भगवान शिव को प्रणाम ! गुरूजी को प्रणाम!
संस्कार हमारी ऊर्जाओ को ठीक करने का प्राकृतिक तरीका है. यदि संस्कारो को अपना लिया जाये तो जीवन मे समस्याए नही बचती है. आज कुछ संस्कार तो विलुप्त से हो गये है. संस्कार कोई रुदिवादी नही है संस्कार तो ऊर्जाओ के उपचार का तरीका है. ऋषियो ने हजारो सालो तक रिसर्च करके संस्कारो को बनाया और मुनियो ने उनको हम तक पहुचाया. संस्कार जीवन को सरल बना देते है. भगवान को पता रहा होगा की हर इंसान ऊर्जाओ को नही जान पायेगा इसलिए ऊर्जाओ को ठीक करने के लिए प्राकृतिक तरिका भी बनाया. गुरूजी ने संस्कारो को अपनाने से ऊर्जाओ मे क्या परिवर्तन आता है कैसे ऊर्जाए और चक्र ठीक हो जाते है इस पर रिसर्च की है. गुरूजी की रिसर्च अभी भी जारी है. यहा गुरूजी द्वारा संस्कारो पर की गयी रिसर्च मे से कुछ संस्कार और उनके ऊर्जाओ पर प्रभाव पर हम यहा चर्चा कर रहै है.
1. भाई- बहनो के साथ प्रेम से रहना.
गुरूजी ने रिसर्च मे पाया की जो लोग अपने भाई बहनो के साथ प्रेम से रहते है उनके साथ मिलजुल कर रहते है. जो अपने भाई बहनो के प्रति अपनापन रखते है. उनका विशुद्धि चक्र और नाभि चक्र स्टाग हो जाता है. दोनो ही चक्र प्राकृतिक रूप से स्टाग होते है. जब विशुद्धि चक्र अच्छी पोजिशन मे होता है तो वो व्यक्तिव का निर्माण करता है. आपकी बातो का प्रभाव दूसरो पर कितना पडेगा यह विशुद्धि चक्र ही तय करता है. जो लोग कला के क्षेत्र मे होते है उनका विशुद्धि चक्र अच्छा होता है तो उनहे सफलता और प्रसिद्धि मिलती है.
नाभी चक्र ऊर्जा स्टोर रूम का काम करता है. अवचेतन शक्ति का पोष्ण नाभी चक्र की ऊर्जाओ से ही होता है. जिसका नाभी चक्र अच्छा होता है उसकी कामनाये पूरी होती है उसका पाचन तंत्र अच्छा होता है. अपने भाई बहनो के साथ हमेशा प्रेम से पेश आना चाहिये | इसके विपरित जो ऐसा नही करते एसे लोग असफलता की ओर बढते है.
2. सफल व्यक्तियो की प्रशंसा करना उनका अनुसरण करना.
जब आप सफल लोगो की प्रशंसा करते है तो उसी क्षण आज्ञा चक्र और बह्म चक्र बढा हो जाता है और अपनी शान्दार पोजिशन मे आता जाता है. बह्म चक्र उसी समय खिल सा जाता है. जब बह्म चक्र जागृत हो जाता है तो दैवत्व जाग जाता है. देवत्व की ऊर्जाए प्राप्त होना शुरू हो जाती है. सफल लोगो की प्रशंसा करने से आज्ञा चक्र संतुलित हो जाता है उपचारित हो जाता है. जब आज्ञा चक्र सही होता है तो आपके फेसले गलत नही हो सकते और आपके फेसलो को स्वाकारा भी जाता है. हर रोज 5 मिनट सफल लोगो की प्रशंसा जरूर करनी चाहिये. इससे आपके भीतर असिमित क्षताए जागृत हो जाती है और आपको सफल होने से कोई रोक नही सकता. आप जो चाहेये पा लेगे.
3. छोटे बच्चो को दुलारना उन्हे प्यार करना उनकी केयर करना.
छोटे बच्चो भगवान का रूप माने जाते है. छोटे बच्चो की ऊर्जाए विकार रहित होती है और बहुत ही अच्छी ऊर्चाए होती है. इससे कोई फरक नही पड़ता की बच्चा अमीर घर मे है या गरीब घर मे.
जब आप छोटे बच्चो को अपनेपन के साथ दुलारते है उन्हे प्यार करते है उनका ध्यान रखते है तब आपका आभामंडल प्रकृतिक रूप से विस्तारित होने लगता है. आभामंडल जब विस्तारित होने लगता है तो आभामंडल की विकार दूर हो जाते है. आभामंडल का आकार अच्छा और सुडोल होने लगता है. जिनके जीवन मे उतार चढाव जादा होते है जो सम्साओ और बिमारियो से घिरे रहते है उनका आभामंडल विकारग्रस्त होता है.
संस्करो को अपने जीवन का हिस्सा जरूर बनाये. संस्कार आपके जीवन मे मान सम्मान सिद्धि प्रसिद्धि सब स्थापित करते है. यहा गुरूजी द्वारा कुछ संस्कोरो की रिसर्च को आपके सामने रखा गया है. गुरूजी ने हर एक संस्कार को हजारो लोगो पर अपना कर देखा है. जो रिजल्ट गुरूजी की रिसर्च मे सामने आये है वो चोका देने वाले रहै है. बिना कुछ खर्च करे बिना दर दर भटके हुए संस्कारो को अपनाकर हम ऊर्जाओ को प्राकृतिक रुप से ठीक कर सकते है.
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामाना है…. टीम मृत्युंजय योग
धन्यवाद !
क्रमश: