यक्षिणी कुबेर समुदाय की देवी है
प्रणाम मै शिवांशु
आप में से कई लोगों ने यक्षिणी साधना के बारे में जानना चाहा है.
ये उच्च साधना है. इसे स्त्री पुरुष कोई भी कर सकता है.
यक्षिणी कुबेर समुदाय की देवी है. देवताओं में यक्ष प्रजाति बहुत ही शक्तिशाली और बुध्दिमान मानी जाती है. यक्षप्रश्न में बड़े बड़े ज्ञानी उलझ जाते हैं.
भगवान् शिव को यक्षराज कहा जाता है.
एक प्रजाति की यक्षिणियां लोगों के बारे में ज्ञात अज्ञात बताती हैं. ये यक्षिणी किसी भी व्यक्ति के वर्तमान और भूतकाल की सारी बातें जान लेती है. उन्हें साधक के कान में बता देती है.
कई बार आपने कुछ ऐसे सिद्धों के बारे में सुना होगा जो लोगों के बारे में सब कुछ बता देते हैं. इनमें कुछ ने यक्षिणी सिद्ध की होती है. यक्षिणी साधक के सामने आये हुए हर व्यक्ति की बीती जिंदगी को पढ लेती हैं. फिर उसके बारे में साधक के कान में बताती है. जैसे उस व्यक्ति का नाम क्या है, वो कहाँ रहता है, क्या खाकर आया है, किसके साथ आया है, उसकी जेब में कितने पैसे हैं, उसके साथ किसने क्या किया है, उसने किसके साथ क्या किया है, उसने किससे क्या बातें की हैं आदि. और वो सबकुछ जो उस व्यक्ति के जीवन में घट चुका है.
यक्षिणी शक्तिशाली तो होती है मगर बहुत सीधी और भोली होती है. सामान्यतः ये साधक को नुकसान नही पहुंचती. बल्कि उसकी सुविधाओं और सुखों के लिये हर सम्भव प्रयास करती है. सिद्ध हो जाने पर वह साधक के वश में हो जाती है. जो साधक कहता है उसे पूरा करती है.
यक्षिणियां कई तरह की होती हैं. धन देने वाली, भोग विलास देने वाली, ज्ञान देने वाली. कालीदास को एक यक्षिणी ने ही ज्ञान देकर मुर्ख से विद्वान बनाया था.
सिद्ध हो जाने पर यक्षिणी साधक के समक्ष प्रकट होती है. उससे पूछती है कि साधक उसे प्रेमिका-पत्नी, बहन, माँ में से किस रूप में अपने साथ रखना चाहता है.
1. प्रेमिका या पत्नी के रूप में वह साधक को राजाओं की तरह सुखी देखना चाहती है. इसके लिये अपनी सभी दैवीय शक्तियों का उपयोग करती है. धन, प्रतिष्ठा, शक्ति, युक्ति के सभी साधन उपलब्ध कराती है.
दरअसल उच्च क्षमताओं से युक्त यक्षिणी उन्हें ही पति के रूप में चाहती है जो शक्तिशाली हों, प्रतिष्ठित हों, मशहूर हों, धनवान हों, पराक्रमी हों और राजाओं की तरह प्रभावशाली हों. इस लिये वह साधक को प्रभावशाली बनाकर अपनी ही इच्छा की पूर्ति करती है.
मगर वह साधक के जीवन में अपने शिवा दूसरी स्त्री को बर्दास्त नही करती. अगर साधक इस मामले में जरदस्ती करने की कोशिश करता है. तो यक्षिणी क्रोधित हो जाती और साधक के साथ दुसरी स्त्री को भी नष्ट कर डालती है. हलांकि यक्षिणियां इतनी खूबसूरत होती हैं कि उनके रहते व्यक्ति किसी और की तरफ आकर्षित हो ही नही सकता.
2. बहन के रूप में स्वीकार करने पर वह साधक के जीवन को हर तरह से सुखी बनाने में जुटी रहती है. धन, साधन देती है. समस्याएं दूर करती है. सम्मान दिलाती है. यहां तक कि साधक की इच्छा पर वह हर रात धरतीलोक, परीलोक, नागलोक, राक्षसलोक, गन्धर्वलोक की चुनिंदा सुंदरियों को लाकर भी साधक को सौंप देती है. हर पल वह चाहती है कि उसका भाई सभी सुख भोगे.
3. माँ के रूप में स्वीकार करने पर वह देवी माँ की तरह साधक की देखभाल करती है. अपनी सभी दैवीय शक्तियों का उपयोग करके साधक का पालन पोषण करती है. उसकी उन्नति कराती है. उसे ब्रह्माण्ड के रहस्य बताती है. उसे लोगों के बारे में ज्ञात अज्ञात बताती है. ज्ञान देती है. सिद्धियां दिलाती है. मोक्ष की राह पर ले जाने का प्रयास करती है.
कुंडली, आभामण्डल और ऊर्जा चक्रों को ठीक रखा जाये तो यक्षिणी को आसानी से सिद्ध किया जा सकता है. इसी कारण गुरुवर के सानिग्ध में ये सिद्धी पाना अधिक सरल हो जाता है. अन्यथा कुछ लोग इसे सिद्ध करने में जीवन लगा देते हैं.
इस साधना की सिद्धी के लिये किन चक्रों की क्या स्थिति होनी चाहिये, ये मै आपको फिर कभी बताऊंगा.
सत्यम् शिवम् सुन्दरम्
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुवर को नमन.