प्रणाम मै शिवांशु
हमारे गुरुवर एनर्जी गुरु डा. राकेश आचार्या जी इन दिनों स्कूलिंग के लिये संजीवनी शक्ति उपचार का पाठ्यक्रम तैयार करने में व्यस्त हैं। अपनी नई बुक में मानव उर्जा विज्ञान के अत्यधिक गूढ़ विषय को सरलतम करके पेश करने जा रहे हैं।
ताकि हर कोई उसे आसानी से समझ सके। उसका उपयोग करके अपनी समस्याओं को खुद ही खत्म कर सके। परेशानियों को लेकर लोगों को दर दर न भटकना पड़े।
गुरुवर की बुक के कुछ प्रारम्भिक अंश आज मुझे प्राप्त हुये।
विषय की सरलता देखकर, मन खुशी से झूम उठा। विचार आया कि इस महान साइंस की स्कूलिंग की शुरुआत इस ग्रुप से ही की जाये।
ताकि ग्रुप के साथी इसका लाभ उठा सकें। साथ ही दूसरों को भी सहयोग के लिये क्षमतावान बनें।
इसके लिये गुरुवर की बुक के अंशों को मूल रूप में सिलसिलेवार पोस्ट करुंगा। आप लोग हर दिन उनके नोट्स बनाते चलें। ताकि उनकी प्रेक्टिस करके एक सक्षम संजीवनी उपचारक बन सकें।
ध्यान रहे एक सक्षम संजीवनी उपचारक न सिर्फ खुद को समस्या मुक्त कर लेता है, बल्कि दूसरों के जीवन से भी दुखों को तिनके की तरह उड़ा देता है।
गुरुवर की बुक के मूल अंश……..
कैसे करें सूक्ष्म शरीर की सफाई
जैसे हम पानी से नहाकर स्थुल शरीर को साफ करते हैं। वैसे ही सूक्ष्म ब्रह्मांडीय उर्जा से स्नान करके सूक्ष्म शरीर को तेजी से साफ किया जा सकता है. संजीवनी उपचार तथा हीलिंग की विधाआें से भी ये सफाई की जाती है। नमक के पानी से नहाने पर भी आभामंडल की आंशिक सफाई हो जाती है।
ऋषियों ने सूक्ष्म शरीर को साफ करने व उपचरित करने के लिये पूजा-पाठ, मंत्र जाप, ध्यान साधना, कर्मकाण्ड, अध्यात्म का विज्ञान बनाया। जो लाखों साल से कारगर है। मगर इसे जानबूझ कर या अनजाने में गलत तरीके से किया जाये तो, ये खुद ही दूषित उर्जायें पैदा कर देता है।
कैसे ठीक करें सूक्ष्म शरीर को
इसके लिये शरीर के विज्ञान और नेचर के विज्ञान का उपयोग करें, तो नतीजे तुरंत और शानदार मिलते हैं।
क्या है शरीर का विज्ञान
जिन अंगों की साफ सफाई करके उनसे नियमित काम लिया जाता हैंं। वे स्वस्थ और सक्रिय रहते हैं। जिनसे काम नही लेते वे निषि्क्रय व बीमार होते जाते हैं। हाथ पैर, आंख, नाक, मुंह, जीभ की तरह सभी अंग हमारे निर्देश मानते हैं। और हमारी इच्छानुसार काम करते हैं।
क्या है सूक्ष्म शरीर का विज्ञान
इसी तरह सूक्ष्म शरीर व उसके अंगों का विज्ञान है। जिन उर्जा चक्रों की साफ सफाई करके उनसे काम लिया जाता है। वे सक्रिय और जाग्रत होकर मजबूत रहते हैं। जिनसे काम नही लिया जाता वे निषि्क्रय व कमजोर हो जाते हैं। हाथ पैर, आंख, नाक, मुंह, जीभ की तरह हमारे आभामंडल और उर्जा चक्र भी हमारा कहना मानते हैं। वे हमारी कामनाआें को निर्देश के रूप में स्वीकार करके काम करते हैं। ये भी हमारी इच्छानुसार काम करते हैं।
सत्यम् शिवम् सुंदरम्
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन.