संजीवनी उपचारक दिवस: एनर्जी गुरु जी के अवतरण की पावन बेला
सभी को राम-राम
मृत्युंजय योग एनर्जी गुरु जी के अवतरण दिवस को संजीवनी उपचारक दिवस के रूप में मनाता है. 19 सितंबर के दिन एनर्जी गुरु जी का अवतरण हुआ था. एनर्जी गुरु जी ने ऊर्जा विज्ञान पर एक लंबी रिसर्च की है. ऊर्जा विज्ञान पर उनकी रिसर्च अभी भी जारी है. संजीवनी विद्या को बहुत ही सरल बनाकर गुरुजी ने उसे जन-जन तक पहुंचाया. गुरुजी कहते हैं संजीवनी उपचार के जरिए अपनी उर्जा को ठीक करना उतना ही सरल है जितना एक गिलास उठाकर पानी पीना. यह सभी जानते हैं जब उर्जायें ठीक होती हैं तो जीवन में समस्या, परेशानियां, कठिनाइयां, दुख दर्द और असफलता जैसी कोई चीज बचती ही नहीं है.
इस बार संजीवनी उपचार दिवस पर अंक संजीवनी विज्ञान का शुभारंभ किया जाएगा. पहली बार एनर्जी गुरुजी साधकों को अंक संजीवनी सिखाएंगे.
अंक संजीवनी विज्ञान की प्रस्तावना
ये संजीवनी विद्या का एक अंश है। अंक संजीवनी में व्यक्ति की अवचेतन शक्ति का उपयोग किया जाता है। विश्वास के साथ अपनाया गया अंक संजीवनी सिद्धांत बड़े ही चमत्कृत करने वाले परिणाम देता है। इसमें विशेष प्रक्रिया द्वारा चयनित अंकों को अपने साथ रखते हैं। उन अंकों की ऊर्जा लोगों के आभामण्डल और ऊर्जा चक्रों को उपचारित करती है। जिससे रुकावटें हटती हैं, सफलताएं सरल हो जाती हैं। तन के , मन के, धन के रास्ते खुलते है।
अंक संजीवनी का सिद्धांत-
अवचेतन शक्ति अर्थात सब कांशियस माइंड को ब्रह्मांड के सभी सीक्रेट पता होते हैं। उसे व्यक्ति की जरूरतों की जानकारी भी होती है। अवचेतन शक्ति का उपयोग करके उन अंको का पता लगाया जा सकता है, जो आभामण्डल और ऊर्जा चक्रों का उपचार करने में सक्षम होते हैं।
किसी भी व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याओं का कारण आभामण्डल में बिगाड़ ही होता है। कभी ग्रहों के कारण तो कभी वास्तु के कारण, तंत्र, गुस्से या आलोचना के कारण आभामण्डल और शरीर में पांच तत्व की ऊर्जाएं बिगड़ जाती हैं। जिसके परिणाम स्वरूप तन, मन, धन की समस्याएं सामने आती हैं।
शास्त्र कहते हैं कि आभामण्डल के उपचार से समस्याएं अपने आप खत्म हो जाती हैं।
सभी अंको की अपनी एनर्जी होती है। जिस दिन जिस अंक की एनर्जी व्यक्ति के आभामण्डल से मैच करती है। उस दिन वह अंक ब्रह्मांड में फैली संजीवनी शक्ति को ग्रहण करके उस व्यक्ति के आभामण्डल को heal अर्थात उपचारित करता है।
इसे अंक संजीवनी उपचार कहा जाता है। उस अंक को उपचारक अंक कहा जाता है। ब्रह्मांड में ऊर्जाओं का परिवर्तन लगातार होता रहता है, इसलिये हर दिन उपचारक अंक बदलता रहता है।
उपचारक अंक का पता लगाने की विधि-
व्यक्ति की अवचेतन शक्ति जानती है कि किस दिन कौन सा अंक उसकी ऊर्जा को उपचारित करेगा। इसलिये आज्ञा चक्र की शक्तियों को अवचेतन शक्ति पर केंद्रित करके उपचारक अंक का पता लगाया जाता है।
अंक संजीवनी रुद्राक्ष-
आज्ञा चक्र की शक्तियों को अवचेतन शक्ति पर केंद्रित करना सबके वश की बात नही। इसलिये विद्वान अंक संजीवनी रुद्राक्ष का उपयोग करते हैं।
ये 9 मुखी रुद्राक्ष होता है। इसे 9 रुद्राभिषेक, 9 यज्ञ, 9 ग्रहों के अनुष्ठान से जाग्रत किया जाता है। उसके बाद टेलीपैथी के द्वारा उपयोग कर्ता के आज्ञा चक्र के साथ जोड़ दिया जाता है।
इस तरह से जाग्रत व सिद्ध अंक संजीवनी रुद्राक्ष आज्ञा चक्र और अवचेतन शक्ति का उपयोग करके उपचारक अंक बता देता है। अंक संजीवनी रुद्राक्ष के द्वारा अपने साथ ही दूसरों के भी उपचारक अंकों को आसानी से जाना जा सकता है।
उपचारक अंक जानने की विधि- संजीवनी उपचारक अंक को लकी नम्बर या सौभाग्य अंक भी कहा जाता है…………
19 सितंबर 2018, दिल्ली आश्रम में संजीवनी उपचारक दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा. संजीवनी उपचारक दिवस पर आप सभी आमंत्रित हैं. आने से पूर्व अपनी डिटेल 9999945010 पर WhatsApp कर दें ताकि सुचारु रुप से व्यवस्थाएं की जा सके.
सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है