मनौती का विज्ञानः अपना चढ़ाया प्रसाद न खायें
सभी अपनों को राम राम
मनौती या कामना कैसे पूरी हो, इस सटीक तरीके को जानने से पहले इसके विज्ञान को समझ लेते हैं.
मनौती मांगना एक वैज्ञानिक क्रिया है. इसके द्वारा अपने Sup Conscious Mind यानि अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग की जाती है. Sup Conscious Mind ही कामनायें पूरी करता है.
ये हमारा Personal God है.
एक भगवान वो जो दुनिया चलाते हैं. एक भगवान ये जो सिर्फ हमारे लिये बना है. इसमें भी उन सभी शक्तियों का उपयोग करने की क्षमता होती है. जो दुनिया चलाने वाले में होती हैं. अगर भक्ति धारा में बात करें तो हमारे लिये इसका निर्माण दुनिया चलाने वाले भगवान ने ही किया है. उनके पास पूरा ब्रह्मांड चलाने की जिम्मेदारी है. एेसे में वे हर व्यक्ति के साथ नही रह सकते. इसलिये अपने प्रतिनिध के रूप में सबके लिये अवचेतन मन बनाया.
ये हर क्षण हमारे साथ है,
हम हर पल इसकी निगरानी में हैं. इसीलिये कहते हैं ऊपर वाला हरदम हम पर नजर रखता है.
हम जो सोचते हैं ये उसी की रचना कर देता है.
दुनिया चलाने वाले भगवान की तरह इससे निवेदन नही करना पड़ता बल्कि यह हमारा कमांड स्वीकार करके उसे पूरा करता है.
जाकी रही भावना जैसी तिन पाया प्रभु मूरति तैसी. ये बात अवचेतन मन पर बिल्कुल खरी उतरती हैं.
शिव सोचोगे तो जीवन में शिव पैदा कर देगा, विष्णु सोचोगे तो विष्णु पैदा कर देगा, देवी सोचेगे तो देवी पैदा कर देगा, अल्ला सोचोगे तो अल्ला पैदा कर देगा, जीजस सोचोगे तो जीजस पैदा कर देगा, भूत सोचोगे तो भूत पैदा कर देगा, चुडैल सोचोगे तो चुडैल पैदा कर देगा. किसी के द्वारा सोची गई बातों को पूरी करने के लिये अवचेतन मन ब्रह्मांड के उन सभी रहस्यों का उपयोग करता है जिससे दुनिया बनी. इसीलिये ये दुनिया की हर चीज पैदा करने में सक्षम है.
Sup Conscious Mind के विज्ञान पर हम फिर कभी बात करेंगे.
अभी बात करते हैं मनौती की. मनौती मानने का मतलब होता है अपने अवचेतन मन को कमांड देना. हर कामना को पूरी करने के लिये निर्धारित मात्रा में उर्जा की जरूरत होती है. ये उर्जा हमारे भीतर ही होनी चाहिये. हमारे भीतर उर्जा का स्टोर नाभि चक्र में होता है. नाभि चक्र उसे Sup Conscious Mind को भेजता है. उसी से कामनायें पूरी होती हैं.
इसीलिये लाखों सालों से मनोकामना पूरी करने के लिये व्रत की तकनीक अपनाई जाती है. हर दिन खाना पचाने के लिये नाभि चक्र को काफी उर्जा खर्च करनी पड़ती है. व्रत में नाभि चक्र पर स्टोर उर्जा की खपत कम होती है. यही बची हुई उर्जा Sup Conscious Mind को जाकर कामनायें पूरी करती है.
नाभि चक्र को स्वाधिष्ठान चक्र यानि सेक्स चक्र से बड़ी तादाद में उर्जा मिलती है. सेक्स के दौरान स्वाधिष्ठान चक्र की अधिकांश उर्जा खत्म हो जाती है. इसी कारण कामनाओं से जुड़े ज्यादातर अनुष्ठान व व्रत आदि के दौरान सेक्स करने की मनाही होती है.
मनौती पूरी होने के लिये निर्धारित उर्जाओं का होना जितना जरूरी होता है. उससे भी अधिक जरूरी कामनाओं में रुकावट पैदा करने वाली नकारात्मक उर्जाओं को हटाना होता है. इसके लिये विभिन्न वस्तुओं का प्रसाद के रूप में इश्तेमाल किया जाता है.
जब कोई व्यक्ति मनौती का संकल्प लेकर प्रसाद चढ़ाता है तो उसका अवचेतन मन रुकावटी उर्जा हटाने का कमांड ले लेता है. प्रसाद के लिये उपयोग कि जाने वाली वस्तुओं में वह रुकावटी नकारात्मक उर्जाओं को उड़ेल देता है. अवचेतन मन को भलीभांति पता होता है कि मांगी गई कामना के बीच किन किन उर्जाओं की रुकावट है. वे वस्तुवें प्रसाद के रूप में देव स्थान पर दे देने से इन उर्जाओं का निस्तारण हो जाता है. फिर वे उस व्यक्ति के पास वापस नही लौटतीं.
एेसा देव स्थान की उर्जाओं के प्राकृतिक गुण के कारण होता है. इस विज्ञान पर हम फिर कभी चर्चा करेंगे.
इस क्रिया से कामनाओं की रुकावट हट जाती है.
मगर प्रसाद के रूप में चढ़ायी गई वस्तुओं को चढ़ाने वाला खुद ग्रहण करे या अपने घर लेकर जाये तो निकाली गई नकारात्मक उर्जाओं की वापसी का खतरा रहता है. जिससे मनौती के पूरा होने में संदेह बना रहता है.
एक बात जान लें कि आपके चढ़ाये एेसे प्रसाद में भगवान की कोई दिलचस्पी नहीं. न ही वे वस्तुओं की ख्वाहिश रखते हैं. उनकी ख्वाहिश तो आपकी खुशी है. आप खुश तो भगवान खुश.
सफल मनौती का वैज्ञानिक तरीका मै आपको आगे बताऊंगा.
तब तक की राम राम
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.
हर हर महादेव