वास्तुदोष व बाधा निवारण के लिये जल का छिड़काव करें
सभी अपनों को राम राम
कुछ साधकों ने वास्तु दोष निवारण में हिंगलाज गुटिका के प्रयोग का विधान पूछा है. वास्तुदोष हो या बाधाएं, दोनो ही स्थियियों में परिवार को बड़ा संघर्ष करना पड़ता है। उन्नति रुकी रहती है। हर दिन पीड़ा भरा रहता है।
हिंगलाज गुटिका देवी शक्ति की उर्जाओं से जुड़ी रहती है. इसलिये इसके प्रयोग लोगों के साथ साथ जगहों को भी उर्जित करने में सक्षम होते हैं. संशय मुक्त विश्वास और आस्था के साथ अपनाये जाने पर इसके प्रयोग अचुक होते हैं.
वास्तुदोष व बाधा निवारण के लिये हिंगलाज गुटिका का प्रयोग…
एक बर्तन में पानी ले लें. उसमें दो चम्मच कच्चा दूध मिला लें. हिंगलाज गुटिका उसमें डाल दें.
भगवान शिव से आग्रह करें. कहें- देवों के देव महादेव मेरे गुरूदेव आपको मेरा प्रणाम है. आप मेरे मन मंदिर में विराजमान हों. आपको साक्षी बनाकर मै हिंगलाज गुटिका का उपयोग वास्तुदोष व बाधा निवारण के लिये कर रहा हूं. इसकी सफलता हेतु आप मुझे दैवीय कृपा प्रदान करें. आपका धन्यवाद.
महाशक्ति से आग्रह करें. कहें- हे परमेश्वरी भगवान शिव के साथ मेरे मन मंदिर में विराजमान हों. आपको मेरा प्रणाम. अपने गुरूदेव भगवान शिव को साक्षी बनाकर वास्तुदोष व बाधा निवारण के लिये हिंगलाज गुटिका का प्रयोग कर रहा हूं. मेरे लिये उर्जित इस हिंगलाज गुटिका को अपनी शक्तियों से जोड़े रखें. मेरे स्थल से वास्तुदोष व बाधा निवारण करें. आपको धन्यवाद.
हिंगलाज गुटिका से आग्रह करें. कहें- हे दिव्य हिंगलाज गुटिका आपको मेरा नमन है. आप महाशक्ति की उर्जाओं को धारण करें. मेरी भावनाओं के साथ जुड़ कर मेरे लिये सिद्ध हों. मुझे हर क्षण महाशक्ति की उर्जाओं से जोड़कर रखें. मेरे द्वारा किये जा रहे वास्तुदोष व बाधा निवारण के प्रयोग को शुद्ध, सिद्ध और सुफल करें. मेरे लिये समृद्धि सुख सुरक्षा सुनिश्चित करें. आपका धन्यवाद.
देव आग्रह के बाद पानी में रखी हिंगलाज गुटिका को निकाल लें. बर्तन के पानी का घर या कारोबार स्थल पर छिड़काव करें. एेसा रोज करें। जल छिड़काव से पहले स्थल पर भोजन रखें. बाद में उसे किसी जरूरतमंद को दे दें.
जल छिड़काव के समय ॐ ऐं ह्रीं श्रीं फें हुं फट स्वाहा मंत्र का जप करते रहें.
शिव शरणं