अप्सरा साधना- 2019…(2)
धन-समृद्धि-यौवन-सुख के लिये प्रेम की देवी की तरफ उठा कदम
सभी अपनों को राम राम
सुन्दर मांसल शरीर, उन्नत एवं सुडौल वक्ष, काले घने और लंबे बाल, जादुई आकर्षण वाले नेत्र, मुग्ध कर देने वाली चितवन, जीवन भर याद रहने वाली मुस्कान, मन को गहराईयों तक गुदगुदा देने वाला शोख अंदाज, शरीर से निकलती मदहोश करने वाली दिव्य सुगंध, यौवन भार से लदी अप्सराओं की तरफ देवता भी आकर्षित होते हैं. देवांगनायें भी उनकी कला से मोहित हो जाती हैं. सब कुछ त्याग कर विश्य कल्याण में लगे विभिन्न योगियों, ऋषियों ने भी उन्हें अपनाया. क्योंकि अपसराओं का सानिग्ध निरसता, जड़ता को तोड़कर प्रेम, करुणा, दया और अपनेपन की स्थापना कर देता है. सफलताओं के लिये जरूरी मानसिक और शारीरिक उर्जाओं का अक्षय संचार कर देता है.
शास्त्रों में अप्सराओं को सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक माना गया है. जिसके मन में प्रेम नही वह तनाव, बेरुखी और बीमारियों से त्रस्त जीवन जीता है. परिस्थियों वश जिनकी भावनायें प्रेम रहित हो गई हैं, जीवन आनंद रहित हो गया है, उन्हें अप्सरा साधना का सहारा लेना उचित है. जो अपने सौंदर्य, व्यक्तित्व को चुम्बकीय बनाना चाहते हैं, उनके लिये यह साधना उपयुक्त है. जो अपने मन को जीवन को आनंद उत्साह उमंग उत्सव से भरा रखना चाहते हैं, उनके लिये अप्सरा साधना प्रभावकारी है. जो रूप यौवन समृद्धि सुख की कामना रखते हैं उन्हें अप्सरा साधना जरूर अपनानी चाहिये.
जो अभिनय, गायन, गीत संगीत कला के क्षेत्र में बुलंदियां छूना चाहते हैं उन्हें अप्सरा साधना जरूर करनी चाहिये. दिव्य उर्जाओं के सानिग्ध में जो अपने जीवन में भौतिक सुखों का स्थायित्व चाहते हैं, उन्हें अप्सरा साधना अपनानी चाहिये.
जो अध्यात्म में सक्रिय हैं और दैवीय शक्तियों से रूबरू होना चाहते हैं उन्हें अप्सरा साधना जरूर करनी चाहिये.
शारीरिक सौंदर्य, वाणी की मधुरता, नृत्य, संगीत, काव्य तथा हास्य, विनोद यौवन की मस्ती, ताजगी, उल्लास और उमंग ही अप्सरा है | जिसकी साधना जीवन को उत्सव से भर देती है.
गंधर्व कन्या अप्सराओं के कई वर्ग होते हैं. प्रायः उनके देवताओं के राजा इंद्र के दरबार में नृत्य कला सौंदर्य में व्यस्त होने का व्याख्यान मिलता है. अप्सरा सिद्ध करने का अर्थ है उसे इंद्र के दरबार से खींचकर अपने जीवन में उतार लेना. एेसा मंत्र शक्ति से सम्भव है. भगवान शिव द्वारा रचित नियमों से मंत्र साधना विधान बहुत प्रबल बन पड़ा है. नियमों के अनुपालन में ही गलत नीयत से साधनायें करने वाले राक्षसों को भी वरदान देने देवताओं को आना पड़ता है.
अप्सरायें भी भगवान शिव द्वारा निर्देशित साधना नियमों से बंधी हैं. इसी कारण उन्हें इंद्र का दरबार छोड़ साधकों के पास आना ही होता है.
यह मात्र कल्पना नही हैं. ऋषिकाल से लेकर अब तक तमाम ऋषियों, योगियों ने उन्हें सिद्ध करके धरती पर बुलाया.
अलग अलग लोगों के लिये अलग अलग अप्सरा साधना होती है. जिस तरह सभी लोगों के लिये सभी मंत्र फलित नही होते, सभी लोगों के लिये सभी देव फलित नही होते, सभी लोगों के लिये सभी साधनायें फलित नही होतीं, सभी लोगों के लिये सभी गुरू फलित नही होते, उसी तरह सभी लोगों के लिये सभी अप्सरायें नही होतीं. आभामंडल, सूक्ष्म शरीर, उर्जा चक्रों के आकार और उर्जाओं के अनुरूप अलग अलग लोगों के लिये अलग अलग अप्सरायें होती हैं. लोगों के आभामंडल और सूक्ष्म शरीर की बनावट जन्म के समय ग्रहों की स्थिति के अनुसार तय होती है.
कुछ अप्सरायें प्रायः सभी साधकों की उर्जाओं से जुड़ जाती हैं. क्योंकि वे साधक के अनाहत चक्र में आरोहित होती हैं. इनमें चंद्र वर्ग की अप्सरा भी एक है. हिमालय साधना के दौरान एक सिद्ध साधु ने मुझे इनके बारे में विस्तार से जानकारी दी थी. उन्होंने चंद्र वर्ग की अप्सरा चंद्रदेहा को सिद्ध कर रखा था. चंद्रदेहा को कुछ साधक चंद्रोदया, चंद्रज्योत्सना, चंद्रप्रभा आदि नामों से भी जानते हैं.
यहां मै आपको इन्हीं अप्सरा की साधना का विधान बता रहा हूं. मेरे बताये इस विधान के अनुसार साधना करने वाले अधिकांश लोगों को सफलता मिली.
साधना सिद्ध होने पर धन-यौवन-समृद्धि सुख, मानसिक व शारीरिक उर्जा देने में सक्षम यह अप्सरा साधक के जीवन में शामिल हो जाती है. उनके अनाहत चक्र में निवास करती है. जिसके कारण साधक के मन में प्रेम, करुणा, दया, मानवता के भाव जाग्रत रहते हैं. साधक खुद सुखी रहते हुए दूसरों को सुखी रखने में सक्षम होता है. सिद्ध साधक रूप यौवन भार से लदी अप्सरा को सुंदर वस्त्रालंकारों से सुसज्जित, मनमोहक अंदाज में सदैव अपने पास पाते हैं.
इसकी साधना महिला पुरुष दोनो तरह के साधक कर सकते हैं. साधक इन्हें प्रेमिका, पत्नी, मां, बहन, बेटी और सहेली के मनोभावों से सिद्ध करतें हैं. साधना से पहले ही अप्सरा के प्रति अपने भावों को स्पष्ट कर लेना चाहिये. जो पुरुष साधक शादी शुदा हैं उन्हें अपनी पत्नी की अनुमति के बिना इसे प्रेमिका या पत्नी के भाव से सिद्ध नही करना चाहिये.
साधना विधान…
साधना के दौरान जपे जाने वाले मंत्रों और की जाने वाली क्रियाओं का अर्थ साधक के मन मस्तिष्क में स्पष्ट होना चाहिये. तभी सिद्धि तक पहुंचा जा सकता है. इसलिये मै यहां सारे संकल्प व विधान हिंदी में बता रहा हूं.
यह साधना पूर्णिमा या शुक्ल पक्ष के किसी शुभ मुहूर्त में आरम्भ करें. साधना के लिये एकांत कक्ष का चयन करें. साधनास्थल को साफ सुथरा, आकर्षक और गुलाब इत्र से सुगंधित कर लें. रात 10 बजे के बाद साधना आरम्भ करें. घी का दीपक जला लें. साधना कक्ष में दीपक के अलावा सभी लाइट बंद कर दें. टी.वी. प्रिज, ए.सी. मोबाइल, लेपटाप अन्य इलेक्ट्रानिक आइटम वहां हों तो उन्हें स्विच आफ कर दें. क्योंकि इलेक्ट्रानिक उपकरणों की तरंगें साधना तरंगों को क्षतिग्रस्त कर देती हैं. आवश्यकतानुसार पंखा या कूलर का उपयोग कर सकते हैं.
पहले दिन नये सफेद व आकर्षक वस्त्र पहनें. साधना के बाद उन वस्त्रों को उतार कर दूसरे पहन लें. अगले दिन पुनः उन्हें पहनकर साधना करें. जरूरत महसूस हो तो बीच में वस्त्रों को धो सकते हैं. धोने के बाद अच्छे से प्रेस करके ही दोबारा उन्हें धारण करें. सिलवटें नही होनी चाहिये. वस्त्रों में गुलाब की सुगंध रोज करते रहें.
उत्तर दिशा में मुंह करके साधना करें. सामने किसी चौकी पर नया सफेद वस्त्र बिछायें. दीपक जला लें. चौकी पर अटूट चावलों की एक ढेरी बनायें. उस पर पहले से सिद्ध चंद्रदेहा गुटिका स्थापित करें. पास में पहले से सिद्ध मोहिनी रुद्राक्ष स्थापित करें. किसी पात्र में पानी का कलश रखें. उसके भीतर एक मोती डाल दें. एक पात्र में आवश्यकतानुसार अपने पीने के लिये पानी अलग से रखें. अपने लिये सफेद आसन बिछायें. साधना के बाद उसे झाड़कर सुरक्षित रख दिया करें. ताकि साधना पूर्ण होने तक वह गंदा न होने पाये.
आसन पर आराम से बैठकर संकल्प लें.
साधना संलक्प…
1. मृत्युंजय शक्ति से सक्षम साधक बनाने का आग्रह करें. कहें- मृत्युंजय भगवान की दिव्य मृत्युंजय शक्ति मुझ पर दैवीय उर्जाओं की बरसात करें. मेरे तन-मन-मस्तिष्क-आभामंडल- उर्जा चक्रों- कुंडलिनी और रोम रोम को उर्जित करें, उपचारित करें, जाग्रत करें, अप्सरा सिद्धि अर्जित करने हेतु मुझे सक्षम बनायें. मुझे मेरे गुरुदेव के चरणों से जोड़कर रखते हुए मेरे आभामंडल को चंद्रज्योत्सना अप्सरा के आभामंडल से जोड़ दें. और लगातार जोड़कर रखें.
2. अपने गुरू से दिव्य आशीर्वाद का आग्रह करें. कहें- मेरे गुरुदेव आपको मेरा प्रणाम. अप्सरा सिद्धि हेतु मुझे अपना दिव्य आशीर्वाद प्रदान करें.
3. भगवन शिव से साक्षी बनने और सुरक्षा करने का आग्रह करें. कहें- हे देवों के देव महादेव मेरे मन को पवित्र शिवाश्रम बनाकर सपिरवार इसमें विराजमन हों. आपको साक्षी बनाकर मै अप्सरा सिद्धि साधना कर रहा हूं. इसकी सफलता हेतु मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें.
4. मंत्र से सिद्धि का आग्रह करें. कहें. दिव्य अप्सरा सिद्धि मंत्र आप मेरी भावनाओं के साथ जुड़ जायें. मेरे तन-मन-मस्तिष्क आभामंडल उर्जा चक्रों, कुंडलिनी और हृदय सहित सभी अंगों में व्याप्त हो जायें. मेरे लिये सिद्ध होकर मुझे अप्सरा सिद्धि प्रदान करें.
5. चंद्रदेहा अप्सरा माला से शुद्ध मंत्र जप का आग्रह करें. कहें- हे दिव्य माला आपको मेरे लिये जाग्रत और सिद्ध किया गया है. मेरी भावनाओं से जुड़कर सदैव मेरे लिये सिद्ध रहें. मेरे द्वारा किये जा रहे मंत्र जप को शुद्ध, सिद्ध और सुफल करें. मेरे लिये अप्सरा सिद्धि सुनिश्चित करें.
6. चंद्रदेहा साधना गुटिका से अप्सरा से अटूट सम्पर्क का आग्रह करें. कहें- दिव्य अप्सरा सिद्धि गुटिका आपको मेरे लिये जाग्रत और सिद्ध किया गया है. मेरी भावनाओं से जुड़कर आप सदैव मेरे लिये सिद्ध रहें. मेरी उर्जाओं को इसी क्षण चंद्रज्योत्सना अप्सरा की उर्जाओं के साथ जोड़ दें. और सदैव जोड़कर रखें.
7. मोहिनी रुद्राक्ष से अप्सरा आकर्षण का आग्रह करें. कहें- हे दिव्य रुद्राक्ष आपको मेरे लिये जाग्रत करके सिद्ध किया गया है. आप मेरी भावनाओं से जुड़कर मेरे लिये सदैव सिद्ध बने रहें. चंद्रज्योत्सना अप्सरा को मेरे लिये मोहित करें. इंद्र के दरबार से आकर्षित करके अप्सरा को मेरे पास लायें और उन्हें मेरे जीवन में शामिल करें.
8. पंचदेवों से सुरक्षा का आग्रह करें. कहें- हे पंचदेवों अप्सरा सिद्धि हेतु मुझे और मेरे परिवारजनों को दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें.
एेसा कहकर नीचे दिया मंत्र पांच बार जपें.
सदा भवानी दाहिने सम्मुख रहें गणेश, पांचदेव रक्षा करें ब्रह्मा विष्णु महेश.
9. अप्सरा से सिद्ध होकर जीवन में आ जाने का आग्रह करें. कहें- हे देवी चंद्रज्योत्सना अप्सरा मेरे द्वारा की जा रही साधना को स्वीकार करें, साकार करें, सिद्ध होकर मुझे धन-यौवन-समृद्धि-सुख औऱ सानिग्ध प्रदान करें.
उपरोक्त संकल्प वाक्य पूरे करके दीपक व धरती मां को प्रणाम करें. कलश को प्रणाम करें.
श्री गणेशाय नमः कहकर मंत्र जप आरम्भ करें. प्रतिदिन 21 माला मंत्र जप करना है.
जप के दौरान अधिक से अधिक समय तक गुटिका पर लगातार त्राटक करें. अर्थात गुटिका को खुली आंखों से देखें. आंखों में जलन या थकावट हो तो कुछ समय के लिये उन्हें बंद कर सकते हैं. आवश्यकतानुसार आंखों में डालने के लिये गुलाब जल या कोई आई ड्राप साथ रखें.
21 माला मंत्र जप पूरा होने पर माला सिरहाने रखकर वहीं सो जायें. जप पूरा होने के बाद भगवान शिव को, अपने ईष्ट को, अपने गुरू को, मंत्र को, माला को, गुटिका को, मोहिनी रुद्राक्ष को, देवी अप्सरा को, आसन को, धरती मां को, कलश को, अपनी उर्जाओं को और विधान से परिचित कराने के लिये मुझे धन्यवाद दें.
साधना लगातार 7 दिन करनी है.
साधना के दौरान कक्ष में किसी के होने या पास बैठने का अहसास हो तो विचलित न हों. घंटियों की आवाज, घुंघुरुओं की आवाज, किसी महिला के हंसने की आवाज सुनाई दे तो विचलित न हों. कमरे में अज्ञात सुगंध फैलती लगे तो विचलित न हों. मंत्र जप जारी रखें.
अंतिम दिन गुलाब की दो माला लेकर बैठें. जब साधना कक्ष में देवी के होने का संकेत मिले तो एक माला गुटिका और मोहिनी रुद्राक्ष पर चढ़ा दें. दूसरी स्वयं धारण कर लें. कुछ समर्थ साधकों को देवी सामने बैठी दिखेंगी, तब पहली माला उनके गले में डाल दें. दूसरी खुद पहन लें. देवी से सदैव साथ रहने का वचन लें.
मंत्र…
ॐ हृीं चंद्र ज्योत्सने आगच्छ आज्ञां पालय मनोवांछितं देहि ऐं ॐ नमः
साधना सामग्री…
मंत्र जप के लिये चंद्रदेहा माला
साधक की उर्जाओं से जुड़ने के लिये चंद्रदेहा अप्सरा गुटिका
अप्सरा को आकर्षित करके साधक के पास लाने के लिये मोहिनी रुद्राक्ष
आसन…
सफेद
दीपक…
घी का दीपक
वस्त्र…
सफेद
मंत्र संख्या…
21 माला प्रतिदिन
साधना की अवधि…
7 दिन
उपरोक्त सामग्री प्राप्त करते समय उसकी शुद्धता सुनिश्चित कर लें. फिर उसे उपलब्ध विधान के मुताबिक जाग्रत करके सिद्ध कर लें. अपनी उर्जाओं के साथ जोड़ लें. उसके बाद उनका साधना में उपयोग करें.
साधना करते समय जो भी आपके गुरू हो उनके प्रति निष्ठा बनाये रखें. जिन्होंने किसी को गुरू धारण नही किया है वे भगवान शिव को गुरू बनाकर साधना करें. बिना गुरू धारण किये यह साधना बिल्कुल न करें. मुझे गुरू न बनाए. मै अध्यात्मिक मित्र के रूप में आपको सहयोग करता रहुंगा.
अपनी सुविधानुसार कहीं से सामग्री प्राप्त करके उसे यथाशीग्र सिद्ध कर लें. जल्दी ही मै साधना आरम्भ करने का मुहूर्त बताउंगा. उससे पहले सभी साधकों की उर्जाओं का शोधन करुंगा. ताकि उसकी साधना में रुकावटें न आयें और देवी अप्सरा उनके प्रति पहले ही दिन से आकर्षित होने लगें.
साधना के दौरान फेसबुक के शिव साधक ग्रुप में प्रतिदन अपना फोटो भेजें. उनके आधार पर मै साधकों की उर्जायें सिद्धि अर्जित करने लायक बनाने का प्रयास करुंगा.
Helpline: 9999945010
सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है.
शिव शरणं