ये पुस्तक गुरू शिष्य पराम्परा में क्रांति उत्पन्न करेगी
*शिवगुरू से देवदूतों की मांग* बुक की प्रस्तावना
शिव।
इस शब्द को ब्रह्मांड में परिचय की आवश्यकता नही.
देवों के देव तो वे हैं ही, साथ ही गुरूओं के गुरू भी हैं.
ईष्ट के रूप में वे अपने भक्तों को युगों युगों से सब देते चले आ रहे हैं. उनकी नजर में देव दानव सब भक्ति के पात्र हैं.
यदि उन्हें गुरू के रूप में प्राप्त कर लिया जाये तो वे अपने शिष्यों की सहायता के लिये देवदूतों तक की नियुक्ति कर देते हैं.
शिव शिष्य अपने शिव गुरू से बात कर लेते हैं. अपने सवालों के जवाब पा लेते हैं. उनसे अपनी समस्या हल करा लेते हैं. अपनी कामनायें पूरी करा लेते हैं. यहां तक कि आकस्मिक स्थितियों में अपनी मदद के लिये देवदूतों की नियुक्ति करा लेते हैं.
आप भी एेसा कर सकते.
बस जरूरत है शिव को गुरू बनाने की.
जरूरत है शिव से अपनापन स्थापित करने की.
आज गुरू शिष्य के मायने बदल दिये गये हैं. शायद इसका कारण अति व्यस्तता हो.
कई लोग समूह में शिष्य बनाने लगे हैं. मंच से एक साथ शिष्यता देने की घोषणा कर देते हैं. उसके बाद उन्हें गुरू मानने वाले अधिकांश लोग उनसे मिल ही नही पाते. आजीवन अपने सवालों को लेकर यहां वहां भटकते रहते हैं. शरीर में होते हुए भी उनके लिये एेसे गुरू अशरीरी से होते हैं. क्यों वे व्यक्तिगत रूप से अपने शिष्यों से कभी मिलते ही नहीं.
ये गलत है. शास्त्र विरुद्ध है. मृगतृष्णा है.
एेसे गुरू का क्या फायदा, जिससे शिष्य मिल ही न सके.
शास्त्रों में एेसे गुरूओं का उल्लेख नही मिलता जो अपने शिष्यों से आमने सामने मिलना नही चाहते. एेसे गुरू का होना न होना एक जैसा है.
शिष्य सदैव अपने गुरू के सानिग्ध में होना चाहिये. तभी वह जीवन की कठिनाईयों को खत्म करके शानदार उपलब्धियों तक पहुंच सकता है.
यहां मेरा उद्देश्य किसी की आलोचना नही है.
मगर ये एेसी सच्चाई है जिसे कहे बिना रहा नही जाता.
मै सभी संतों और गुरुओं का सम्मान करता हूं. बस उनसे विनम्र आग्रह है कि अपने शिष्यों से आमने सामने मिलकर उनके दुख हरने की जिम्मेदारी भी निभाते चलें.
जिससे गुरू शिष्य की मर्यादा अखंड रहे.
शरीर में रहते हुए भी अपने शिष्यों से व्यक्तिगत सम्पर्क न करने वाले गुरुओं से करोड़ों गुना अच्छा भगवान शिव को गुरू बनाना.
उनसे बड़ा गुरू कोई हो ही नही सकता.
ब्रह्मांड में उनकी उपलब्धता किसी से छिपी नही है. वे हर क्षण अपने शिष्यों के लिये उपलब्ध रहते हैं. बस उनसे सम्पर्क करने का तरीका आना चाहिये.
शिव गुरू को समर्पित इस पुस्तक में मै भगवान शिव को गुरू बनाने की विधि दे रहा हूं. उनसे सम्पर्क स्थापित करने का तरीका बता रहा हूं. साथ ही शिव गुरू से बात करने, उनसे अपने सवालों के जवाब लेने, उनसे अपनी कामनाओं को पूरा कराने, उनसे अपनी समस्याओं के समाधान पाने, शिव सुरक्षा प्राप्त करने और अपने लिये देवदूतों की नियुक्ति कराने की विधि बता रहा हूं.
विश्वास पूर्वक अपनाई गई ये विधियां अब तक अचूक सिद्ध हुई हैं. शिव गुरू की कृपा से आगे भी होती रहेंगी.
मेरी ये पुस्तक गुरू शिष्य पराम्परा में क्रांति उत्पन्न करेगी, एेसा मै नही कहता. मगर मेरा विश्वास है कि तमाम एेसे गुरू भी इसकी विधियां अपनाने से खुद रोक नही पाएंगे, जिनके पास लाखों शिष्यों की भीड़ है.
सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है.