प्रणाम मै शिवांशु
गुरुदेव की ये बुक आपको सक्षम संजीवनी उपचारक बनाएगी. इसे ध्यान से पढ़ें और अपनाएं.
एक सक्षम संजीवनी उपचारक न सिर्फ खुद को समस्या मुक्त कर लेता है, बल्कि दूसरों के जीवन से भी दुखों को तिनके की तरह उड़ा देता है।
गतान्क से आगे…….
इससे पहले आपने जाना कि सभी समस्याओं का कारण हमारे सूक्ष्म शरीर यानी आभामण्डल में दूषित ऊर्जाओं की घुसपैठ होती है. सूक्ष्म शरीर की सफाई से समस्याएं खत्म हो जाती हैं. इसकी सफाई के लिये सूक्ष्म शरीर के विज्ञान का उपयोग सर्वाधिक कारगर होता है. अब आगे….
(गुरुवर की बुक के मूल अंश)
क्या है सूक्ष्म शरीर का विज्ञान ….
इसी तरह सूक्ष्म शरीर व उसके अंगों का विज्ञान है। जिन उर्जा चक्रों की साफ सफाई करके उनसे काम लिया जाता है। वे सक्रिय और जाग्रत होकर मजबूत रहते हैं। जिनसे काम नही लिया जाता वे निषि्क्रय व कमजोर हो जाते हैं। हाथ पैर, आंख, नाक, मुंह, जीभ की तरह हमारे आभामंडल और उर्जा चक्र भी हमारा कहना मानते हैं। वे हमारी कामनाआें को निर्देश के रूप में स्वीकार करके काम करते हैं। ये भी हमारी इच्छानुसार काम करते हैं।
क्या काम करते हैं उर्जा चक्र….
1. उर्जा चक्र ब्रह्मांड से जीवनदायी उर्जाआें को ग्रहण करके सूक्ष्म शरीर को देते हैं। उसी से जीवन चलता है। इस काम के लिये चक्र अपने केन्द्र पर घडी़ की दिशा में घूमते रहते हैं।
2. उर्जा चक्र ही शरीर द्वारा यूज की जा चुकी उर्जाआें के अवशेष को बाहर निकालते हैं। जो कि नकारात्मक व दूषित होता हैं। ठीक उसी तरह जैसे ग्रहण किये भोजन का अवशेष मल-मूत्र के रूप में नकारात्मक व दूषित होता है। इस काम के लिये चक्र उल्टी दिशा में घूमते हैं।
क्य़ा है जीवनदायी उर्जा …
संजीवनी शक्ति जीवन दायी होती है। ये दुनिया का पोषण करती है। इसे ही मृत्युंजय शक्ति, जीवन शक्ति, ब्रह्मांडीय उर्जा, दैवीय उर्जा, ईश्वरीय शक्ति, गाड की पावर, अल्ला की ताकत, प्राण उर्जा, कास्मिक एनर्जी आदि के नाम से जाना जाता है। लोगों ने अपनी-अपनी भाषा और जानकारी के हिसाब से इसे नाम दे रखे हैं।
क्य़ा है संजीवनी शक्ति का सिद्धांत…
ये हमारे लिये काम करती है और हमारा कहना मानती है। यही इसका सिद्धांत है। दिव्य शक्ति होने के बावजूद ये हमारा कहना मानती है। ठीक उसी तरह जैसे जीवनदायी आक्सीजन हमारा कहना मानती है।
उदाहरण के लिये जब हम नाक से सांस लेना चाहते हैं, तो हमारी इच्छानुसार आक्सीजन नाक से हमारे भीतर जाने लगती है। जब हम मुंह से सांस लेना चाहते हैं तो आक्सीजन हमारे मुंह से भीतर जाने लगती है। जीवन के लिये अनिवार्य बड़ी शक्ति होने के बावजूद आक्सीजन बिना किसी विरोध के हमारी इच्छानुसार काम करती है।
कैसे हमारे निर्देश मानती है संजीवनी शक्ति…
ठीक इसी तरह संजीवनी शक्ति भी हमारी इच्छानुसार चक्रों में प्रवेश करती है। हम इससे जिस चक्र पर जिस रूप में जाने की कामना करते हैं, ये वहां उसी रूप में पहुंचने लगती है। जहां से निकलने की कामना करते हैं वहां से निकलने लगती है।
क्या है ब्रह्मांडीय शक्तियों का हमसे रिश्ता…
आक्सीजन और संजीवनी शक्ति की तरह ब्रह्मांड की हर वो शक्ति हमारी बातों को मानती है। जिसे हमारे लिये बनाया गया है। यही इनका हमसे रिश्ता है। जिसे ये पूरी वफादारी से निभाती हैं।
धरती, आकाश, जल, आग्नि, वायु आदि पंचतत्वों की उर्जायें भी हमारा कहना मानती हैं। बस आपको इनसे काम लेनेे का तरीका आना चहिये।
इनसे काम लेने का मतलब है, सुखी और शानदार जीवन की स्थापना।
क्या है इन शक्तियों से काम लेने का तरीका….
शक्तिपात करके इनसे आसानी से काम लिया जा सकता है।
क्या होता है शक्तिपात. इसे कैसे किया जाये.
ये हम आपको आगे बताएँगे…… जारी
सत्यम् शिवम् सुंदरम्
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन.