सभी अपनों को राम राम
समय बदला है, ब्रह्मांड बदला है
कई तकलीफें कम होंगी, कई दबाव हटेंगे,
कई तनाव मिटेंगे
मगर हमें बदले समय में सिर्फ इतने से ही संतोष नही कर लेना है।
कुछ बड़ा हासिल भी कर लेना है.
मेरे काम का पहला सिद्धांत है जब समय खराब हो तो कुछ अधिक पाने की बजाय जो हैउसे बचाने पर जोर दिया जाये.
*तूफान में जो पेड़ झुक जाते हैं, वे बच जाते हैं.जो नही झुकते वे टूटकर झुकने लायक नही बचते हैं*.
झुकना कमजोरी नही बल्कि जीवन पर नियंत्रण की एक कला है. आत्मरक्षा का हथियार है. स्वाभिमान की ढ़ाल है.
दूसरा सिद्धांत है कि जब समय अनुकूल हो तो अधिक से अधिक पाने के लिये जुट जाओ.
अब जुट जाना है.
कई साथियों ने व्यक्तिगत रूप से मुझसे पूछा है कि अनुकूल समय का फायदा कैसे उठायें. किस तरह की साधना करें. कई अपनों ने आग्रह किया है कि मै उन्हें कोई साधना सिद्धी करा दूं.
इससे पहले मै थोड़ा स्वार्थी हो चला था. इसके लिये माफी चाहता हूं. तय किया था कि इस बीच मै एकाकी साधना करूंगा. उसके दौरान अपनी शक्तियों, क्षमताओं को बढ़ाने के लिये एकांतवास ले लेता. एेसे में अपनों से अलग रहता.
जब कुछ साथियों ने समय का लाभ उन्हें भी पहुंचाने का आग्रह किया तो स्वार्थ टूटा. शिव गुरू की प्रेरणा पहुंची. और तय किया कि अपनों के लिये मै एकांत साधना नही करुंगा. यहीं रहकर खुद भी साधना करुंगा, और अपनों को भी कराउंगा.
इसके लिये आप लोग तैयार हो जाइंये.
आप लोगों में से जो साधक हैं वे तय करें कि किस उद्देश्य को लेकर साधना करना चाहते हैं.
इस पर आम राय बना लीजिये. ग्रुप में ही एक दूसरे से चर्चा कर लीजिये.
जिस तरह की साधना पर आपकी रायसुमारी बनेगी. उसे कराउंगा.
संसारिक जीवन के उद्देश्यों पर ही साधना की जाये. एेसी मेरी व्यक्तिगत राय है. ये सिर्फ मेरी राय है निर्णय नही.
आप सब भी अपनी राय दें.
अापका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है