यक्षिणी साधना विधान

उच्च साधक देवी यक्षिणी को बुलाकर उनसे सम्पर्क करना आरम्भ करें


yakshini.jpg

सभी अपनों को राम राम

यक्षिणी साधना दूसरे चरण में पहुंच रही है. मृत्युंजय योग के साथ जुड़े अधिकांश उच्च साधकों की उर्जायें यक्षिणी सानिग्ध के लिये तैयार हैं. हालांकि इसमें लम्बा समय लगा. किंतु परिणाम उत्साह जनक रहेंगे.

जिन साधकों ने मृत्युंजय योग के तत्वावधान में यक्षिणी साधना की है वे देवी यक्षिणी स्वर्णावती से सम्पर्क शुरू करें. मुम्बई में यक्षिणी साधकों को मैने जो विधान बताया था उसी विधान को सभी अपनायेंगे.

सभी यक्षिणी साधक यक्षिणी साधना ग्रुप में अपना लेटेस्ट फोटो भेजें. जिससे मै देवी सम्पर्क के लिये उनकी उर्जाओं को तैयार कर सकूं.

जो साधक पिछले दिनों मुम्बई साधना में आये थे उन्हें फोटो भेजने की आवश्यकता नही है.
सभी साधकों से आग्रह है कि जिन लोगों ने मृत्युंजय योग की बजाय किसी अन्य गुरू के सानिग्ध में यक्षिणी साधना की है, वे इस विधान को न अपनायें. उन्हं यक्षिणी से सम्पर्क के लिये अपने गुरू से सम्पर्क करना चाहिये. यह अनिवार्य भी है और मर्यादित भी. जिस गुरू ने जिस विधान से साधना कराई होती है उसी विधान के अनुसार अगले चरण में प्रवेश करना चाहिये. अन्यथा मृत्यु तक का खतरा उत्पन्न हो जाता है।

देवी सम्पर्क विधान…

समय- रात 10 बजे के बाद
मंत्र- आप सबको पहले से पता है
माला- जो साधना के समय उपयोग हुई थी.
भोग- दूध से बनी किसी मिठाई का
स्थिति- एकांत
दिशा – उत्तर
वस्त्र- नये या धुले साफ वस्त्र + पीताम्बरी
दीपक- घी का
दिन- आगामी सोमवार 25 मार्च 19 से
परहेज- जो साधक वायरल या किसी अन्य वजह से बीमार हैं वे ठीक होने के बाद ही करेंगे. माहवारी में चल रही महिला साधक 5 दिन बाद करें.
यक्षिणी सम्पर्क के लिये साधक एकांत कमरे का उपयोग करें. पहले से दूध से बनी कोई मिठाई लाकर रख लें. गुलाब के फूलों की एक माला लाकर रखें. कमरे में गुलाब के इत्र से सुगंध कर लें. चाहें तो गुलाब की महक वाली धूपबत्ती या अगरबत्ती का उपयो कर सकते हैं. अपना विस्तर जमीन पर लगायें. नई या धुली चादर का उपयोग करें. खुद नए या धुले कपड़े पहने. मंत्र जप के समय पीताम्बरी का उपयोग करें.
रात दस बजे के बाद प्रयोग आरम्भ करें. ध्यान रखें उसके बाद कमरे में किसी अन्य का प्रवेश बिल्कुल नही होना चाहिये. रात भर के लिये मोबाइल को स्विच आफ कर दें.
कमरे को दिव्य मेहमान के स्वागत के लिये अच्छे से सजाकर आकर्षक बना लें. घी का दीपक जला लें. उसके सामने साफ पाटे पर मिठाई रखें.
उर्जा संकल्प-
हे दिव्य मृत्युंजय शक्ति मुझ पर दैवीय उर्जाओं का शक्तिपात करें. मेरे तन-मन-मस्तिष्क आभामंडल उर्जा चक्रों को उर्जित करें, उपचारित करें. मुझे यक्षिणी सानिग्ध अर्जित करने हेतु सक्षम बनायें. मेरी उर्जाओं को यक्षिणी साधना अनुसंधान हेतु एनर्जी गुरू राकेश आचार्या जी की उर्जाओं के साथ जोड़ दें. मुझे मेरे गुरू भगान शिव के चरणों से जोड़ दें. मेरे आभामंडल को देवी स्वर्णावती यक्षिणी के आभामंडल से जोड़ दें.
शिव संकल्प-
भगवान शिव से प्रार्थना करें. कहें- हे शिवगुरू आपको आपको मेरा प्णाम. मेरे मन को सुखमय शिवाश्रम बनाकर माता महेश्वरी भगवान गणेशजी के साथ मेरे मन मंदिर में आकर विराजमान हो जायें. आपको साक्षी बनाकर यक्षिणी साधना के दूसरे चरण का आरम्भ कर रहा हूं. आज मै यक्षिणी देवी स्वर्णावती का सानिग्ध आवाह्न करुंगा. वे आयें और मुझे सम्पर्क करें. इस हेतु आप मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें.
मंत्र संकल्प-
हे दिव्य मंत्र ऊं. ह्रीं ह्रीं ह्रीं स्वर्णावती मम् ग्रहे आगच्छ आगच्छ ह्रीं ह्रीं ह्रीं ऊं नमः
आपको मेरा प्रणाम है. मेरी भावनाओं से जुड़कर मेरे लिये सिद्ध हो जायें. ब्रह्मांड से अपनी शक्तियों को मेरी शक्तियों में स्थापित करें. देवी को अपनी मंत्र शक्ति से आकर्षित करके मेरे पास लायें और मुझे स्वर्णावती यक्षिणी का सानिग्ध प्रदान करें.
लक्ष्मी संकल्प-
जगत जननी मां लक्ष्मी आपको मेरा प्रणाम है. भगवान विष्णु के साथ आप मेरे मन मंदिर में विराजमान हों. मै आपकी यक्षिणी स्वर्णावती के सानिग्ध का आवाह्न कर रहा हूं. मुझे उनका सशरीर दिव्य सानिग्ध प्राप्त हो इस हेतु अपनी दैवीय ममता प्रदान करें.
यक्षिणी सानिग्ध संकल्प-
देवी स्वर्णावती यक्षिणी आपको मेरा प्रणाम है. आप आयें, मेरे मन मंदिर में विराजमान हों. मैने आपको अपने अध्यात्मिक मित्र के रूप में सिद्ध किया है. आज मै आपका सशीर आवाह्न कर रहा हूं. मुझे अपनी उपस्थिति का प्रमाण दें. मिष्ठान ग्रहण करें. आपको माला पहनानी की मेरी इच्छा है, इसे स्वीकार करें, साकार करें.
उपरोक्त संकल्पों के बाद जमीन पर जो विस्तर लगाया है उसी पर बैठकर 5 माला मंत्र जप करें. जिस माला का उपयोग साधना के समय किया था उसी माला से जप करें. जिनके पास 27 मनकों वाली माला है वे उसी से 20 माला मंत्र जप करेंगे.
मंत्र जप के दैवीय सहायता और सुरक्षा के लिये भगवान शिव को धन्यवाद दें. दिव्य ममता और अपनेपन के लिये माता लक्ष्मी को धन्यवाद दें. सुरक्षा के लिये भगवान विष्णु को धन्यवाद दें. सानिग्ध प्रदान करने के लिये देवी स्वर्णावती को धन्यवाद दें. यक्षिणी सिद्धी के लिये मंत्र को धन्यवाद दें. विधान से परिचित कराने और देवी सिद्धी के लिये उर्जाओं को तैयार करने के लिये मुझे धन्यवाद दें. धरती मां को धन्यवाद दें. पंचत्वों को धन्यवाद दें. क्षमतावान बनाने के लिये अपनी कुंडलिनी, आभामंडल और उर्जा चक्रों को धन्यवाद दें.
उसके बाद वहीं बिस्तर पर सो जायें.
रात में कमरे में किसी की उपस्थिति का अहसास हो तो डरें बिल्कुल नही.
सोते समय या जगते समय किसी द्वारा छुवे जाने की अनुभूति हो सकती है. कमरे में किसी के चलने की अनुभूति हो सकती है. किसी के पास आकर बैठने की अनुभूति हो सकती है. किसी के कान में फुसफुसाने या स्पष्ट बात करने की अनुभूति हो सकती है.
खुछ साधकों को देवी के सामने बैठे होने की अनुभति हो सकती है. जैसा कि पिछली साधना के समय हरिद्वार में हुआ था. एेसा होने पर पास रखा गुलाब के फूलों का हार उठाकर देवी के गले में पहना दें. जैसा कुछ साधकों ने हरिद्वार में किया था.
मै अपनी उर्जाओं को अगले 15 दिनों तक लगातार उच्च साधकों के साथ जोड़कर रखुंगा. जिससे जरुरत पड़ने पर साधकों को तत्काल सुरक्षा प्राप्त होगी. इसलिये किसी भी स्थिति में किसी भी साधक को भय या असमंजय में जाने की आवश्यकता नहीं है.
सभी साधक इस प्रयोग को 15 दिन करेंगे. प्रतिदिन अपनी अनुभितयां यक्षिणी साधना ग्रुप में लिखेंगे. जिससे उनकी एनर्जी रीड करके मै आवश्यकतानुसार काम करता रहुंगा.
तीसरे चरण में मै उच्च साधकों को देवी यक्षिणी से लोगों के बारे में सूचनायें लेने और लोक परलोक की जानकारी लेने का विधान कराउंगा. उसके बाद चौथे चरण में आकस्मिक धन लाभ का विधान कराउंगा. सभी साधक दूसरे चरण का विधान लगन और विश्वास के साथ पूरा करें.
शिव शरणं

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: