु जी बताते हैं राजनीति मे सक्रिय कई बड़े पदस्थ छिपे हुए साधक भी हैं.
गुरुजी की चेतना को वहां ले जाने वाले वही दिव्य पुरूष थे, जो पिछले साल जुलाई की हिमालय साधना के दौरान उन्हें नीलकंठ के पहाड़ी जंगलों में मिले. लोगों को कष्टों से मुक्त कराने के लिये उनके प्रारब्ध को उपचारित करने की बात कही थी.
उसके कुछ दिनों बाद वे गुप्त काशी में दोबारा मिले और अगले छह साल तक मिलते रहने की बात कही थी.
क्रमशः।
शिवगुरू को प्रणाम
गुरु जी को नमन
आपको राम राम

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