राम राम मै अरुण
सम्मोहन साधना का पहला दिन बड़ा ही रुमानी रहा. साधकों के अनुभव अद्वितीय रहे.
गुरुजी ने सम्मोहन साधना में भगवान शिव द्वारा रचित विधान के साथ ही उर्जा विज्ञान का प्रयोग भी कराया. उर्जा विज्ञान की तकनीक को माध्यम बनाकर उन्होंने ब्रमांड के सबसे प्रभावशाली सम्मोहन मंत्र को साधकों की कुंडली, उर्जा चक्रों और सिल्वर काड में स्थापित कराया.
गुरुदेव द्वारा रचित साधना सिद्धी का ये बड़ा ही अनूठा तरीका है. साधना के मंत्र को सीधे ब्रह्मांडीय स्रोत से कनेक्ट करके उर्जा चक्रों और कुण्डली में स्थापित कर दिया जाता है. जिससे साधक जीवन भर सिद्धी का लाभ उठा सकते हैं. यही नही इस तकनीक से साधना सिद्धी अत्यधिक सरल और सुरक्षित भी हो जाती है.
सामान्य रुप से इस मंत्र को सिद्ध करने के लिये साधना में काफी मंहगी साधना सामग्री का उपयोग करना पड़ता है. जिसका खर्च एक व्यक्ति के लिये 30 से 40 हजार रुपए के बीच हो सकता है. उस साधना सामग्री को मंत्र और उसके देवता को अपने उर्जा चक्रों व कुण्डली में स्थापित करने के लिये माध्यम के रुप में यूज किया जाता है.
लेकिन गुरु जी इस सामग्री के बिना ही उर्जा विज्ञान का उपयोग करके मंत्र व उसकी शक्तियों को शक्तिपात के जरिये सीधे ही साधक की कुण्डली तथा उर्जा चक्रों में उतार देते हैं. वह भी कुछ ही समय के भीतर. इसी लिये उनके द्वारा कराई जाने वाली साधना सफल हो ही जाती है.
जबकि साधना सामग्री के जरिये की जाने वाली साधना की सफलता में महीनों लगते हैं. वह भी अगर सामग्री में मिलावट हुई या नकली सामग्री का उपयोग हुआ तो साधना सिद्ध नही हो सकती. महीनों की गई साधना व्यर्थ चली जाती है.
साधना सिद्धी के लिये एेसी तकनीक का उपयोग कराने वाले सिद्ध सदियों में कही 10 -20 ही होते हैं. निःसंदेह गुरुदेव उनमें से एक हैं.
सिद्धी से पहले गुरुदेव ने साधकों के पितृों के मोक्ष के लिये औरिक अनुष्ठान भी कराया. क्योंकि कुछ साधकों के पितृों की उर्जा उनकी सिद्धी की राह में रुकावट बन रही थी.
हमें यकीन है कि सम्मोहन सिद्धी का उपयोग करने वाले आज के साधक सभी पर अपनी छाप छोड़ने में सफल होंगे ही. भविष्य उनका होगा. लोग उन्हें जानेंगे और मानेंगे भी.
आज सम्मोहन सिद्धी के लिये जिस मंत्र को सिद्ध कराया गया, वो साथ में अटैच फोटो में लिखा है. इसका उपयोग किसी व्यक्ति विशेष को या एक साथ तमाम लोगों को वश में करने के लिये किया जा सकता है.
मगर इसका उपयोग सिद्ध होने के बाद ही करना चाहिये.
सभी साधकों को मृत्युंजय योग टीम की शुभकामनायें.