प्रणाम मै शिवांशु
दिल्ली आश्रम में आज सम्मोहन साधना का दूसरा चरण पूर्ण हुआ. गुरुवर ने देव, किन्नर, अप्सरा और यक्षों को भी वश में कर लेने में सक्षम ब्रह्माण्ड सम्मोहन मन्त्र को सिद्ध कराया.
साधना का मन्त्र… “ॐ नमो भगवते रुद्राय महाकाल दृष्टाय सर्वजनम् शीघ्र मोहन हूँ फट् स्वाहा.”
ये वो शक्तिशाली मन्त्र है जो सम्मोहन के लिये अचूक माना जाता है.
निर्धारित सामग्री के साथ साधना की जाये तो मन्त्र के बीज मन्त्र साधक की कुंडली और ऊर्जा चक्रों में उतर जाते हैं. उनकी ऊर्जा साधक की ऊर्जा से मैच हो जाती है. साधक मन्त्र के ब्रह्मांडीय ऊर्जा सोर्स से जुड़ जाता है. तब जाप करते ही साधक मन्त्र की दैवीय शक्ति से जुड़ जाता है. यहीे दैवीय शक्तियां साधक की कामना पूरी करती हैं.
इसे ही मन्त्र की सिद्धी कहा जाता है.
प्रचलित साधना विधान के तहत सम्मोहन के इस मन्त्र के बीज मन्त्रों को साधक की कुंडली व् ऊर्जा चक्रों में व्याप्त होने में 120 दिन लगते हैं. अर्थात इस सम्मोहन साधना को सिद्ध करने में कम से कम 4 माह लगते हैं. बशर्ते साधना में प्रयोग किये गए यंत्र सहित सभी साधना सामग्री शुद्ध हों.
गुरुदेव सिद्धियों के लिये यंत्र का उपयोग नही कराते. बल्कि यन्त्र को शक्तिपात के जरिये सीधे साधक के चक्रों में अंकित कर देते हैं.
इसी तरह प्रायः वे साधना सामग्री का उपयोग नही कराते. बल्कि साधना की अनुकूल सामग्रियों की ऊर्जाएं ब्रह्माण्ड से आमन्त्रित करके उन्हें सीधे साधक की ऊर्जाओं में घोल देते हैं.
साधना के दौरान गुरुदेव साधक की सिल्वर काड की प्रोग्रामिंग करके उसकी ऊर्जाओं को सीधे ब्रह्मांडीय सोर्स से जोड़ देते हैं. जबकि प्रचलित विधान के तहत मन्त्र जप के जरिये इस प्रोग्रामिंग को पूरा करने में ही सबसे अधिक समय लगता है.
गुरुदेव साधना मन्त्र के बीजमन्त्रों को कुंडली व् ऊर्जा चक्रों में सांसों के जरिये सीधे स्थापित करा देते हैं.
ये क्रिया काफी जटिल होती है. क्योँकि स्थापना के समय पता होना चाहिये कि किस चक्र की किस पंखुड़ी पर किस क्रम में मन्त्र की स्थापना हो. इसमें चूक हुई तो तीब्र रिएक्शन के कारण मन्त्र की ऊर्जाएं विनाशकारी नतीजे दे सकती हैं.
इसे सावधनी से कर लिया जाये तो मन्त्र कुछ ही समय में सरलता से सिद्ध हो जाता है. साधना सिद्धी के लिये गुरुवर ने इसी ऊर्जा तकनीक का उपयोग कराया.
सिद्धी की रुकावटें हटाने के लिये गुरुवर ने साधना से पहले साधकों की ऊर्जाओं का शोधन किया. उनके पित्रों के मोक्ष का ऊर्जा अनुष्ठान कराया. क्योंकि अक्सर इन्ही रुकावटों के कारण साधनाएं फेल हो जाती हैं.
मन्त्र सिद्धी के बाद गुरुदेव ने उसके जरिये लोगों को, ग्रुप को, सुख साधनों को और देव शक्तियों को जीवन में सम्मोहित कर लाने की उपयोग विधि बताई.
साधना के प्रभारी अरुण जी ने दो दिनों में 70 से अधिक साधकों को सुअवसर उपलब्ध कराया. जबकि गुरुवर ऐसी साधनाओं में एक दिन में 20 से ज्यादा लोगों को शामिल नही होने देते.
हम सोच रहे थे कि 2 दिनों में ज्यादा से ज्यादा 40 लोगों को मौका मिल पायेगा. लेकिन अरुण जी के अनुरोध ने गुरुदेव से उनका मानक बदलवा लिया. जिसके कारण तय से अधिक लोग साधना सिद्ध कर पाये. निश्चित रूप से जहां ये साधकों का शौभाग्य है वहीँ अरुण जी धन्यवाद के पात्र हैं.
फिर भी समय से रजिस्ट्रेशन न करा पाने के कारण इससे भी अधिक लोगों को वापस लौटना पड़ा.
उन्हें शीघ्र ही अवसर दिया जायेगा.