सभी अपनों को राम
आज में मोटापा और उसके मानसिक कारणों की बात कर रहा हूं
मोटापा से लड़ने का मतलब है उर्जा की बरबादी. सिर्फ कैलोरी बर्न करने से मोटापा दूर नही हो सकता. डाईटिंग इसका इलाज नही है. जैसे ही डाइटिंग रुकेगी, ये फिर बढ़ जाएगा.
जान लें कि इसका बेसिक कारण मन में छिपा होता है. उसे निकाले बिना कोई पतला नही हो सकता.
जो लोग अधिक वेट यानि मोटापा के शिकार हैं. वे अपना परीक्षण कर लें. नीचे लिखे कारणों में से कोई एक या अधिक कारण आपके जीवन का अंग बने हुए हैं.
- एक या दो प्रतिशत लोग बचपन से ही माता या पिता की कद काढी के मुताबिक मोटे होने लगते हैं.
- *अगर आपकी जांघें* जरूरत से ज्यादा मोटी हैं. तो ये बचपन का मन में दबा हुआ गुस्सा है. खास तौर से आपने पिता के प्रति गैरजरूरी गुस्सा बनाये रखा. इससे आपके मणिपुर चक्र ने विद्रोह कर दिया है. एेसा ही चलता रहा तो भविष्य में आपको पैरों और कमर की बीमीरियों का भी सामना करना पड़ेगा.
- *अगर आपका पेट अधिक बढ़ा* है तो ये खाने-पीने को लेकर मन में चल रही असुरक्षा की भावना है. जिसमें गुस्सा छिपा है. हो सकता है आपको लगता हो कि आपका मनपसंद खाना नही मिल रहा. या अक्सर आप खाने में कमियां निकालते हों. इससे आपके नाभि चक्र ने विद्रोह कर दिया है. एेसा ही चलता रहा तो भविष्य में एसिडिटी, अपच, आंतों में घाव-इंफेक्शन-सड़न, अपेंडिस, बवासीर आदि बीमीरियों का भी सामना करना पड़ेगा.
- *अगर आपके नितम्ब* अधिक भारी हैं तो ये माता-पिता पर कठोर गुस्से का अम्बार है. जिसके कारण हिप्स चक्रों ने विद्रोह कर दिया है. एेसा ही रहा तो भविष्य में आपको पीठ, कमर, पैरों की बीमारियों का भी सामना करना पड़ेगा.
- * अगर आपकी बांहें* भारी हैं तो ये मनचाहा प्रेम न मिलने का गुस्सा है. जिसके कारण आपके अनाहत चक्र के पड़ोसी अंडर आर्म्स चक्रों ने विद्रोह किया है. एेसा ही रहा तो भविष्य में आपको दिल की धड़कन से सम्बंधित बीमारियों का भी सामना करना पड़ेगा.
- *अगर आपके सभी अंग* भारी हैं तो आप अत्यधिक भावुक हैं. और किसी अंजान भय के कारण आपको अधिक सुरक्षा की जरूरत महशूश होती रहती है.
इसका कारण कुछ भी हो सकता है. अधिक डांट-फटकार, छेड़छाड़, मिस विहेव, आलोचना, सेक्सुअल हैरेसमेंट, पार्सियलिटी, ब्वैकमेलिंग, फेलियर, ठुकराये जाने का भय. ये वे डर हैं जिनसे बचने की सक्षम सुरक्षा पाने के लिये मन व्याकुल रहता है.
इसके साथ ही इन्हीं में से किसी कारण को लेकर घर के या समाज के सिस्टम के प्रति मन ही मन में गुस्सा भरा जा रहा होता है. आपके भीतर छिपा हुआ गुस्सा आपको उन्हें क्षमा नही करने दे रहा है, जो आपकी नजरों में दोषी हैं. वो अलग बात है कि वास्तव में वो दोषी न हों. खास तौर से माता-पिता. जिनके प्रति मन में गुस्सा छिपा कर रखने वाले बच्चे अक्सर मोटापा के शिकार हो ही जाते हैं.
*इससे मास्टर चक्र व आज्ञा चक्र दुविधाग्रस्त हो जाते हैं. वे metabolism सिस्टम को शिथिल करते हैं. नतीजा मोटापे के रूप में सामने आता है*. अगर एेसा ही चलता रहा तो भविष्य में कई तरह की बीमीरियों का भी सामना करना पड़ेगा.
मोटापे को हराने के लिये मन के अपने मन के भावों को जीतना होगा.
आपका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है.