मृत्यु शैय्या से वापसी 2
टीम मृत्युंजय योग का आप सभी को राम राम.
मृत्यु शैय्या पर पड़े डा. तिवारी का ब्लड प्रेसर नियंत्रित करने के लिए गुरुवर निर्देश दे रहे थे. मै उनका पालन करता गया. जिन्हें नीचे स्टेप बाई स्टेप लिख रहा हूं.
संजीवनी उपचार की इस विधि का उपयोग करके आप किसी का भी बढ़ा हुआ बी.पी. कंट्रोल कर सकते हैं. यही नही हफ्ते में दो बार 6 माह तक करके इस रोग से मरीज को हमेशा के लिए छुटकारा भी दिला सकते हैं.
गुरुवर के निर्देशानुसार मैने कुछ लम्बी और गहरी सांसे लेकर संजीवनी उत्पादक दिव्य रुद्राक्ष बायें हाथ में ले लिया. उसकी मदद से संजीवनी उपचार शुरू किया.
1. रुद्राक्ष के जरिये पहले निगेटिव एनर्जी को डिस्पोज करने के लिये फर्श पर दो फीट के दायरे में हरी उर्जा से आग की दीवार बनाई. क्योंकि वहां नमक के पानी की बाल्टी उपलब्ध नहीं थी.
2. फिर रुद्राक्ष के जरिये संजीवनी स्ट्रेचर बनाया. उस पर डा. तिवारी का पारमार्थिक शरीर ( आभामंडल) बुलाया. उनके अवचेतन मन से सम्पर्क किया और पूछा डा. तिवारी की बीमारी का कारण शारीरिक, भावनात्मक, कार्मिक, मानसिक, या वायवीय है. जवाब मिला भावनात्मक है.
( आपको ध्यान होगा संजीवनी उत्पादक मंत्र, संजीवनी उत्पादक रुद्राक्ष, संजीवनी स्ट्रेचर बनाना और उस पर किसी का आभामंडल बुलाना आप पहले सीख चुके हैं. किसी के अवचेतन मन से सम्पर्क करना संजीवनी उपचार की सामान्य मगर अनिवार्य तकनीक है. एक बार सीखने के बाद आप भी इसे बड़ी सरलता से कर सकते हैं. )
3. गुरुदेव ने मुझे निर्देश दिया. इनकी जनरल स्वीपिंग ठीक से करो. उसके बाद हरी और नारंगी उर्जा का उपयोग करके मूलाधार, आगे पीछे से मणिपुर, लीवर, नाभि, किडनी चक्रों और हाथों पैरों के चक्रों की सफाई करो. फिर हरी और बैंगनी उर्जा का प्रयोग करके नाभि के पीछे स्थित मेंगमेन चक्र, ऊपर से नीचे तक रीढ़ की हड्डी, आगे पीछे से अनाहत चक्र, आज्ञा चक्र, थर्ड आई चक्र, सिर के पीछे स्थित पश्च सिरः चक्र, सहस्रार चक्र और प्लीहा चक्रों को साफ करो. भौतिक हृदय के दाहिनी तरफ स्थित पेसमेकर को भी अच्छी तरह साफ करो.
मैने एेसा ही किया.
4. चक्रों की सफाई के बाद गुरुवर ने उन्हें उर्जित करने के निर्देश देने शुरू किये. हल्की नीली उर्जा की अधिक मात्रा से मेंगमेन चक्र को उर्जित करके सामान्य से आधे आकार का हो जाने का निर्देश दो. इससे बी.पी. कम होने लगेगा. फिर मणिपुर चक्र को भी हल्की नीली उर्जा से उर्जित करके सामान्य से छोटे हो जाने को कहो. इससे बी.पी. पर कंट्रोल के साथ ही भावनात्मक नियंत्रण होगा.
मैने एेसा ही किया.
5. गुरुदेव ने अगले निर्देश दिये. अनाहत चक्र को पीछे से, आज्ञा, तीसरे नेत्र, पश्च सिरः, क्राउन चक्र को हरी और बैंगनी उर्जा से उर्जित करो.
मैने एेसा ही किया.
6. मरीज के शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिये हाथों, पैरों के चक्रों में बैंगनी उर्जा अधिक मात्रा में भर दी.
इस तरह डा. तिवारी का बी.पी. कंट्रोल हो गया. वे खतरे से बाहर आ गए. और दो हफ्ते बाद हास्पिटल से बाहर.
आप इस विधि को कभी भी कहीं भी आजमा सकते हैं. भौतिक रूप से इसके नतीजे ब्लड प्रेसर नापने वाली मशीन पर दिखा सकते हैं.
जरूरी बात 1.
वैसे तो आपको पहले ही बताया जा चुका है फिर भी बहुत जरूरी है इसलिए दोबारा याद दिलाता चलूं कि संजीवनी के दौरान किसी रंग की उर्जा का उपयोग करने का मतलब है, उसमें 90 प्रतिशत सफेद उर्जा की मिलावट. जैसे हरी उर्जा यूज करनी है तो कामना करेंगे कि उसमें 90 प्रतिशत सफेद और 10 प्रतिशत हरी उर्जा शामिल हो. जब हल्की उर्जा की बात की जाये तो उसका मतलब है 50 प्रतिशत सफेद उर्जा की मिलावट. जैसे हल्की नीली उर्जा का अर्थ है 50 प्रतिशत सफेद और 50 प्रतिशत नीली.
100 प्रतिशत शुद्ध उर्जा का उपयोग कभी नहीं करना है. यह बहुत खतरनाक साबित होगा.
जरूरी बात 2.
मनचाहे नतीजों के लिये संजीवनी उपचार के दौरान कहीं भी कल्पना न करें. उसकी जगह कामना अर्थात् कमांड का उपयोग करें.
उर्जा यात्रा जारी रहेगी.
(शिवांशु जी की ई बुक से साभार…)