कुंडली को मूलधार चक्र पर स्थापित किया गया

कुंडली जागरण साधना
साधको की कुंडली को मूलधार चक्र पर स्थापित किया गया


29177409_200742400694851_6648190425918078976_nराम राम
दिल्ली-लखनऊ-मुंबई आश्रम में कुंडली जागरण साधना सम्पन्न हुई, साधको की कुंडली को मूलधार चक्र पर स्थापित किया गया. कुंडली व्यक्ति को देवताओं की तरह सक्षम बना देने वाली शक्ति है. कुंडली जागरण से जादा जरूरी जाग्रत कुंडली से काम लेना होता है. कुंडली का काम होता है चक्रो का भेदन करते हुए सौभाग्य चक्र तक पहुँचना. जब कुंडली मूलाधार चक्र का भेदन करती है तो साधक समृद्धि की तरफ बढ़ने लगता है क्योंकि मूलाधार चक्र समृद्धि का केंद्र है. पहले चरण में गुरुजी ने साधको की कुंडली को मूलधार चक्र पर स्थापित कर दिया. अब साधको के जीवन मे धन, समृद्धि, मान, सम्मान, प्रतिष्ठा की स्थापना होगी. जिनका भाग्य साथ नही दे रहा था, उनके सौभाग्य का जागरण होगा.
तीनो आश्रमों में हुई साधना में गिने चुने ही साधक ही पहुँच पाये. बहुत से साधक इस साधना में शामिल होना चाहते थे, पर पहुँच नही पाये. इस साधना में कोई भी साधक अपने प्रयासों से नही पहुँचा. गुरुजी ने बताया इस साधना में गुरुजी का रोल सिर्फ साधना कराना मात्र था. साधना में वही साधक पहुँचे है जो पिछले दो जन्मो से कुंडली जागरण का प्रयास कर रहे थे. साधको को प्रारब्ध के सत्कर्मो ने ही इस साधना तक पहुंचाया है. जो साधक शुरू से महासाधना में सामिल हो रहे थे वह भी इस साधना में शामिल हो पाए.
बहुत ही कम गुरु इस साधना को कराते है. इस साधना को करने में सामान्य तौर पर एक साधक को तीन से साढ़े तीन साल लग जाते है. उसके बाद भी बहुत कम साधको को सफलता मिल पाती है. गुरु इस साधना को इसलिए नही कराते क्योंकि इस साधना में विशाल उर्जाओं का उपायों होता हैं और समय भी बहुत खर्च होता है. गुरुजी पिछले कई महीनों से मोन साधना में थे. गुरुजी इस साधना में शक्तिपात के लिये उर्जायें एकत्रित कर रहे थे.

जो साधक इस साधना में शामिल हुए वे बधाई के पात्र है. सभी साधक अपनी और अपनों की जरूरतें तो पूरी करगें ही साथ ही दूसरों की मदद करने में भी सक्षम होंगे. धन, समृद्धि, मान, सम्मान, प्रतिष्ठा की कोई कमी नही होगी. अब अगले चरण में साधको के जीवन के उत्थान के लिये कुंडली को स्वाधिष्ठान चक्र पर स्थापित किया जायेगा. जब कुंडली स्वाधिष्ठान चक्र का भेदन करती है तो साधको की बनाई योजनाएं सफल होती है. क्योंकि स्वाधिष्ठान चक्र सर्जन का केंद्र है. अगला चरण कुछ समय बाद होगा, क्योंकि उसके लिये बहुत सारी उर्जाओं की जरूरत पड़ेगी. जो साधक इस चरण में शामिल हुए वही साधक अगले चरण में शामिल हो पाएंगे.

आपका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है.

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