आपकी कुण्डली आरोहण साधना- 6

अपना डिजिटल पास जांच लें,
प्रणाम मै शिवांशु,
नीचे मै कुंडली महासाधना में आने वाले साधकों को भेजे जा रहे डिजिटल पास का सैम्पल दे रहा हूं. आप इसे जांच लें.
Digital Pass: AQ seat No.000, Welcome in Kundli Mahasadhna Shivir, Hosted by Energy Guru Rakesh Acharya ji. Shivir Place- HINDI BHAWAN,11 Vishnu digamber marg Rouse avenue near ITO metro station delhi-2. Plz save and show this SMS for Entry. Apka jivan Sukhi ho yhi hmari kamna hai- Mrityunjany yog team.
शिविर में जिन साधकों को स्थान मिल है उन्हें इसे भेजा जा रहा है. 10 जुलाई से पहले ही सभी साधकों को रजिस्ट्रेशन के समय हमारे संस्थान में दर्ज कराये मोबाइल नं. पर डिजिटल पास भेज दिए जाएंगे. सभी साधक सुनिश्चत कर लें कि उनके इनबाक्स में मैसेज आने का स्पेस हो.
मैसेज DM ENERGY की आई.डी. से भेजे जा रहे हैं. इंट्री के समय इसी रूप में मैसेज दिखाना होगा. इसलिये मैसेज को दूसरे नं. पर फारवर्ड न करें. इससे सेंडर आई.डी. बदल जाएगी. तब डिजिटल पास मान्य नही होगा. मैसेज को इसी रूप में सेव कर लें.
10 जुलाई तक जिन्हें डिजिटल पास का मैसेज नही मिले वे समझ लें कि स्थानाभाव के कारण इस शिविर में उन्हें साधना सीट नही मिल पाई है. उन्हें 19 सितम्बर के शिविर के लिये रजिस्टर्ड किया जा रहा है. उसका मैसेज 10 जुलाई तक मिल जाएगा. यदि किसी वजह से कोई साधक 19 सितम्बर के शिविर में नही आ पायें तो तुंरत इसकी सूचना दे दें.
इस बीच मै आपके साथ अपनी एक निजी उपलब्धी शेयर कर रहा हूं. 3 साल के इंतजार के बाद गुरुवर ने मुझे एक साल की गहन साधना की अनुमति दे दी है. मेरी साधना के लिये उन्होंने हिमालय की तलहटी को चुना है. वहां पहाड़ी गुफाओं में गुरुदेव के एक अध्यात्मिक मित्र अपने 2 शिष्यों के साथ कई सालों से साधनारत हैं.
मेरी गहन साधना उनके ही सानिग्ध में होगी. मुझे जानने वालों के लिये मेरी साधना अज्ञातवास की तरह होगी. गुरुवर का विश्वास न होता तो घर वाले इसके लिये कभी तैयार न हो पाते.
पिछले दिनों मै अपने अज्ञातवास के साधना स्थल को देखने गया. यकीन ही नही हुआ कि हमारे देश में एेेसी जगहें भी हैं. प्रकृति की खूबसूरती बिखरी पड़ी है. पहाड़ी जंगलों का रहस्य रोमांच पैदा करता है, और डराता भी है. खतरनाक जंगली जानवर और गहरी पहाड़ी खाईयां हर समय निगल जाने को तैयार दिखती हैं.
वहां मोबाइल काम नही करता. अखबार, टी.वी., कम्प्यूटर वहां नही होते. बिजली नही है. सड़कें नही हैं. गाड़ियां नही जातीं. पानी पहाड़ियों से गिर रहे झरनों से ही मिलता है. सूरज अस्त होते ही जंगली जानवर बाहर निकल आते हैं. इसलिये शाम होते ही लोगों का बाहर निकलना बंद हो जाता है.
वहां से 26 किलोमीटर दूर तक कोई बाजार या दुकान नही. यहां तक कि कोई बस्ती ही नहीं. पगदंडियों वाले रास्ते बहुत मुश्किल हैं. एक घंटे में बमुश्किल 3 किलोमीटर की दूरी तय हो पाती है.
वहां साबुन सैम्पू का उपयोग नही होता. कपड़े धोने के साबुन का भी नही. खाने में तेल, मसालों का उपयोग नही होता. साधना के दौरान मुझे गेहूं, चावल से बनी किसी चीज का सेवन नही करना. दालों का भी नहीं.
मै रोमांचित हूं. खुश भी.
गुरुदेव लखनऊ आने वाले हैं. अगले हफ्ते उनसे अनुमति लेकर मै साधना के लिये रवाना हो जाउंगा.
आप लोगों के साथ बड़ा अपनापन सा लगने लगा. सो मन में कुछ छूटने का अहसास सा हो रहा है. गुरुदेव से साल भर तक नही मिल पाउंगा. टेलीपैथी के अलावा उनसे कोई सम्पर्क न होगा. ये खयाल आते ही अनचाहे विचार सताने लगते हैं. क्योंकि लम्बे समय से उनके मार्गदर्शन के बिना कुछ भी न करने की आदत पड़ी है. अबकी गुरुवर ने साधना के समय सारे फैसले खुद लेने के निर्देश दिये हैं.
मै तैयार हूं.
इस बीच मैने गुरुदेव के साथ बिताये सुनहरे समय और उनके साथ की सिद्ध साधनाओं को कई सिरीज में लिखा है. उनका ई बुक के रुप में प्रसारण होना है. क्वालिटी परीक्षण और अनुमति के लिये मैने सभी लेख गुरुदेव के पास भेज दिये हैं. मेरे अनुरोध पर गुरुदेव ने समय समय पर मेरे लेख ग्रुप में जारी कराते रहने को मंजूरी दे दी है.
शिवप्रिया जी उन्हें संपादित करके ग्रुप में प्रसारित करती रहेंगी. इस तरह अज्ञातवास की साधना के दौरान भी मै ग्रुप की यादों में रहुंगा.
सत्यम् शिवम् सुंदरम्
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन.
Aap jb sadhna krke aa jan a tb mujhe bhi mail kr dena shivanshu ji.. …uske baad mai bhi jaunga sadhna karne