क्या एनर्जी के उपायों से ग्रह दोष भी ठीक हो सकते हैं…..
हां, बिल्कुल। कोई ग्रह किसी के लिये भला या बुरा नही होता। सभी ग्रहों से सबके लिये एक जैसी उर्जायें ही आती हैं। ग्रहों की उर्जा ऊपर से आकर लोगों की उर्जा में मिलने के बाद, उनके अनुसार ही बदलकर अच्छा या बुरा प्रभाव पैदा करती है।
उदाहरण के लिये आसमान में मौजूद सूर्य भी एक ग्रह है। अन्य ग्रहों की तरह वह भी हम तक अपनी उर्जायें पहुंचाता है। सूर्य से आने वाली धूप हर आदमी के लिये एक ही होती है। मगर उसका प्रभाव पैदल वाले पर अलग होगा और कार में बैठे व्यक्ति पर अलग होगा।
यदि पैदल जा रहा आदमी छाता लेकर चलने लगे। तो उस पर धूप का खराब असर तत्काल बदल जाएगा। क्योंकि उसने धूप ग्रहण करने का वातावरण बदल बदलकर अपने अनुकूल कर लिया।
इसी तरह अपने आभामंडल की उर्जायें बदलकर ग्रहों की उर्जाओं के अनुकूल कर लेने से हम पर उका प्रभाव पाजिटिव हो जाता है। इससे न सिर्फ ग्रह दोष से बचा जा सकता है। बल्कि ग्रहों की सकारात्मकता का बड़ा लाभ उठाया जा सकता है।
सीधे और सटीक होने के कारण इसके लिये एनर्जी के उपाय ही सर्वोत्तम होते हैं।
क्या एनर्जी के उपायों से वास्तु दोष से भी बच सकते हैं….
हां। वास्तु दोष का मतलब है रहने या काम करने के वातावरण में दूषित उर्जाआें की मिलावट होना। जिसके कारण हर समय हमारी उर्जा दूषित होकर परेशानी का सामना करती है।
भले ही वास्तु दोष किसी भी तरह का हो। उसका बिगड़ी एनर्जी हमारी उर्जा को ही बिगाड़ती है। जिससे तरह तरह की रुकावटें व बीमरियां पैदा होती हैं।
एनर्जी के उपायों से खुद की उर्जायें और वास्तु दोष से प्रभवित जगह की उर्जायें साफ की जायें। तो वास्तु दोष के दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
उदाहरण के लिये यदि किसी की दुकान में वास्तु दोष के कारण बरक्कत न हो रही हो। तो शक्तिपात करके ब्रह्मांडीय उर्जा स्नान करें। हरी उर्जा की दीवार बनाकर दुकान की उर्जाआें की सफाई करें। तो जल्दी ही स्थितियां बदल जाएगी और उन्नति होने लगेगी।
क्या एनर्जी के उपायों से कालसर्प व मंगल दोष भी ठीक हो सकते हैं…..
हां, बिल्कुल। ये दोष पैदाइशी उर्जा के विकार हैं। इनका मुख्य कारण डी.एन.ए. की उर्जा में असंतुलन होता है।
1. किसी को कालसर्प दोष होने का मतलब है,, उसके आभामंडल का असंतुलित होना। उसका आभामंडल 180 डिग्री पर दो हिस्सों बटा सा होता है। एक तरफ भारी व दूसरी तरफ हल्का होता है। जिसके कारण उसकी उर्जायें असंतुलित होकर जीवन में आस्थिरता पैदा करती हैं। बार बार नाकामी या उतार चढा़व का सामना करना पड़ता है।
2. किसी को मंगल दोष होने का मतलब होता है, उसके आभामंडल में लाल उर्जा का असंतुलित जमाव होना। या लाल उर्जा में स्मोकी उर्जा की भारी मिलावट होना। ऐसे लोग अचानक उग्र होकर नुकसान दायक गुस्से के शिकार होते रहते हैं। कई बार क्षणिक उत्तेजना में वे निकट के लोगों, खासतौर से जीवन साथी की भावनाआें का मान मर्दन कर डालते हैं। जिसके कारण के कारण अलगाव आदि के एकतरफा फैसलों के शिकार हो जाते हैं।
इस तरह के दोषों की दूषित उर्जाआें से बचने के लिये औरिक अनुष्ठान करके अपनी उर्जाआें को साफ व संतुलित किया जाता है। फिर ये दोष नुकसान नहाी पहुंचा पाते।
डी.एन.ए. की एनर्जी को ठीक करने के लिये पितृों के मोक्ष का औरिक अनुष्ठान करने से तुरंत राहत मिलती है।
क्य़ा एनर्जी के उपायों से ऊपरी बाधाओं के दोष भी ठीक हो सकते हैं। इसका जवाब हम आपको अगने अंक में देगें।
तब तक की राम राम।
टीम मृत्युंजय योग