गिरिजा शरण जी पर प्रतिबंध का रहस्य खुला..
राम राम मै शिवांशु.
तीसरे दिन गुरुदेव से मेरा सम्पर्क हो गया.
मैने उनसे पूछ ही लिया. ब्रह्मचर्य का पालन तो समझ में आता है लेकिन आपने गिरिजा शरण जी को आजीवन धन को हाथ लगाने और स्वादिष्ट भोजन करने से क्यों मना किया. आपने तो उन्हें इन सबके लिये प्रतिबंधित ही कर डाला.
उनका जवाब था, समाज के हित में. कोई इंशान भला या बुरा नहीं होता. समय ही उसे अच्छा बनाता है और समय ही बुरा बनाता है. गिरिजा शरण पर मुझे पूरा भरोसा है. मगर समय चक्र की व्यवस्था को उनके भरोसे से ज्यादा मजबूत मानता हूं. कई बार बुरे समय में व्यक्ति अपना विवेक खो देता है. एेसे में वह इंद्रियों के आधीन होने लगता है. अगर इंद्रियां बेकाबू हो जायें तो धन, परस्त्रीगमन और स्वादिष्ट भोजन की लालसा पतन की पराकाष्ठा तक पहुंचा देती है. ईश्वर न करे लेकिन यदि एक अदृश्य व्यक्ति इन चीजों के लिये मचल जाये तो समाज बहुत बड़े खतरे में पड़ सकता है. हमारा मोह किसी व्यक्ति से ज्यादा समाज की सुरक्षा में है.
तो क्या आपने….
हां. तुम बिल्कुल सही सोच रहे हो. गुरुवर मेरा प्रश्न समझ गये. इसलिये सवाल पूरा होने से पहले ही जवाब दे दिया.
तो क्या इसमें स्वामी जी की भी सहमति है. मैने पूछा. गिरिजा शरण जी के गुरु को हम स्वामी जी कहते हैं.
हां. इसीलिये उन्होंने गिरिजा शरण को मेरे पास भेजा था.
मगर उन्होंने इसके लिए 3 जन्मों तक इंतजार किया है. कुछ तो रहम किया जाना चाहिये. मैने गुरुवर से याचना की. वे बेचारे तो इसे जानते भी नहीं होंगे.
बहुत याराना हो गया लगता है. गुरुवर ने माहौल हल्का करने के लिये चुटकी ली. जब कभी मै जरुरत से ज्यादा भावुक होने लगता हूं तो वे एेसा ही करते हैं.
हां है तो सही. मैने झिझकते हुये कह डाला.
भावुकता से संसार नही चलता. गुरुवर ने सपाट सा जवाब दिया. और बोले गिरिजा शरण से कहना पशुपति नाथ में उन्हें शारदा शरण जी मिलेंगे. जो खुद गिरिजा शरण को ढ़ूंढ लेंगे. कमंडल सहित लाल चंद को उन्हें सौंप दें. फिर अगली साधना को निकलें. मेरी शुभकामनायें सदैव उनके साथ रहेंगी.
इसका मतलब गुरुवर को सब पता है. मै मन में सोचने लगा.
जाने से पहले आप नहीं मिलेंगे उनसे. मैने गुरुवर से पूछा.
अब अगले जन्म में. गुरुवर ने रहस्य में उलझा जवाब दिया और सम्पर्क टुट गया.
मै गिरिजा शरण जी के लिये थोड़ा चिंतित सा हो गया. मेरे जिस अधूरे सवाल का जवाब गुरुदेव ने * हां तुम बिल्कुल सही सोच रहे हो* कहकर दिया था. उसका मतलब था कि गुरुदेव द्वारा गिरिजा शरण जी के अवचेतन मन की अपरिवर्तनीय प्रोग्रामिंग कर दी गई थी. जिसके मुताबिक गिरिजा शरण जी जीवन में जब कभी भी अपनी इच्छा से धन को ग्रहण करेंगे या स्वादिष्ट भोजन करेंगे या किसी के साथ संसर्ग करेंगे तो उनका अवचेतन मन स्वतः उनका विरोध शुरु कर देगा. जिसके कारण गुरुदेव द्वारा उन्हें अदृश्य सिद्धी के लिए दिया गया यंत्र निष्क्रिय हो जाएगा. एेसी दशा में उनकी अदृश्य होने की सिद्धी खत्म हो जाएगी.
गिरिजा शरण जी की चिंता के साथ ही मुझे एक बात और परेशान करने लगी. गुरुवर ने उनसे मिलने के सवाल पर अगले जन्म का जिक्र क्यों किया. मुझे पता है कि गुरुवर अकारण कुछ भी नहीं कहते.
मै शिव गुरु से प्रार्थना करने लगा. वे मेरे गुरुदेव और गिरिजा शरण जी की उम्र खूब लम्बी करें. अब मै रोज ये प्रार्थना करता हूं. और तब तक करता रहुंगा जब तक भोलेनाथ की तरफ से अभयदान का संकेत नहीं आ जाता.
सत्यम् शिवम् सुंदरम्
शिव गुरु को प्रणाम.
गुरुवर को नमन.