आज गुरु जी ने मृत्युंजय योग के वाट्सएप ग्रुप में महिला जागरुकता के मुद्दे पर एक पोस्ट डाली. जिस पर चर्चा सभी के लिये लाभदायी हो सकती है, इसलिये उनकी पोस्ट को हम यहा उन्हीं के शब्दों में मूल रूप में दे रहे हैं…..
टीम मृत्युंजय योग
गुरु जी ने लिखा…..
सभी अपनों को राम राम
महिला-जागरुकता के मुद्दे पर शिवप्रिया का एक कथन…
जिस अंतर (महिला-पुरुष की संरचना) को नेचर ने बनाया, उसे हम बराबरी के नाम पर बदलने में जुटे हैं. जिसे बदलना चाहिये (पति-पत्नी के बीच तनाव), उस पर ध्यान ही नही देना चाहते.
ये कैसी जागरुकता है. ये कैसा उत्थान है.
शायद हमारी बहनों ने महिला जागरुकता के अर्थ को गलत रूप में ले लिया.
जागरुकता एेसी हो जिससे नेचर की मर्दाया भी बनी रहे और एक दूसरों की भावनाओं का सम्मान भी हो जाये.
शिवप्रिया इस मुद्दे पर महिला जागरण मूमेंट चलाना चाहती हैं. उनका कहना है ये संदर्भ क्लीयर होने से महिलाओं के सिर से गैर जरूरी बराबरी का फितूर उतरेगा. उनका ईगो शालीनता में बदलेगा. तो सम्मान अपने आप मिल जाएगा.
क्या आप भी एेसे किसी मूमेंट की जरूरत महसूस करते हैं.
अवसर दिया जाये तो क्या आप शिवप्रिया के साथ इस मूमेंट में जुड़ना चाहेंगे.
आपके विचार से एेसे मूमेंट में क्या सावधानियां बरती जानी चाहिये.
आप सभी अपनी राय दें. मै भी अपनी बात कहुंगा.