प्रणाम मै शिवांशु,
प्रेत निरंजन से मेरी दोस्ती हो गई. उससे बातचीत के अंश सार्वजनिक करने की इजाजत गुरुवर से नही मिली. वर्ना आप जान पाते कि प्रेतों की बातें इंशानों से किस तरह अलग हैं.
मगर मै उनकी प्रवृत्ति की जानकारी दे रहा हूं. वे हर बात का जवाब अपने जीवन में अर्जित जानकारी के आधार पर ही देते हैं. मरने के बाद उनकी मेमोरी अधिक नही बचती. या कहें कि उनकी याद दाश्त जीरो हो जाती है, तो गलत न होगा.
उन्हें मृत्यु से बाद की सिर्फ वही बातें याद रख पाते हैं जिनकी प्रोग्रामिंग होती है. मस्तिष्क की नामौजूदगी में इनकी प्रोग्रामिंग उर्जा चक्रों में होती है.
इस बारे में मैने गुरुदेव से पूछा. उन्होंने बताया कि इनकी आत्मा जा चुकी है. इसलिये इनमें अवचेतन शक्ति नही बची. अवचेतन में ही 94 प्रतिशत तक मेमोरी होती है. जो जन्मों जन्मों तक बनी रहती है.
शरीर को जलाया जा चुका है. इसलिए इनमें पंचतत्वों की शक्ति नही होती. इनमें पृथ्यी तत्व बिल्कुल नही होता. जिसके कारण ये गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होते हैं. इसी वजह से प्रेत हवा में उड़ लेते हैं. लेकिन पृत्थी तत्व न होने के कारण इनमें आत्मबल नही होता है. इनमें अग्नि तत्व भी नही होता. जल तत्व भी न के बराबर होता है.
इस तरह से प्रेत इंशानों से बहुत कमजोर होते हैं. अगर इनकी ताकत है तो इनका अदृश्य होना और हवा में चल सकना. आकाश तत्व के कारण इनमें इच्छा शक्ति होती है. यही इनकी गतिविधियों का आधार है. पृथ्वी तत्व, अग्नि तत्व, जल तत्व न होने के कारण ही ये अदृश्य होते हैं.
मगर निरंजन तो जिसे चाहता है उसे दिखने लगता है. एेसा क्यों. मैने गुरुदेव से सवाल पूछा.
हां ये सच है. मगर इसके पीछे का विज्ञान क्या है. ये मै अब तक नही जान पाया. गुरुदेव ने बताया. निरंजन को भी नही पता कि वो ये कैसे कर लेता है. मुझे लगता है कि गुरु बाबा ने इस सम्बंध में इसकी प्रोग्रामिंग कर दी है. जिसके कारण ये अपनी इच्छा शक्ति से एेसा कर लेता है. कुछ दिन इसे साथ रखकर रिसर्च की जाये तो शायद मालुम हो सके.
गुरु बाबा ने प्रेत को कैसे सिद्ध किया. मैने पूछा और इसकी प्रोग्रामिंग कैसे की होगी. उन्हें तो उर्जा विज्ञान की जानकारी ही नही है.
विज्ञान को जाने या न जाने. वो अपना काम करता ही है. गुरुदेव ने बताया. प्रेत सिद्धी के लिये साधनायें की जाती हैं. जिसके संकल्प होते हैं. संकल्प पूरा करने के लिये मंत्र होते हैं. संकल्प उर्जाओं की प्रोग्रामिंग का सरल व प्रभावशाली तरीका होते हैं. संकल्पों को पूरा करने के लिये उर्जाओं की जरूरत होती है. मंत्रों से उर्जाएं प्राप्त होती हैं. जो संकल्पों को पूरा करती हैं.
ये साधनाओं का विज्ञान है.
जो लोग इस विज्ञान को जानते हैं, उनकी भी साधनायें पूरी होती हैं. जो नही जानते उनकी भी पूरी होती हैं.
प्रेत की उर्जाओं को संकल्पों के जरिये प्रोग्राम किया जाता है. पितृों के मोक्ष के लिये किये जाने वाले पिंडदान, तर्पण, हवन आदि कार्य इसी श्रंखला में आते हैं. इसे सीधे भी प्रोग्राम कर सकते हैं. बिना किसी मंत्र जाप या अनुष्ठान के.
प्रेत की प्रोग्रामिंग का मतलब होता है उसे गाइडलाइन देना. गुरुदेव ने बताया. उनके पास मस्तिष्क नही होता. वे विवेक शून्य से होते हैं. क्या सही है क्या गलत है ये वे नही जानते. उन्हें जो सिखाया या बताया जाता है, उसी को सच मान लेते हैं. उसी को करने में जुट जाते हैं. उर्जा विज्ञान में इसी को उनकी प्रोग्रामिंग और तंत्र विज्ञान में इसी को प्रेत सिद्धी कहा जाता है. उनकी प्रोग्रामिंग को बड़ी आसानी से बदला जा सकता है.
कैसे. मैने पूछा.
जवाब में गुरुदेव ने एक उदाहरण दिया. मान लो किसी प्रेत को किसी तांत्रिक ने अपने वश में कर लिया. यानी कि सिद्ध कर लिया. उसे किसी व्यक्ति का नुकसान करने का आदेश दिया. आदेश देने का मतलब है उसकी प्रोग्रामिंग की. प्रेत के पास आभामंडल और उर्जा चक्र होते हैं. जो चेतना मयी होते हैं. संकल्पों, आदेशों से इसी चेतना यानी कांसियसनेस की प्रोग्रामिंग हो जाती है.
प्रेत उसी के मुताबिक कार्य करता है. प्रेत उस व्यक्ति के पास जाएगा जिसका नुकसान करने को कहा गया है. जब वह चीजों को उठाकर फेंकेगा या तोड़ेगा तो डरावना दृश्य उत्पन्न होगा. क्योंकि वो सब अदृश्य शक्ति के द्वारा किया जा रहा है. अगर प्रेत को निर्देश मिला है कि किसी के शरीर के भीतर घुस जाये तो वह एेसा भी करने की कोशिश करेगा. शरीर में नही तो उस व्यक्ति के आभामंडल में तो घुस ही जाएगा. उसकी उर्जाओं को नियंत्रण में लेकर परेशानी खड़ी करेगा.
ये तो बात हुई प्रेत की प्रोग्रामिंग की. गुरुदेव ने कहा. अब उसकी रिप्रोग्रामिंग की विधि सुनो. जिस व्यक्ति को प्रेत परेशान कर रहा है, वह उसके इर्द गिर्द ही होगा. कोई व्यक्ति कांफीडेंस के साथ उसे सम्बोधित करे. कहे कि तुम बहुत अच्छे हो. जिसने तुमसे एेसा करने के लिये कहा है वो अच्छा इंशान नही है. जो तुम कर रहे हो वो गलत है. ये तुम्हारा काम नही है. तुम अच्छे हो. तुम्हारी जगह यहां नही है. ये दुनिया तुम्हारे लिये नही है. तुम बहुत अच्छे हो. अच्छे उद्देश्य को पूरा करने के लिये तुम्हें मोक्ष चाहिये. तुम ब्रह्मांड श्रोत में चले जाओं. वहां प्यार और प्रकाश में बदल जाओगे. उससे तुम्हें मोक्ष मिल जायेगा. तुम जाओ. इसी समय चले जाओ. तुम्हारी अच्छाईयां तुम्हारा इंतजार कर रही हैं. तुम तुरंत चले जाओ. भगवान के दरवाजे तुम्हारे लिये खुल चुके हैं. तुम जाओ. अभी चले जाओ.
अगर उस व्यक्ति को असली प्रेत, चुडैल, आत्मा परेशान कर रही है तो उसी समय राहत मिल जाएगी.
रिप्रोग्रामिंग होते ही प्रेत शांत हो जाएगा. और उस स्थान, उस व्यक्ति को छोड़कर चला जाएगा. मोक्ष की तरफ जाएगा. इसलिये दोबारा किसी को परेशान भी नही करेगा. झाड़ फूंक करने वाले लोग मंत्रों के जरिये प्रेतों की प्रोग्रामिंग करते हैं.
कई बार तो वे प्रोग्रामिंग के जरिये ही प्रेतों को अपने पास बंदक बनाकर रख लेते हैं. रिप्रोग्रामिंग करके उन्हें भी मुक्त कराया जा सकता है.
अगर पीड़ित व्यक्ति में असली प्रेत नही है. उसने मानसिक शक्ति से अपना खुद का प्रेत बना रखा है, तो उस पर रिप्रोग्रामिंग का कोई असर नही होगा. बल्कि वो इससे गुस्से में आ जाएगा.क्योंकि एेसे व्यक्ति से कहा जाये कि तुम पर प्रेत बाधा नही है तो ये बुरा मान जाते हैं और उग्र रूप बना लेते हैं. हल्ला गुल्ला या मारपीट पर उतारू हो जाते हैं.
क्योंकि यहां दिमाग का उपयोग किया जा रहा है. एेसे लोग प्रेत बाधा का प्रदर्शन करने के दौरान तमाम पुरानी बातें व शिकायतें कहते रहते हैं. ये विशेष पहचान है नकली भूत की.
एेसे लोग का बिगड़ा दिमाग ठीक करने के लिये कई तांत्रिक बल प्रयोग करते हैं. झाड़ू या डंडों से मारते हैं. मिर्च जलाकर सुंगाते हैं. बाल पकड़कर पीटते हैं. जंजीरों में बांधकर रखते हैं.
जैसा ब्रह्म राक्षस सपना ने बना रखा था उसी तरह. मैने पूछा.
हां, बिल्कुल उसी तरह. गुरुदेव ने कहा. एेसे लोग झाड़ फूंक, पूजा पाठ, अनुष्ठान से ठीक नही होते.
अगर मै निरंजन की रिप्रोग्रामिंग कर दूं तो क्या वो मोक्ष को चला जाएगा. मैने पूछा.
एेसा सोचना भी मत. गुरुदेव ने मुझे तेज निगाहों से घूरते हुए कहा. गुरु बाबा की जान उसी में बसती है. उसके बिना वे और ज्यादा बीमार हो जाएंगे. जब वे दुनिया छोड़ेंगे तो निरंजन को मोक्ष दिलाकर ही जाएंगे.
तभी याद आया गुरु बाबा कुछ समय से बहुत बीमार थे. इसी लिये गुरुदेव का इंतजार कर रहे थे. उनका संजीवनी उपचार करने के लिये ही गुरुदेव ने मुझे उनकी एनर्जी रीड करने के लिये कहा था. जब मैने उनकी एनर्जी रीड की तो कई चक्र बीमार मिले. मुझे आश्चर्य हो रहा था कि इतने त्यागी और सिद्ध संत के उर्जा चक्र इतना अधिक कैसे बिगड़ गये.
मैने तय किया कि उन्हें ठीक करके ही रहुंगा, और उनका संजीवनी उपचार शुरू कर दिया.
बस इतना ही.
सत्यम् शिवम् सुंदरम्
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन