सभी अपनों को राम राम
ईगो की बीमारी कैंसर से भी अधिक तबाही मचाने वाली है.
ये अपने ही नही दूसरों के जीवन को भी नष्ट करती है.
चेक करें इसके विषाणु आपके इर्द गिर्द तो नहीं.
1. जब आप किसी को सलाह देते हैं, और वो उसे नही मानता तब आपको गुस्सा आता है. यदि हां तो ये ईगो है.
2. सड़क पर गलत तरीके से चल रहे व्यक्ति को देखकर गुस्सा आता है. यदि हां तो ये ईगो है.
3. घर में इधर उधर फैली चीजों को देखकर गुस्सा आता है. यदि हां तो ये ईगो है.
4. जिससे प्रेम करते हैं वो तय प्रोग्राम से लेट हो तो गुस्सा आता है.यदि हां तो ये ईगो है.
5. बच्चे ठीक से पढ़ाई न करें तो गुस्सा आता है.यदि हां तो ये ईगो है.
6.सहयोगी ठीक से काम न कर पा रहे हों तो गुस्सा आता है. यदि हां तो ये ईगो है.
7.जीवन साथी आपकी कही बात भूल जाये तो गुस्सा आता है. यदि हां तो ये ईगो है.
8.श्रंगार के बाद जीवन साथी तारीफ न करे तो गुस्सा आता है. यदि हां तो ये ईगो है.
9. मनचाहा खर्च न कर सकें तो गुस्सा आता है. यदि हां तो ये ईगो है.
10. दोस्तों के मजाक पर गुस्सा आता है. यदि हां तो ये ईगो है.
ये कुछ बानगी हैं. चेक करके देखें कही आप इनमें से 4 से अधिक हां तो नही पा रहे. यदि हां तो आपको इस रोग से मुक्ति पानी होगी.
*जिन लोगों पर गुस्सा आता है,उनके प्रति मन में सहानुभूति के भाव बनाये जायें तो ईगो खत्म हो जाता है.*
उदाहरण-
एक व्यक्ति सड़क पर गलत तरीके से गाड़ी चला रहा हो. हम सोचते हैं कि उसे गाड़ी चलानी आती है मगर जानबूझ कर गलत चला रहा है. तो गुस्सा आता है.
इसके विपरीत हम सोंचे कि या तो उसे ठीक से गाड़ी चलानी नही आती या बेचारे को इतनी समझ नही है कि सड़क पर गाड़ी कैसे चलायें. तो मन में गुस्से की जगह अपने आप सहानुभूति पैदा होने लगेगी.
दूसरा उदाहरण-
यदि बच्चा ठीक से पढ़ नही रहा. जब कोई सोचता है कि वो जानबूझकर पढ़ाई में मन नही लगाना चाहता तो गुस्सा आता है.
इसके विपरीत सोचें कि बच्चा मजबूर है, उसकी मनः स्थिति उसे पढ़ने नही दे रही. उसे सही स्थितियों की जरूरत है. तो बच्चे के लिये सहानुभूति उत्पन्न होगी.
शांति की परवाह किये बिना अपने को सही साबित करने की लालसा ही ईगो है.
कई बार ये महत्वपूर्ण नही होता कि कौन सही है, कौन गलत है.
मगर ये हर बार महत्वपूर्ण होता है कि घर परिवार की शांति बनी रहे.
सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है