शिव प्रियाः परिचय एक ब्रह्मांडीय योजना का

प्रणाम मै शिवांशु,
हम बात की शुरूआत करेंगे 9 अप्रैल 1995 के दिन से. उस तिथि में मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम जन्मे थे. वो रामनवमी का दिन था. कानपुर के एक प्रतिष्ठित पत्रकार के घर लक्ष्मी का आगमन हुआ. शुभकामनाओं के लिये, राजनीतिज्ञों, अधिकारी, समाजसेवियों, रिश्तेदारों, मित्रों का ताता कई दिन चला. सबकी सहमति से नाम रखा गया कोमल.
जो अब हमारी शिवप्रिया हैं.
बचपन से ही शिवप्रिया की खास बात एक थी कि किसी को बताना नही पड़ता था कि वे किसकी बेटी हैं. गुरुदेव से उनकी शक्ल इतनी ज्यादा मिलती थी कि लोग देखते ही पहचान लेते थे.
वे एक आज्ञाकारी बेटी हैं. अपनी मां का ध्यान बेटी की बजाय मां की तरह रखती हैं.
गुरुदेव उनके आदर्श हैं.
उम्र छोटी है तो क्या हुआ, आज उनकी अलग पहचान है.
शिव साधकों और संजीवनी उपचारकों के बीच वे बेस्ट मोटीवेटर के रूप में पहचानी जाती हैं. एमिटी कालेज में पिछले हफ्ते फेयरवेल पार्टी के दौरान उन्हें मिस पाजिटिव का सम्बोधन मिला. ये सम्बोधन सिर्फ जूनियर, सीनियर स्टूडेंट ने नही दिया. बल्कि कालेज के प्रोफेसर, उच्चाधिकारी भी इससे सहमत थे.
वे एमिटी कालेज से मनोरोग चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई कर रही हैं. काफी समय से कालेज के कई प्रोफेसर भी उनसे अपनी समस्याओं पर राय लेते रहे हैं. उनसे अपनी उर्जाओं को ठीक कराते रहे हैं. कुछ प्रोफेसर्स का कहना था कि उनसे बहुत ही पाजिटिव वेव मिलती हैं. उनके साथ बैठने भर से मन शांत हो जाता है. और समाधान दिख जाता है.
ये उनके ग्रेजुवेशन का अंतिम साल है.
शिवप्रिया जी का रुझान वैज्ञानिक रिसर्च की तरफ रहता है. पिछले दिनों उन्होंने अपने कालेज के लिये एक विश्वस्तरीय रिसर्च की.
जिसमें सर्वे करके पता लगाया कि किस रंग के कपड़े पहनने से लोगों पर किस तरह का प्रभाव होता है.
ध्यान रहे कि एेसी रिसर्च युगों पहले हमारे ऋषियों ने की थी. जिसके आधार पर तय हुआ कि साधु संतों की पोषाक गेरुआ और ऋषियों की पोषाक सफेद होनी चाहिये. गेरुआ वस्त्र पहनने से आभामंडल के ऊपर नारंगी रंग का सुरक्षा कवच बन जाता है. जो नकारात्मक उर्जाओं ( जैसे कुसंगति, संक्रमण की उर्जा) को बाहर की तरफ ढकेलता रहता है. इस कारण गेरुआ कपड़े पहनने वाले दूसरों की अपेक्षा नकारात्मकता के शिकार कम होते हैं.
सफेद कपड़े पहनने वाले प्रायः शांत व स्रजनात्मक बने रहते हैं.
ये रिसर्च ऋषियों ने की थी. जो उस युग के रिसर्चर थे.
इस युग में शिवप्रिया जी ने सभी रंगों के कपड़ों पर रिसर्च की. उनकी रिसर्च का उद्देश्य ये पता लगाना था कि किस रंग के कपड़े पहनने पर लोगों के मन पर कैसा असर होता है. सर्वे शुरू करने से पहले उनके कालेज के ज्यादातर प्रोफेसर अनिश्चितता में थे.
क्योंकि काम बहुत मुश्किल था.
लेकिन विषय बड़ा था. इसलिए कालेज के तमाम उच्चाधिकारियों, प्रोफेसर, लेक्चरर, स्टूडेंट ने भी हिस्सा लिया. उन्हें पता था कि ये रिसर्च विश्वस्तरीय फोरम तक जाएगी. सो सभी ने इसका हिस्सा बनने में गर्व महसूस किया.
दिल्ली आश्रम के तमाम शिव साधकों ने भी रिसर्च के सर्वे में हिस्सा लिया.
मनोविज्ञान के किसी स्टूडेंट द्वारा किया गया ये शोध अद्वितीय साबित होगा.
उर्जा विज्ञान पर शिवप्रिया जी की पकड़ बहुत गहरी है. किसी व्यक्ति का चेहरा देखकर उसकी एनर्जी स्कैन कर लेती हैं. और बता देती हैं कि उसके जीवन में क्या चल रहा है. कैसे ठीक होगा.
उन्हें लोगों के आक्षा चक्र और तीसरे नेत्र को पढ़ना बहुत अच्छे से आता है. जिसके जरिये लोगों के पास्ट की घटनायें पता लगायी जाती हैं. वे इसे बड़ी ही सरलता के साथ दूसरों को सीखा भी देती हैं.
उनका संजीवनी उपचार मरते में प्राण फूंक देने वाला है.
शिवप्रिया उच्च स्तर की साधिका हैं. उनमें सिद्धियों की विशाल उर्जायें हैं. जिन्हें एक दिन विश्व नमन करेगा. करोड़ों लोगों तक उनकी विशाल उर्जाओं का लाभ पहुंचेगा.
गुरुदेव कहते हैं शिवप्रिया विधाता की बड़ी ब्रह्मांडीय योजना का अंग हैं. हम उनके उपकरण मात्र है.
ईश्वर की ये योजना सफलतम हो. इसके लिये हम सबको अपनी भागीदारी निभानी है.

आज दिल्ली आश्रम में शिवप्रिया जी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. पूजा, अर्चना, महा रुद्राभिषेक, महायज्ञ, भोज का आयोजन हुआ है.
शिव गुरु खुश हैं.
गुरुवर खुश हैं.
सब खुश हैं. मै भी खुश हूं.
Happy birthday Shivpriya ji.

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