मैंने गुरुदेव से ग्रुप में साधना रहस्य पर चर्चा करने का आग्रह किया है.
राम राम मै शिवांशु
मैंने गुरुदेव से ग्रुप में साधना रहस्य पर चर्चा करने का आग्रह किया है.
यदि उनकी सहमति मिली तो मै आपको उन 14 साधकों की अलौकिक साधनाओं के बारे में बताऊंगा, जो स्वामी जी के आश्रम में साधनाएं कर रहे थे.
मुझे वहां रहकर एक अलग दुनिया का अहसास हुआ.
या यूँ कहें कि एक अलग युग का अहसास हुआ.
जहां एक तरफ हम इस व्यस्त समाज में धन और प्रतिष्ठा के पीछे भागते चले जा रहे हैं, वहीँ वहाँ इन बातों की कोई अहमियत ही न थी.
आश्रम में रह रहे लोगों के पास अपना कोई खर्च ही न था. न कपड़ों का, न खाने का, न फैशन का, फंक्शन का, न दवाओं का. चकित करने वाली बात है कि वे लोग अपने पास पैसे रखते ही नही. फिर भी उनके मन में हमसे ज्यादा उमंग और निश्चिंतता दिखी. वहां रहकर मै समझा कि खुश व् उत्साहित रहने के लिये धन की अनिवार्यता नहीं.
अविश्वसनीय लगता है ये जानकर कि उनमें से ज्यादातर के हाथों कई कई साल तक एक रुपये भी खर्च नहीं होता. खर्च भी करें तो कहां? न वहां दुकाने हैं न बाजार. न वे मोबाईल का यूज करते हैं और न ही बिजली का. एक सोलर पैनल वहां लगा है, जिससे रात में एक बल्ब जलाया जाता है. पता चला उसे स्वामी जी के एक आध्यात्मिक मित्र ने भेजा था.
उनके खाने में जो चीज पैसे से लानी अनिवार्य होती है वो है नमक और गुड़. गेहूं, चावल, दाल, आलू व् कुछ अन्य सब्जियां वे खुद ही उगा लेते हैं. तेल का उपयोग वे करते ही नहीं. उनमें से कई हैं जिन्होंने मिठाई सालों से नही खाई. चिप्स, नूडल्स, चाय, पकौड़े, समोसे, चाट आदि के बारे वे ज्यादा कुछ जानते ही नहीं, खाना तो बहुत दूर की बात है.
फिर भी वे हमसे ज्यादा खुश हैं.
कपड़ों के नाम पर ज्यादातर टाट के लंगोट ही पहनते हैं. मेकअप के नाम पर भस्म सजाते हैं. मोटर गाड़ी तो दूर वे साईकिल पर भी नही चलते. सभी जगह पैदल ही आते जाते हैं. फिर भी वे हमसे ज्यादा सुखी हैं.
प्रतिष्ठा और दिखावे के लिये उनके बीच कुछ है ही नही. वे समर्पित हैं तो सिर्फ अपनी साधनाओं में.
उनकी लाइफ स्टाइल देखकर प्रतीत होता है कि हम किसी और दुनिया के लोगों के बीच आ गए. हर क्षण भ्रम होता है कि वहां कलियुग नहीं कोई और युग हैं. और प्रमाणित होता है कि इन्शान में युग रचने की क्षमता है.
मै इंतजार कर रहा हूँ गुरुवर की इजाजत का, ताकि आपको ऐसे साधकों की जीवन शैली और साधनाओं के बारे में बता सकूँ. आप भी इंतजार करें.