सभी अपनों को राम राम
आज से कामना पूरक सावन का आरम्भ हो चुका है।
जो साधक अपनी किसी भी कामना को पूरा करना चाहते हैं वे आज से 7 अगस्त सावन की पूर्णिमा तक बिना नागा स्वेतार्क पुष्प शिवलिंग पर चढ़ाएं।
इस प्रयोग से कामना छोटी हो या बड़ी पूरी जरूर होती है
स्वेतार्क को सफेद मदार या सफेद आक या सफेद अकौड़ा भी कहा जाता है। इसका आभामण्डल 50 मीटर से भी अधिक होता है।
आमतौर पर किसी कामना को पूरा करने के लिये 11 मीटर का ऊर्जा क्षेत्र (आभामण्डल) जरूरी होता है। सामान्य व्यक्ति का आभामण्डल 5 से 9 फीट होता है।
उसको बढ़ाकर 11 मीटर या अधिक करने के लिये पूजा पाठ, यज्ञ हवन, साधनाएं आदि का सहारा लिया जाता है।
प्रायः लोगों के मन की नकारात्मकता इसमे रुकावट पैदा करती है। वह दूषित करके ऊर्जाओं को 11 मीटर तक विस्तारित नही होने देती।
शिवलिंग पर स्वेतार्क इसमे सहायता करता है। शिवलिंग साधक की नकरात्मकता को खींचकर पाताल अग्नि में पहुंचाकर जला देते हैं। सावन में शिवलिंग के शोधन की क्षमता कई गुना बढ़ी होती है।
शिवलिंग द्वारा नकारात्मकता हटाते ही स्वेतार्क उसी समय ऊर्जाओं का विस्तार कर देता है।
सूर्य हर दिन 1 डिग्री चलता हुआ 30 दिन यानी महीने में एक राशि चल लेते हैं। जिसका असर हर ग्रह पर पड़ता है। इसलिये इस अनुष्ठान को महीने भर में पूरा किया जाता है। ताकि ग्रहों से मिली नकारात्मकता भी पूरी तरह हट जाए।
विधि- पहले दिन जितने
स्वेतार्क पुष्प शिवलिंग पर चढ़ाएं सावन के आखिरी दिन तक उतनी ही संख्या में चढ़ाएं। फूलों की गिनती कम या ज्यादा न करें।
2 फूल रोज चढ़ाएं।
संकल्प- हे शिव गुरु मैं आपको साक्षी बनाकर सावन का स्वेतार्क अनुष्ठान कर रहा/रही हूं , इसे स्वीकार करें और साकार करें।
आपका धन्यवाद।
आवश्यकता- विश्वास की
परहेज- आलोचना न करें
ये प्रयोग कभी विफल नही जाता।
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है।