अमृत संजीवनी साधना

अमृत संजीवनी साधनाः विधान
देव-मानव निर्माण में शामिल हों

सभी अपनों को राम राम
खुद को देव-मानव बनायें.
इसकी क्षमता ईश्वर ने दी है.
बस उसका उपयोग भर करना है.
उपयोग की एक सरल विधि है अमृत संजीवनी साधना.
किसको करनी चाहिये अमृत संजीवनी साधना…
. जो देव-मानव बनने की इच्छा रखते हैं.
. जो खुद सुखी रहते हुए दूसरों को भी सुख देना चाहते हैं.
. जो तन, मन से स्वस्थ और सर्वोत्तम बनना चाहते हैं.
. जो संसारिक भोग सुख के साथ मोक्ष चाहते हैं.
. जो सबके प्रिय बनकर रहना चाहते हैं.
. जो कर्मयोग का सुख चाहते हैं.
. जो सम्मान सुख चाहते हैं.
. जो लक्ष्मी सुख चाहते हैं.
. जो कुंडली सुख चाहते हैं.
. जो सौभाग्य सुख चाहते हैं.
. जो जिंदादिली के साथ जीवन जीना चाहते हैं.

साधना का समय- प्रतिदिन सुबह 7 से 7.20 बजे तक
साधना के मंत्र-
1. संजीवनी मंत्र- ऊं ह्रौं जूं सः
2. शिव धनदा मंत्र- ऊं शं शंकराय धनम् देहि देहि ऊं
साधना का आसन- कोई भी
साधना की दिशा- पूर्व मुख होकर बैठें
साधना की माला- कोई नही
साधना की सामग्री- कोई नही
साधना का फोटो- भगवान से युक्त शिवप्रिया दीदी का फोटो
साधना के परहेज- आलोचना न करें.

साधना का विज्ञान-
इस साधना से मूलाधार, मणिपुर, अनाहत और आज्ञा चक्रों की सक्रियता बढ़ती है. कुंडलिनी का जागरण होता है. पंचतत्वों के साथ शिवतत्व का जागरण होता है. इसकी सफलता के लिये जरूरी है कि साधक का सूक्ष्म शरीर सकारात्मक ब्रह्मांडीय उर्जा के साथ सीधे जुड़ जाये. और वहां से दिव्य संजीवनी शक्ति को ग्रहण करके अपने भीतर धारण करे.
एेसा कर पाना हर व्यक्ति के वश की बात नही.
शिवप्रिया दीदी इसमें साधकों की मदद कर रही हैं. वे साधक और ब्रह्मांडीय उर्जा के बीच माध्यम बन रही हैं. इसके लिये शिवगुरू की सुरक्षा में वे अपनी साधना शक्तियों का उपयोग करके विशाल उर्जा ग्रिड का संकलन कर रही हैं. जिनसे साधक सरलता से संजीवनी शक्ति को ग्रहण कर सकेंगे.

अमृत संजीवनी साधना विधान….
सुबह 7 बजे से 10 मिनट पहले साधना हेतु बैठें. साधना से पहले नमक के पानी से स्नान कर लें. क्योंकि इस साधना के बाद दो घंटे तक स्नान नही करना चाहिये.
7 बजे तक 10 मिनट का कोई योग या एक्सरसाइज करें. यह अनिवार्य है. किसी कारण कोई योग या एक्सरसाइज न कर सकें तो 5 मिनट ताली बजायें, और 5 मिनट खड़े होकर दोनों हाथों को ऊपर ऊठाते हुए हर हर महादेव बोलें.
योग या एक्सरसाइज के बाद आराम से बैठ जायें. नीचे बैठने में दिक्कत हो तो कुर्सी आदि पर बैठें. मगर जिस पलंग पर सोते हैं उस पर न बैठें.
7 बजे साधना आरम्भ करें. उसके स्टेप नीचे देखें. ध्यान से पढ़ें और अपनायें.
1. भगवान शिव को साक्षी बनायें. कहें- हे शिव आप मेरे गुरू हैं मै आपका/ आपकी शिष्य हूं, मुझ शिष्य पर दया करें. आपको साक्षी बनाकर मै शिव साधिका शिवप्रिया दीदी द्वारा कराई जा रही अमृत संजीवनी साधना सम्पन्न कर रहा/रही हूं. इसकी सफलता हेतु मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें.
2. भगवान शिव से युक्त शिवप्रिया दीदी का फोटो सामने रखें. आगे बताये संजीवनी प्राणायाम के दौरान शिवप्रिया दीदी के फोटो को एकटक देखते रहें. उनके माथे के बीच तीसरे नेत्र का प्रतीक हल्का बिंदु दिखेगा. उसी पर अपनी नजरें टिकाये रखें.
3. दोनों हाथों में मृत संजीवनी मुद्रा बनायें.
इस मुद्रा की फोटो संलग्न है. उसे देखकर सीख लें. मुद्रा में हाथ की तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) को मोड़कर अंगूठे की जड़ में दबा लेना है. बीच की उंगली और रिंग फिंगर को ऊपर से लाकर अंगूठे से मिला देना है. छोटी ऊंगली सीधी खुली रखनी है.
यही है मृत संजीवनी मुद्रा.
4. ऊं ह्रौं जूं सः मंत्र के साथ 10 संजीवनी प्राणायाम करें.
इसके लिये ऊं ह्रौं का जप करते हुए सांस को धीरे धीरे भीतर खींचें और जूं सः का जप करते हुए सांस को धीरे धीरे बाहर निकालें. सांस को अंदर लेने और बाहर निकालने के बीच कुछ क्षण रुकें. इसी तरह सांस निकालने और दोबारा खींचने के बीच भी कुछ क्षण रुकें.
संजीवनी प्राणायाम से उर्जा चक्रों और पंच तत्वों का जागरण होता है. आभामंडल शानदार सकारात्मक उर्जाओं से भर जाता है. जर्जर शरीर भी कायाकल्प की तरफ बढ़ जाते हैं.
5. संजीवनी प्राणायाम के बाद आंखें बंद कर लें.
हाथों में मृत संजीवनी मुद्रा बनाये रखें.
रिलैक्स होकर बैठें और शिव धनदा मंत्र ऊं शं शंकराय धनम् देहि देहि ऊं का जप शुरू करें करें. अविचलित रूप से 10 मिनट जप करते रहें.
यह मंत्र साधक के जीवन में लक्ष्मी सुख व्याप्त करने में सक्षम है. ऋषियों मुनियों के सुझाव पर करोड़ों लोगों ने इसका लाभ उठाया है. संजीवनी प्राणायाम के बाद इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है. इससे मान-सम्मान प्रतिष्ठा और व्यक्तित्व का आकर्षण भी बढ़ता है.
मंत्र जप पूरा होने पर आंखें खोल लें. तन,मन,धन के सुखों के लिये भगवान शिव को धन्यवाद दें. धरती मां को धन्यवाद दें. दिव्य संजीवनी शक्ति को धन्यवाद दें. शिवप्रिया दीदी को धन्यवाद दें. फिर ऊं इंद्राय नमः कहकर उठ जायें.

जो लोग किसी कारण वश सुबह 7 बजे की साधना नही कर सकते वे मृत संजीवनी रुद्राक्ष धारण करके साधना करें।
इस रुद्राक्ष को धारण करके दिन रात में किसी भी टाइम साधना की जा सकती है। उसमें समय का बंधन नही। साधना का बाकी विधान ऊपर बताई विधि अनुसार ही रहेगा।
इस रुद्राक्ष को हर 6 माह में बदलते रहना अनिवार्य होगा। इसे धारण करके ब्रम्हांडीय ऊर्जा स्नान व एनर्जी रिपोर्ट के अन्य उपाय भी कर सकते हैं। इससे महाकाल साधना भी कर सकते हैं।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: