वायरल फीवर (Viral Fever) से कैसे हों मुक्त ?
सभी को राम राम
मैं शिवप्रिया
आज आप लोगों को वायरल फीवर के बारे में बताने जा रही हूँ.
वायरस के संक्रमण से होने वाले बुखार को वायरल फीवर (Viral Fever) कहते हैं। वायरल बुखार के वायरस गले में सुप्तावस्था में निष्क्रिय रहते हैं। ठंडे वातावरण के संपर्क में आने, फ्रिज का ठंडा पानी, शीतल पेय पीने आदि से ये वायरस सक्रिय होकर हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को प्रभावित कर देते हैं।
यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी तथा बड़ी तेजी से पहुँचती है। इसके विषाणु साँस द्वारा एक से दूसरे में पहुँचते हैं। फैलने के बाद फ्लू एक-दो दिन तथा कभी-कभी कुछ घंटों में सक्रिय हो जाता है।
बच्चों में वायरल बुखार (Viral Fever in Kids)
शिशुओं के लिए वायरल और अधिक कष्टदायी होता है। इससे वे पीले तथा सुस्त पड़ जाते हैं। उन्हें श्वसन तथा स्तनपान में कठिनाई के साथ ही उल्टी-दस्त भी हो सकते हैं। इसके अलावा शिशुओं में निमोनिया, कंठशोथ और कर्णशोथ जैसी जटिलताएँ भी पैदा हो जाती हैं।
किसी अन्य रोग के साथ मिलकर वायरल बुखार रोगी की हालत को और भी खराब कर देता है। उदाहरण के लिए यदि खाँसी के रोगी बच्चे को वायरल हो जाए तो उसका तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए पेचिश और क्षय रोग के मरीजों को इससे विशेष रूप से बचाना चाहिए।
बीमारी के लक्षण – COMMON SYMPTOMS:-
1 ) आँखें लाल होना
2 )इस बुखार में शरीर का ताप 101 डिग्री से 103 डिग्री या और ज्यादा भी हो जाता है
3 )खांसी और जुकाम होना
4 )जोड़ों में दर्द और सूजन होना
5 )थकान और गले में दर्द होना
6 )नाक बहना होना
7 )बदन दर्द होना
8 )भूख न लगना
9 )लेटने के बाद उठने में कमजोरी महसूस करना
10 )जीभ का स्वाद चला जाना
11 )सिरदर्द होना
वायरल फीवर (Viral Fever) के लिए संजीवनी उपचार :
१. पहले आभा मंडल को साफ़ करें
आभा मंडल को साफ़ करने के लिए संजीवनी रुद्राक्ष की सहायता से जनरल क्लींजिंग करेंगे या महा संजीवनी रुद्राक्ष की विधि आभामंडल साफ़ करेंगे. या ब्रह्मांडीय ऊर्जा से स्नान भी कर सकते है.
२. निम्नलिखित चक्रों को संजीवनी रुद्राक्ष या महा संजीवनी रुद्राक्ष की सहायता से “उपयुक्त ऊर्जा ” से साफ़ करें :-
सहस्त्रात्र चक्र
फोरहैड चक्र
आज्ञा चक्र
दोनों कनपटी के चक्र
दोनों कानो के चक्र
दोनों जबड़ों के चक्र
विशुद्धि चक्र
छोटा विशुद्धि चक्र
अनाहत चक्र
फेफड़ों (Lungs)के पांचों चक्र
मणिपुर चक्र
कटी (Megmein) चक्र
नाभि चक्र
स्वादिष्ठान चक्र
मूलाधार चक्र
हाथों और पैरों के चक्र
३. निम्नलिखित चक्रों को संजीवनी रुद्राक्ष या महा संजीवनी रुद्राक्ष की सहायता से “उपयुक्त ऊर्जा ” से उर्जित करें :-
सहस्त्रात्र चक्र
फोरहैड चक्र
आज्ञा चक्र
दोनों कनपटी के चक्र
विशुद्धि चक्र
छोटा विशुद्धि चक्र
अनाहत चक्र
फेफड़ों (Lungs)के पांचों चक्र
मणिपुर चक्र
कटी (Megmein) चक्र
नाभि चक्र
स्वादिष्ठान चक्र
मूलाधार चक्र
हाथों और पैरों के चक्र
जिन लोगों को संजीवनी उपचार की विधि नही आती है या उनके पास संजीवनी रुद्राक्ष नही है वो लोग निम्लिखित टिप्स को फॉलो कर सकतें है. (निम्लिखित सारी टिप्स को क्रम में नियमित फॉलो करने से लाभ मिलेंगे ) :-
१. नमक के पानी से स्नान करें.
२. आधा किलो जौं सोते समय सिरहाने रखें और सुबह गाय को खिला दें.
वायरल फीवर (Viral Fever)का आयुर्वेदिक उपचार :-
- धनिया चाय (Coriander Tea)
धनिया के बीज में phytonutrients होते हैं जो कि शरीर को विटामिन देते हैं और अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ाते हैं। धनिया में मौजूद एंटीबायोटिक यौगिक वायरल संक्रमण से लड़ने की शक्ति देते हैं।
कैसे तैयार करें- एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्म्च धनिया के बीच डालकर उबाल लें। इसके बाद इसमें थोड़ा दूध और चीनी मिलाएं। धनिया की चाय तैयार है, इसे पीने से वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है।
- डिल बीज का काढ़ा (Brew of Dill seed)
प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने और शरीर को आराम देने के अलावा, डिल बीज शरीर के तापमान को कम करने में भी उपयोगी होते हैं। इसका कारण इनमें Flavonoids Osmond Pins उपस्थिति होते हैं। डिल बीज का काढ़ा वायरल बुखार में राहत देने के साथ ही शक्तिशाली रोगाणुरोधी एजेंट का कार्य करता है।
कैसे तैयार करें- एक कप उबलते पानी में डिल बीज डालें और उबलनें दें इसके बाद इसमें एक चुटकी दालचीनी डालें। गर्म चाय की तरह पिएं।
- तुलसी के पत्ते का काढ़ा (Brew of Basil leaves)
वायरल बुखार के लक्षण होने पर प्राकृतिक उपचार के लिए सबसे प्रभावी और व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली औषधि है तुलसी के पत्ते। बैक्टीरियल विरोधी, कीटाणुनाशक, जैविक विरोधी और कवकनाशी गुण तुलसी को वायरल बुखार के लिए सबसे उत्तम बनाते हैं।
कैसे तैयार करें- आधे से एक चम्मच लौंग पाउडर को करीब 20 ताजा और साफ तुलसी के पत्तों के साथ एक लीटर पानी में डालकर उबाल लें। पानी को तब तक उबालें जब तक कि पानी घट कर आधा न रह जाए। इस काढ़े का हर दो घंटे में सेवन करें।
- चावल स्टार्च (Rice starch)
वायरल बुखार के इलाज के लिए प्राचीन काल से आम घर उपाय है चावल स्टार्च (हिंदी में कांजी के रूप में जाना जाता है)। यह पारंपरिक उपाय प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है। यह विशेष रूप से वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों और बड़े लोगों के लिए, एक प्राकृतिक पौष्टिक पेय के रूप में कार्य करता है।
कैसे तैयार करें- एक भाग चावल और आधा भाग पानी डालकर चावल के आधा पकने तक पकाएं। इसके बाद पानी को निथार कर अलग कर लें और इसमें स्वादानुसार नमक मिलाकर, गर्म गर्म ही पिएं। इससे वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है।
- सूखी अदरक मिश्रण (Dry ginger mixture)
अदरक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। इसमें एंटी फ्लेमेबल, एंटीऑक्सिडेंट और वायरल बुखार के लक्षणों को कम करने के लिए Analgesic गुण होते हैं। इसलिए, वायरल बुखार से पीड़ित लोगों को परेशानी को दूर करने के लिए शहद के साथ सूखी अदरक का उपयोग करना चाहिए।
कैसे करें तैयार- एक कप पानी में दो मध्यम आकार के सूखे टुकड़े अदरक या सौंठ पाउडर को डालकर उबालें। दूसरे उबाल में अदरक के साथ थोड़ी हल्दी, काली मिर्च, चीनी आदि को उबालें। इसे दिन में चार बार थोड़ा थोड़ा पिएं। इससे वायरल बुखार में आराम मिलता है।
- मेथी का पानी (Fenugreek Water)
रसोई घर में आसानी से उपलब्ध, मेथी के बीज में डायेसजेनिन, सपोनिन्स और एल्कलॉइड जैसे औषधीय गुण शामिल है। मेथी के बीजों का प्रयोग अन्य बहुत सी बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है और यह वायरल बुखार के लिए बेहतरीन औषधि है।
कैसे तैयार करें- आधा कप पानी में में एक बड़ा चमचा मेथी के बीच भिगोएँ। सुबह में, वायरल बुखार के इलाज के लिए नियमित अंतराल पर इस पेय को पिएं। कुछ और राहत के लिए मेथी के बीज, नींबू और शहद का एक मिश्रण तैयार कर उसका प्रयोग भी किया जा सकता है।
नोट :आवश्यकता अनुसार डॉक्टर के संपर्क में जरूर रहें.
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.
खुश रहिये और मुस्कुराते रहिये.
Stay Blessed 🙂