राम राम मैं शिवप्रिया
आज गुरूजी की आज्ञा अनुसार आप सब को महत्वपूर्ण तिथि नागपंचमी के बारे में बताने जा रही हूँ और इसके पूर्ण लाभ पाने के लिए पूजन की विधि भी बताउंगी|
नागपंचमी की पौराणिक कथा कुछ इस प्रकार है :
प्राचीनकाल में एक गौरवशाली राजा था | जिसका नाम सूरज था | वह अपने नाम की तरह ही तेजवान था | वह बहुत महान शिवभक्त था और प्रतिदिन शिवमंदिर में शिवभक्तों की सेवा भी करता एवम सभी की मदद करता था | उसकी चर्चा तीनो लोकों में हो रही थी| पर वक्तका पहिया जब करवट लेता है तब उसके प्रभाव से भगवान भी नहीं बच पाते| उसी तरह वो राजा भी वक्त के चक्र में फस गया| एक बार राजा रानी के साथ भ्रमण के लिए वन में गया , तब रानी को एक अदभुद फल खाने की इच्छा हुई तो उसने राजा से अपनी इच्छा प्रकट की | तब राजा ने रानी से वादा किया कि “मैं आपके लिए वो फल अवश्य लेकर आऊंगा | आप यही प्रतीक्षा करें |” यह कह कर राजा फल लेने के लिए जंगल की तरफ चल दिया , दूर उसे एक वन दिखा | उस वन के पास पहुचने पर उसे उसके द्वार पर बड़ा सा पत्थर दिखा| उस वन में दाखिल होने के लिए उसने वन के द्वार पर रखे पत्थर को हटाया और अंदर प्रवेश कर लिया | अनजाने में पत्थर हटाते वक़्त उसने सर्प के बच्चो को मार दिया | इसी का बदला लेने के लिए नागिन ने राजा को प्राण ले लिए | जब रानी को यह बात पता चली तब वह रोती रोती नागिन के पास पहुची और उसका पूजन करके अपने पति के प्राणों कि भीख मांगने लगी |
नागिन ने उसे माफ़ कर दिया और कहा ” पुत्री तुम्हारी पूजा से में खुश हुई और अपने पति के प्राण बचाने के लिए भगवान शिव का अभिषेक करो | उससे तुमरे पति के प्राण वापस आ जायेंगे और तुम्हारे परिवार से सारे दोष हट जायेंगे |”
नागिन कि बताई विधि अनुसार वह रुद्राभिषेक करने लगी | भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उसके पति को जीवित और कहा ” आज से इस पावन तिथि को नागपंचमी के नाम से जाना जायेगा और आज के दिन जो भी विधि अनुसार रुद्राभिषेक करेगा या नागों का पूजन करेगा उसके जीवन की सारी समस्याएं एवम सारे दोष दूर हो जाएँगी |” यह कहकर भगवान शिव अंतर्ध्यान हो गए तत्पश्चात राजा रानी ने अपना पूरा जीवन सुख के साथ व्यतीत किया और मृत्यु के बाद शिवलोक को प्राप्ति किया |
इस प्रकार जो भी व्यक्ति नागपंचमी वाले दिन नागों की पूजा करता है या रुद्राभिषेक करता है उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं |
पूजन की विधि कुछ इस प्रकार है :
नागपंचमी का दिन सावन माह की पंचमी को मनाया जाता है |
१) इस दिन आप सभी विधि अनुसार रुद्राभिषेक करें |
२) नागों का पूजन करने के लिए बस नाग देवता का ध्यान करें और उन्हें प्रणाम करें |
इस पवन दिन पर नागों की हत्या नही करनी चाहिए , इसीलिए नागों को दूध न पिलाये क्योकि विज्ञान अनुसार नागों को दूध पिलाने से उनकी मृत्यु हो जाती है |
आप सभी के कल्याण के लिए और आपके जीवन से सभी प्रकार के दोष (कालसर्पयोग , पितृदोष, कर्मो के दोष , देवदोष और कुंडली के सारे दोष) हटाने के लिए आश्रम में महारुद्राभिषेक का आयोजन किया गया है | आप सब इसमें आमंत्रित है |
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खुश रहिये और मुस्कुराते रहिये
Stay Blessed 🙂