आध्यात्मिक उर्जाओं का खतरनाक दुरुपयोग है काला जादू.
राम राम मै शिवांशु
अब आप मुझे भटके हुए आभामंडल के बारे में बतायें. गिरिजा शरण जी ने कहा. यह भी बतायें कि लोग इन्हें भटकती आत्मा क्यों कहते हैं?
इसके लिए मै आपको गुरुवर द्वारा बताये जीवन मृत्यु के सिद्धांत को बताता हूं. भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि अात्मा को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं किया जा सकता. इसका सीधा तात्पर्य यह भी है कि न उसे दूषित किया जा सकता है और न ही उसे भटकाया जा सकता है. और यही अक्षय सत्य है.
दरअसल आत्मा और आभामंडल दोनो की कार्यप्रणाली एक जैसी होने के कारण लोग आभामंडल को ही आत्मा मान लेते हैं. एक उदाहरण- गलत कार्यों से नकारात्मक उर्जा पैदा होती है. जिससे आभामंडल दूषित या बीमार होकर प्रताड़ित होता है. इसीलिए जब भी कोई गलत काम करने को तैयार होता है तो उसके भीतर से एक विरोध उत्पन्न होता है कि ये गलत है एेसा न करो. अंतर्विरोध की यह भावना आभामंडल द्वारा पैदा की जाती है क्योंकि वह खुद को प्रताड़ना से बचाना चाहता है. मगर लोग इसे अंतरआत्मा की आवाज समझते हैं.
जिस तरह से हार्डवेयर और साफ्टवेयर मिलकर एक कम्प्यूटर प्रणाली का निर्माण करते हैं. उसी तरह आभामंडल और आत्मा मिलकर एक जीवन प्रणाली चलाते हैं.
विधाता ने हर आत्मा को एक आभामंडल एलाट किया हुआ है. जो जन्मों जन्मों तक उसके साथ रहता है. हर अच्छे बुरे कर्म का प्रभाव आभामंडल पर ही पड़ता है. आत्मा पर बिल्कुल नहीं.
अपने आभामंडल को साथ रखना ये हर आत्मा का उत्तरदायित्व है. उसे दूसरा आभामंडल किसी भी दशा में एलाट नहीं होता.
आभामंडल पर सबसे अधिक प्रभाव भावनाओं का पड़ता है. जब कभी मृत्यु के समय व्यक्ति की भावनायें कहीं फंसी या अतृप्त होती हैं तो आभामंडल में भटकाव होता है. एेसे में शरीर छोड़ते समय आत्मा अपनी गति से गंतव्य की तरफ चली जाती है जबकि आभामंडल भटकाव के कारण पीछे छूट जाता है. कई बार तो इतना पीछे छूट जाता है कि आत्मा तक पहुंच ही नहीं पाता.
इसी को कहते हैं भटका हुआ आभामंडल. जो लोग इस विज्ञान से अपरिचित हैं वे इसे भटकी आत्मा कहते हैं.
गौरतलब है कि उर्जा कम होने के कारण अकेले आभामंडल गंतव्य तक नहीं जा सकता. जबकि किसी भी स्थिति से प्रभावित न होने के कारण आत्मा की उर्जा कम नहीं होती और वह अकेले ही अपने गंतव्य तक चली जाती है. उसे निर्धारित समय में वहां पहुंच कर रिपोर्ट देनी होती है कि इस जीवन में क्या किया, और सौपी गई जिम्मेदारी में से क्या करने को शेष रहा. उसी के आधार पर अगले जन्म की जिम्मेदारी तय होती है. उसी के आधार पर ही तय होता है कि अगला जन्म किस ग्रह पर होगा.
गुरवर बताते हैं कि विधाता द्वारा आभामंडल के बिना वहां पहुंची आत्मा को अगले जन्म से रोक दिया जाता है. और उसे उसके आभामंडल के पहुंचने तक इंतजार कराया जाता है.
भटके हुए आभामंडल को अतरिक्त उर्जाएं देकर उसकी आत्मा तक पहुंचाने के लिए लाखों सालों से सक्षम विधान हैं. इसके तहत उनके परिजनों द्वारा विशेष अनुष्ठान किये जाते हैं. जैसे श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण, भागवत कथा, गरुण पुराण कथा, हवन, यज्ञ, प्रार्थना सभायें, शांति सभायें, शांति पाठ, दान आदि. श्रद्धा से की गई इन आध्यात्मिक क्रियाओं से प्रायः इतनी उर्जायें पैदा होती है जो भटके हुए आभामंडलों को उसकी आत्मा तक पहुंचाने में सक्षम होती है.
भटकाव के दौरान वांछित उर्जा की तलाश में एेसे आभामंडल अपने कुल या डी.एन.ए. से जुड़े लोगों के पास लगातार जाते रहते हैं. असंतुष्ट होने के कारण इनकी उर्जाएं खराब होती है. इस कारण इनके सम्पर्क में आने से उन सभी की उर्जाएं खराब हो जाती हैं जिनके पास ये जाते हैं. जिससे लोगों के काम बिगड़ते हैं, अचानक मुसीबतें आती हैं और सुख भंग होता रहता है. इसे ही पितृ दोष कहा जाता है.
आत्मा का आकार नहीं होता. मगर आभामंडल का आकार होता है. यह शरीर जैसा ही होता है. इसमें हानि लाभ पहुंचाने की शक्तियां भी होती हैंं. आत्मा से अलग होने के बाद इसमें विवेक नहीं बचता. इसलिए ये खतरनाक हो जाता है. कुछ तांत्रिक इसे अपने कब्जे में करके इनका दुरुपयोग करते हैं.
जैसे लाल चंद का हुआ. गिरिजा शरण जी ने पूछा.
हां, मैने कहा. इन्हें सामान्य लोग अपने मनोबल से हरा सकते हैं. क्योंकि ये मन की शक्ति से डरते हैं. इन्हें अग्नि चक्र से काटा जा सकता है. और वायु चक्र से ये उपचारित होते हैं. कुछ मंत्रों से इलेक्ट्रिक वायलेट एनर्जी व कुछ से अग्नि चक्र उत्पन्न होते हैं. उन मंत्रों या यंत्रों का उपयोग करके भी उन्हें दूर किया जा सकता है. मगर सबसे अच्छा तरीका है इन्हें पर्याप्त उर्जायें देकर इनकी आत्मा तक पहुंचा देना.
क्या काला जादू करने वाले लोग इन्ही का उपयोग करते हैं. गिरिजा शरण जी ने पूछा.
नहीं इनका उपयोग बड़े स्तर के तांत्रिक ही कर सकते हैं. जो बहुत कम होते हैं. मैने बताया. जो लोग काला जादू या जादू टोना करते हैं वे आध्यात्मिक उर्जाओं की नकारात्मक प्रोग्रामिंग करते हैं. हर मंत्र एक संकल्प होता है. सक्षम उर्जा को संकल्पित मंत्रों द्वारा प्रोग्रामिंग करके लोगों तक भेजा जाता है. उसको सकारात्मक उद्देश्य दिया जाये तो वह लोगों का भला करती है. नकारात्मक उद्देश्य से तैयार किया जाये तो वह लोगों का नुकसान करती है. ब्लैक मैजिक को हम आध्यात्मिक उर्जाओं क खतरनाक दुरुपयोग कहते हैं. जो हटाई न जाये तो लोगों का शैतान की तरह जीवन भर नुकसान करती रहती है.
सबसे खतरनाक पहलू यह है कि इससे प्रभावित लोगों के नकारात्मक तत्वों का शिकार हो जाने का खतरा बढ़ जाता है.
इसे इलेक्ट्रिक वायलेट उर्जा से जलाकर खत्म कर दिया जाताहै.
क्या होती है इलेक्ट्रिक वायलेट उर्जा. और कैसे किया जाता है इसका उपयोग.
आप में से कई लोगों ने इसे जानना चाहा है. इसके बारे में संजीवनी शक्ति उपचार में सिखाया जा रहा है.
आगे मै आपको समृद्धि साधना की जानकारी दूंगा.
करमशः
सत्यम् शिवम् सुंदरम्
शिव गुरु को प्रमाण
गुरुवर को नमन.